लखनऊ. विश्व संवाद केन्द्र लखनऊ ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दो अमर सेनानियों लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एवं चन्द्रशेखर आजाद का उनके जन्म दिवस 23 जुलाई को परिचर्चा आयोजित कर भावपूर्ण स्मरण किया.
अधीश सभागार में आयोजित इस परिचर्चा के मुख्य वक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने तिलक जी के कार्यों को विस्तार से याद किया. उन्होंने कहा कि स्वतन्त्रता की पहली लड़ाई 1857 के प्रारम्भ होने के पश्चात ‘लाल’, ‘बाल’, ‘पाल’ (लाला लालपत राय, बालगंगाधर तिलक, विपिन चन्द्र पाल) ने मिल कर स्वतन्त्रता की लड़ाई की कमान सम्भाली तो पूरे देश ने इनका समर्थन करते हुये अंग्रेजों के विरुद्ध ऐसा आन्दोलन प्रारम्भ किया, जिससे अंग्रेजी सरकार की नींव हिल गई. बाल गंगाधर तिलक ने ‘मराठा’ व ‘केसरी’ नामक साप्ताहिक समाचार पत्र निकाला जिसके स्वयं संम्पादक भी रहे, आपकी लेखनी ने ऐसा रंग दिखाया कि लोग केसरी के दीवाने हो गये तथा देश मे स्वतन्त्रता के प्रति लोगों में ज्वार उभर आया. उन्हे अपनी लेखनी के कारण तीन बार जेल भी जाना पड़ा तथा पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ीं थीं.
परिचर्चा के संयोजक श्री राजेन्द्र मोहन सक्सेना ने कहा कि जिस प्रकार तिलक के संपादकीय आलेखों ने देशवासियों में राष्ट्र भक्ति का तीव्र संचार कर दिया था, उसी प्रकार वर्तमान पत्रकारिता को राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान करना चाहिये.
संयोग से आज ही के दिन महान क्रान्तकारी चन्द्रशेखर आजाद का भी जन्म दिन है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक गणेश शंकर मिश्र ने भारत की स्वतन्त्रता में क्रांतिकारी चन्द्र शेखर आजाद के योगदान को अविस्मरणीय बताते हुए कहा कि जिस महान क्रान्तकारी के नाम से अंग्रेज सरकार थर-थर कांपती थी, उसे आज इस राष्ट्र ने भुला दिया. उन्होंने बताया कि आजाद के माता पिता का लालन-पालन हमारे ही परिवार में हुआ था. परिवार के निकट सम्बन्ध होने के कारण एक दूसरे के सुख-दुख में साथ निभाते रहे हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त अधिशासी अभियन्ता गणेश शंकर मिश्र तथा संचालन विचार मंच के महामन्त्री डा. दिलीप अग्निहोत्री ने किया. नगर के अनेक विद्वत जनों ने भी अपने विचार व्यक्त किये. अन्त में श्री राजेन्द्र मोहन सक्सेना ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में नगर के अनेक गणमान्य नागरिक, संघ के प्रान्त प्रचार प्रमुख रामकुमार राय व अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.
No comments:
Post a Comment