Sunday, June 10, 2012

कांग्रेस डूबता जहाज-मोदी

राजकोट 'दांव पर सब कुछ लगा है रुक नहीं सकते, टूट सकते हैं लेकिन झुक नहीं सकते।' पटेल बहुल सौराष्ट्र के राजकोट शहर में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सदस्यों से कुछ इस अंदाज में मुखातिब थे। कार्यकारिणी की बैठक में मोदी के निशाने पर कांग्रेस और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही रहे। उन्होंने कांग्रेस को एक डूबता जहाज करार दिया। मोदी ने हमलावर अंदाज में कहा कि कमरतोड़ महंगाई कर केंद्र की संप्रग सरकार ने लोगों को हताश-निराश किया है। मनमोहन सरकार घोटाले और भ्रष्टाचार का पर्याय बन गई है।

मोदी इस वर्ष के अंत में होने जा रहे राज्य विधान सभा चुनावों की तैयारियों का जायजा लेने के लिए आयोजित गुजरात भाजपा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित कर रहे थे। कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक का रविवार को अंतिम दिन था। उन्होंने भरोसा जताया कि विधान सभा का चुनाव हम फिर जीतेंगे। राज्य में अगली सरकार भाजपा की ही बनेगी। पार्टी की दो दिवसीय बैठक के आखिरी दिन अपने समापन भाषण में मोदी ने कहा कि यहां पर कांग्रेस की दाल नहीं गलने वाली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में बैठे मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को पता नहीं कि कांग्रेस की नाव में छेद हो चुका है। अब यह जहाज डूबने वाला है। संप्रग सरकार और कांग्रेस ने आम लोगों का जीना हराम कर दिया है। प्रधानमंत्री सिंह की चुटकी लेते हुए मोदी का कहना था कि महंगाई कम करने को लेकर हमारे प्रधानमंत्री और उनकी सरकार तारीख पर तारीख देती रहती है, लेकिन महंगाई है कि कम होने की बजाय सुरसा की तरह मुंह फैलाए ही जा रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार दैनिक उपयोग की चीजों की कीमत वाजपेयी के कार्यकाल के स्तर पर लाकर दिखाए। मोदी के अनुसार, सात फीसद सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] लक्ष्य हासिल करने का दावा कर प्रधानमंत्री सिंह ने देश को गुमराह किया है, जबकि पहली तिमाही में यह पांच प्रतिशत से नीचे चला गया है।

यहां भी मोदी की ही चली

भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में अपनी दबंगई दिखाने वाले मोदी का वर्चस्व राजकोट की बैठक में भी साफ-साफ दिखा। राजकोट के आत्मीय कॉलेज में हुई दो दिवसीय राज्य भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में भी वही सब हुआ, जो मोदी चाहते थे। राज्य भाजपा में उनके विरोधी समझे जाने वाले वरिष्ठ नेता केशूभाई पटेल बैठक से नदारद थे। केशूभाई व उनके पुत्र भरत पटेल कार्यकारिणी के सदस्य हैं, लेकिन उन्हें बैठक में शामिल होने का न्यौता ही नहीं दिया गया। बैठक में संजय जोशी का नाम लेने वाला भी कोई नहीं मिला।

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