Wednesday, June 27, 2012

तीनों रथ का दक्षिणमोड़

पुरी :

बीते 21 जून से आरंभ हुई महाप्रभु की नौ दिवसीय रथयात्रा के 6ठे दिन मंगलवार को तीनों रथ का दक्षिण मोड़ आरंभ हुआ। प्रभु के रथ को धूमधाम से नाकचणा द्वार के सामने पहुंचाया गया।

परंपरा के अनुसार मंगलवार को श्रीगुंडिचा मंदिर का द्वार खुलने के बाद मंगल आरती, मइलम, तड़पलागी, अवकाश, सर्वसाधारण दर्शन, रोस होम, सूर्य पूजा, द्वारपाल पूजा, गोपालबल्लभ नीति के बाद सकाल धूप सम्पन्न की गई। इसके बाद परंपरा अनुसार दक्षिण मोड़ के लिए आज्ञामल विजे किया गया। पूजा पण्डा सेवक श्री अंग से आज्ञामाल विजे कर रथ के ऊपर रखे थे। आज्ञा माल प्राप्ति के बाद आरंभ हुआ था दक्षिण मोड़। घंट-घंटा ध्वनि के साथ श्री गुण्डिचा मंदिर के सिंहद्वार से दक्षिण मोड़ के लिए रथ खींचा गया था। पहले देवी सुभद्रा के दर्पदलन रथ का दक्षिण मोड़ किया गया है। पुलिस और भक्तों ने दर्पदलन रथ को खींचकर नाकचणा द्वार के सामने लाए। इसके बाद प्रभु बलभद्र जी के तालध्वज रथ का दक्षिण मोड़ किया गया। घंटुआ के घंट ध्वनि के साथ ताल ध्वज रथ को खींचकर नाकचणा द्वार को लिया गया। वरिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी की उपस्थिति में रथ का दक्षिण मोड़ किया गया। रथयात्रा के समय रथ खींचने से वंचित हुए श्रद्धालु दक्षिण मोड़ के लिए रथ खींचे थे। रथ में आज्ञामाल विराजमान के बाद श्री गुण्डिचा मंदिर में भोग मण्डप, यात्रांगी महास्नान, घंट छता सर्वांग, नई लागी वेश आदि पारंपरिक नीति सम्पादन की गई। रास्ता प्लेन हो जाने के कारण रास्ते पर दक्षिण मोड़ के लिए बालू डाला गया था। आने वाले 28 तारीख गुरुवार को महाप्रभु का संध्या दर्शन होगा और 29 तारीख शुक्रवार को बाहुड़ा यात्रा सम्पन्न होगी। तीनों रथ में विराजमान कर चतुर्धा मूर्ति सिंहद्वार की ओर प्रस्थान करेंगे

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