फैजाबाद. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद से रामलला की सुरक्षा व्यवस्था को और हाईटेक किए जाने की तैयारी चल रही है. इसके तहत रामलला को मजबूत सुरक्षा कवच देने के लिये नो-फ्लाइंग जोन पर नये सिरे से कार्य शुरू किया गया है.
इसके लिये सुरक्षा तंत्र डिजिटल मैप बनवा रहा है. पांच जुलाई 2005 को अयोध्या के रामलला परिसर पर हुए आतंकवादी हमले के बाद केंद्र सरकार ने डिजिटल मैप बनाने की योजना को स्वीकृति प्रदान की थी. इसमें अधिग्रहीत परिसर (रेड जोन) एवं अधिग्रहीत परिसर से सटा बाहरी इलाके (यलो जोन) की निगरानी भी शामिल थी. तब इस योजना की लागत करीब पांच लाख रुपये रखी गई थी. लेकिन अब इसकी लागत 20 लाख रुपये तक हो गई है.
बताया जाता है कि हाल ही में अधिग्रहित परिसर की सुरक्षा संबंधी स्थायी समिति की बैठक में निगरानी के मुद्दे पर गहन मंत्रणा की गई, डिजिटल मैप के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई. इस समिति को राज्य सरकार से मैप खरीदने के लिये स्वीकृति का इंतजार है. हालांकि इसके सॉफ्टवेयर को खरीदने की प्रक्रिया चल रही है. कर्मचारियों को इस सिलसिले में प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है.
व्यवस्था अधिग्रहित परिसर से जुड़ी होने के चलते अधिकारी इस बारे में जानकारी देने को तैयार नहीं हैं, लेकिन इतना जरूर स्वीकार करते हैं कि परिसर की सुरक्षा से जुड़े सभी प्रस्तावों को पूरा करने पर अमल किया जा रहा है.
सूत्र बताते हैं कि स्थायी सुरक्षा समिति की बैठक में नो-फ्लाइंग जोन व डिजिटल मैप निर्माण की प्रगति पर काफी विचार-विमर्श किया गया है. बस डिजिटल मैप खरीदने का इंतजार है.
सूत्रों के मुताबिक, इस मैप (नक्शे) से अधिग्रहित परिसर के आस-पास होने वाले निर्माण व अन्य गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी, जो सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है.
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