Saturday, June 16, 2012

कश्मीर वार्ताकारों की रिपोर्ट राष्ट्रद्रोहीयों के वकीलपत्र समान : सरसंघचालक

कश्मीर वार्ताकारों की रिपोर्ट राष्ट्रद्रोहीयों के वकीलपत्र समान : सरसंघचालक
तारीख: 6/12/2012 3:03:57 PM
(तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग समापन समारोह)
नागपुर : ११ जून : पाकव्याप्त कश्मीर फिर भारत से कैसे जोड़ना, केवल यही समस्या है, इस संदर्भ का प्रस्ताव भारत की संसद ने एकमत से पारित किया है, फिर भी भारत सरकार ने नियुक्त किए वार्ताकारों की रिपोर्ट राष्ट्रद्रोहियों का ही वकीलपत्र लेने वाली है, इस बारे में सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने सखेद आश्‍चर्य व्यक्त किया. वे नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समारोप कार्यक्रम में बोल रहे थे. दैनिक पंजाब केसरी के संचालक व संपादक अश्‍विनी कुमार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे.
इस देश के पुरुषार्थ का स्रोत हिंदुत्व है, ऐसा स्पष्ट कर डॉ. भागवत ने कहा कि, हिंदुत्व की भावना और तद्नुसार आचरण न रखने वाले लोग ही स्वतंत्रता के बाद देश के रणनीतिकार बने इस कारण ही आज ६६ वर्ष बाद भी ‘गुलाम कश्मीर’ भारते में वापस नहीं आ सका. भारत के विभाजन के लिए भी इसी मनोवृत्ति के नेताओं की करनी कारण बनी, ऐसा आरोप भी उन्होंने किया.
इन नेताओं और शासनकर्ताओं को बुद्धि है, वे तर्क शुद्ध बात करते है, वे अर्थशास्त्र भी अच्छी तरह जानते है; लेकिन, इस देश की एकता, अखंडता और समाज के पुरुषार्थ का विचार करने की हिंदुत्व की भावना उनमें नहीं है. इस कारण ही बार-बार भारत से पराजित होने वालों को भी भारत को आँखें दिखाने की हिंमत होती है, ऐसी व्यथा उन्होंने व्यक्त की.
सरकार नियुक्त वार्ताकारों की रिपोर्ट में, कश्मीर का चरित्र द्विधा है, ऐसा मान्य किया गया है. कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाली धारा ३७० का ‘अस्थायी’ (टेम्पररी) विशेषण हटाकर उसके बदले ‘विशेष’ (स्पेशल) विशेषण लगाने की सिफारिस इसमें की गई है. पाकव्याप्त कश्मीर के बदले पाकशासित कश्मीर नामावली इस रिपोर्ट में प्रयोग की गई है. यह सब देखकर ऐसा लगता है कि इस रिपोर्ट में राष्ट्रद्रोही लोगों की ही भाषा बोली गई है. इस समिति को निवेदन देने वाली अधिकांश संस्थाओं ने, लोगों ने कश्मीर में भारत का संविधान लागू करने की ही मांग की है. लेकि न, उनकी मांग को इस रिपोर्टमें स्थान ही नहीं दिया गया और विघटनवादी शक्तियों की मांगों का अप्रत्यक्ष रूप में समर्थन किया गया है, ऐसा ध्यान में आता है, ऐसा उन्होंने कहा.
देश का भला कौन करेंगा?
देश की आज की स्थिति पर भाष्य करते हुए मोहन जी ने कहा कि, आज सर्वत्र अविश्‍वास का वातावरण निर्माण हुआ है. स्वयं पर भी विश्‍वास नहीं और दुसरों के बारे में भी अविश्‍वास है. लोगों का राजनीति में विश्‍वास ही नहीं रहा. परिस्थिति बिकट है. इस स्थिति में देश को कौन बचाएगा, ऐसा प्रश्‍न कर उन्होंने कहा कि, अंततोगत्वा इस समाज को ही देश को बचाना है. समाज में के अविश्‍वास, निराशा के कारण विचलित न होकर, राष्ट्रीयता, एकात्मता, अखंडता के बारे में स्पष्ट कल्पना रखने वाले, कोई भी राष्ट्रघातक कृति न करने वाले लोकप्रतिनिधी चुनकर आना चाहिये. साहस और पराक्रम में हिंदू किसी से कम नही. केवल वे अपना दबाव लाने में कम पडते है. देशहित के मुद्दों पर हिंदूओं की व्होट बैंक निर्माण होना आवश्यक है.
केवल आंदोलन नही
अण्णा हजारे और बाबा रामदेव इनके आंदोलनों का संदर्भ लेते हुए उन्होने कहा की, केवल आंदोलन करने से दूरगामी परिणाम निकल नही सकते. समाज ने अपना व्यवहार बदलना चाहिये. समाज का व्यवहार साफ और इमानदार होना चाहिये. समाज का आचरण ऐसा हो, इसलिए संघ गत ८७ साल से कार्यरत है.
आज हिंदू जगा नही तो कल उसे दुनिया में जगह भी नही मिलेगी, ऐसी चेतावनी देते हुए उन्होने कहा की, दुर्बलता यह सबसे बडा दुर्गुण है. देवताओं को भी दुर्बलों की ही बली चढायी जाती है. अतएव हमे शक्तिसंपन्न बनना है. एक घंटे की संघ शाखाही इस समाज को सामर्थ्यशाली बना सकती है. यह सिद्ध प्रयोग है और हमे इस संघ शाखा की ताकद दुनिया को दिखानी है.
देश-निर्माताओं के सपनों का भारत निर्माण करनेका का कार्य संघ कर रहा है और इस कार्य में समाज ने मूकदर्शक न बनते हुए इस कार्य का सहयोगी बनना चाहिए, ऐसा आह्वान भी उन्होने किया.
श्री अश्‍विनी कुमार
मुख्य अतिथि अश्‍विनी कुमार ने, ८० के दशक में पंजाब में उभरे आतंकवाद की चर्चा करते हुए कहा कि, उस समय समाज ने दिखाई दृढ एकता के कारण ही देश अखंड रहा. हिंदू विचारधारा और राष्ट्रवाद की भावना ही देश को अखंड बनाए रख सकती है, ऐसा विश्‍वास भी उन्होंने व्यक्त किया और इस संदर्भ में उन्होंने रा. स्व. संघ के काम की प्रशंसा की.
मैं राष्ट्रीय स्वंयंसेवक संघ से जुडा था और मेरे राष्ट्रीय संस्कारों में संघ की भूमिका महत्त्व की है, इसका उन्होंने गौरव के साथ उल्लेख किया.
प्रारंभ में वर्ग के सर्वाधिकारी डॉ. जयंतिभाई भाडेसिया जी ने अतिथी का परिचय दिया. वर्ग कार्यवाह जसवंत जी खत्री ने वर्ग की जानकारी दी और आभार प्रदर्शन किया. इस वर्ग में १००७ शिक्षार्थी सहभागी थे. अंदमान, नागालैण्ड, मणिपुर से लेकर भारत के हर प्रांत का प्रतिनिधित्व इनमें था. एक मास तक चले इस वर्ग की व्यवस्था में १०३ पूर्णकालीन प्रबंधक, ९७ शिक्षक और ३८ प्रांत प्रमुख कार्यरत थे.
बरसात के कारण खुल मैदान में यह समारोह नही हो सका और शिक्षार्थीयों के प्रेक्षणीय शारीरिक प्रात्यक्षिक से सभी वंचित रहे. रेशीमबाग स्थित सभागृह में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में शिक्षार्थीयों ने ‘बढे निरंतर हो निर्भय, गूंजे भारत की जय जय’ यह सामूहिक गीत पेश किया.
इस समारोह में राष्ट्र सेविका समिती की प्रमुख संचालिका प्रमिलाताई मेढे और प्रमुख कार्यवाहिका शांताक्का जी, नागपुर महानगर संघचालक डॉ. दिलीप जी गुप्ता, विदर्भ प्रांत सहसंघचालक राम जी हरकरे, ज्येष्ठ संघ विचारक बाबूराव वैद्य, वर्ग के पालक अधिकारी डॉ. मनमोहन जी वैद्य, नागपुर के महापौर प्रा. अनिल सोले प्रमुखता से उपस्थित थे.

No comments: