Thursday, July 24, 2014

निजी जीवन और राष्ट्र निर्माण के प्रेरणास्रोत तिलक का पुनीत-स्मरण

मेरठ. विश्व संवाद केन्द्र मेरठ ने तिलक जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन कर उन्हें कृतज्ञतापूर्वक पुनीत-स्मरण किया. अनेक वक्ताओं की ओजस्वी वक्तृताओं में एक ही स्वर था कि लोकमान्य तिलक के जीवन से निजी जीवन और राष्ट्र-निर्माण दोनों की उत्कृष्ट प्रेरणा मिलती है.
मुख्य वक्ता प्रांत प्रचार प्रमुख अजय मित्तल ने कहा कि लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने प्रखर राष्ट्रवाद की भावना को फैलाने में योगदान दिया. इसी की देन रही कि बाद में मुस्लिम अलगाववाद के समर्थक नेता भी तिलक के दौर में राष्ट्रवाद से प्रेरित रहे. वर्तमान समय में तिलक का गीता रहस्य लोगों को कर्मयोग और भक्तियोग की ओर प्रेरित करता है. उन्होंने कहा कि तिलक की लोकप्रियता ऐसी थी कि जहाँ भी जाते थे लोगों का हुजूम उन्हें देखने को उमड़ पड़ता था. यह कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति थी कि उनकी लोकप्रियता के बावजूद भी उन्हें कभी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनने दिया गया.
राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेन्द्र कुमार ने कहा कि तिलक समावेशी भारत की कल्पना के प्रतीक थे और वे  छोटी पहचानों के संघर्ष की जगह भारतीय हित के समावेश पर बल देते रहे.
लेखक डॉ. कपिल कुमार ने कहा कि तिलक द्वारा लिखित गीता रहस्य के विषय में प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है “गीता एक बार तो भगवान् कृष्ण के मुख से कही गयी, किन्तु उसका सच्चा व्याख्यान लोकमान्य ने किया है.” गोष्ठी में भारतीय किसान संघ के क्षेत्र संगठन मंत्री सोनपाल सिंह मुख्य अतिथि रहे.
गोष्ठी की अध्यक्षता रामगोपाल तथा संचालन पंकुल शर्मा ने किया. गोष्ठी में सुरेन्द्र सिंह, राकेश गौड़, नवीन भट्ट, अनुज, रंजीत आदि गणमान्य जन उपस्थित थे.

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