Friday, June 22, 2012

Sant Uchchadhikar Samiti Baidhak Haridwar-2012

विश्‍व हिन्दू परिषद की सन्त उच्चाधिकार समिति की बैठक
तारीख: 6/21/2012 3:51:31 PM
(विश्व हिंदू परिषद, मुख्यालय, दिल्ली)

हरिद्वार, 21 जून, 2012 : विश्‍व हिन्दू परिषद की सन्त उच्चाधिकार समिति की बैठक मंगलवार को परमार्थ ज्ञान मन्दिर, कनखल, हरिद्वार में पूज्य जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्‍वेशतीर्थ जी महाराज की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुई। बैठक का शुभारम्भ जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी महाराज, जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्‍वेशतीर्थ जी महाराज, जगद्गुरु निम्बार्काचार्य स्वामी युवाचार्य जी महाराज, पूज्य स्वामी विवेकानन्द सरस्वती जी महाराज, श्री अशोक जी सिंहल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
देश के विभिन्न प्रान्तों से आए साधु-सन्तों-महंत-महामण्डलेश्‍वरों का स्वागत विश्‍व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ0 प्रवीण तोगड़िया, उपाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश जी सिंहल, संगठन महामंत्री श्री दिनेशचन्द्र जी सहित वरिष्ठ केन्द्रीय पदाधिकारियों ने पुष्पमाला अर्पित कर किया। बैठक के प्रारम्भ में मंगलाचरण श्री चन्द्रप्रकाश शुक्ल व नवीन शुक्ला एवं आचार्य चन्द्रभानु शर्मा ने किया।
विश्‍व हिन्दू परिषद के महामंत्री श्री चम्पतराय जी ने दो दिवसीय बैठक का एजेन्डा प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस प्रकार की सूचनाएं आ रही हैं कि श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर के साथ-साथ अन्य मजहब का धार्मिक प्रतीक चिन्ह् भी बना दिया जाए। सरकार भी इसी प्रकार की प्रयत्नों में लगी है। आवश्यक है कि सन्त समाज अपने पुराने संकल्प को स्मरण रखते हुए यह सुनिश्‍चित करे कि अयोध्या में जहॉं आज रामलला विराजमान हैं वहॉं श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के अतिरिक्त आज हमें कुछ भी स्वीकार्य नहीं है। अन्य मजहबी कोई ढॉंचा अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा में स्वीकार्य नहीं होगा।
श्री चम्पतराय जी ने कहा कि दूसरा विषय गंगा का है। सरकार यह प्रयत्न कर रही है कि गंगा की रक्षा के नाम पर संचित शक्ति का उपयोग वह श्रीराम जन्मभूमि पर सरकारी एजेन्डा को पूरा कराने में कर ले, इसे ध्यान में रखते हुए हमें निर्णय करना होगा। समाज के सामने इस प्रकार के भ्रम उत्पन्न किए जा रहे हैं कि हमें बिजली और पानी की बहुत आवश्यकता है किन्तु समाज को भोला होता है, वह यह नहीं समझ पा रहा है कि बिजली और पानी की कीमत पर क्या गंगा के पतित पावनी होने के गुण को हम समाप्त हो जाने देंगे या गंगा को हम नाला बन जाने देंगे। गंगा का अवतरण धरती पर बिजली और पानी ही प्राप्त करने के लिए नहीं हुआ था, भगीरथ ने अपने दीर्घ तप से अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए किया था। हम गंगा की अविरलता और निर्मलता के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे।
तीसरा विषय हमारे सामने यह है कि आज पूरे देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सिर्फ चारों ओर लोकपाल-लोकपाल का ही बोलबाला सुनाई दे रहा है। हमें विचार करना
होगा कि भ्रष्टाचार और चारित्र्य पतन को कठोर कानून बनाकर ही रोका जा सकता है या इसके पीछे और भी कोई कारण है। क्या व्यक्तिगत, नैतिक और राष्ट्रीय चरित्र का ह्रास भी इसके पीछे कारण है। भारत धर्मप्राण देश रहा है जहॉं धर्म और अधर्म की स्पष्ट अवधारणा के आधार पर व्यक्ति अपने जीवन को उच्चतम शिखर तक ले जाता था। धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिज्म) का ढिंढोरा पिटते-पिटते समाज निरन्तर गिरावट की ओर जा रहा है। आज फिर से देश में आध्यात्मिक शक्ति के उदय एवं धर्म के संरक्षण की आवश्यकता है।
सन्तजन दो दिवसीय इस बैठक में गहन रूप से विचार विमर्श करते हुए ऐसे दिशा निर्देश देने की कृपा करें जिससे कि इस अन्धकार से बाहर निकला जा सके।
बैठक के प्रमुख रूप से जगद्गुरु रामानन्दाचार्य पूज्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य पूज्य स्वामी रामाधाराचार्य जी महाराज, जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पूज्य स्वामी युवाचार्य जी महाराज, पूज्य स्वामी विवेकानन्द सरस्वती जी महाराज, भोलाझाल, पूज्य स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज, म0म0 पूज्य विष्णुपुरी जी महाराज, महामण्डलेश्‍वर पूज्य साध्वी सन्तोषी माता जी, महामण्डलेश्‍वर पूज्य हरिचेतनानन्द जी महाराज, पूज्य स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज, म0म0 पूज्य हरिहरानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्‍वर पूज्य अखिलेश्‍वरानन्द जी महाराज, पूज्य श्रीमहंत फूलडोलदास जी महाराज, पूज्य श्रीमहंत रामजी दास जी महाराज, पूज्य युधिष्ठिर लाल जी महाराज, पूज्य स्वामी बालकदास जी महाराज, पूज्य श्रीमहंत राधे राधे बाबा, पूज्य डॉ0 रामेश्‍वरदास जी श्रीवैष्णव, पूज्य महंत रमेशदास जी महाराज, पूज्य स्वामी रामस्वरूप दास जी महाराज, पूज्य महंत निरंजन नाथ जी महाराज, पूज्य महंत हरिओमशरण दास जी महाराज, त्यागमूर्ति पूज्य महंत दर्शन सिंह जी महाराज, पूज्य महंत कमलनयनदास जी महाराज, पूज्य महंत सुरेशदास जी महाराज, पूज्य डॉ0 रामबिलासदास वेदान्ती जी महाराज, पूज्य महंत करुणानिधान शरण जी महाराज, पूज्य सियाकिशोरी शरण जी महाराज, महामण्डलेश्‍वर पूज्य प्रेमशंकर दास जी महाराज, पूज्य महंत कन्हैयादास जी महाराज,
पूज्य महंत राममिलनदास जी महाराज, पूज्य स्वामी मैथिलीशरण जी महाराज, पूज्य स्वामी सीतारामशरण जी महाराज, पूज्य स्वामी रामशरण जी महाराज, पूज्य स्वामी श्यामसुन्दर दास जी महाराज, पूज्य स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज, पूज्य स्वामी प्रियाप्रीतमशरण जी महाराज, पूज्य स्वामी कमलाकान्ताचार्य जी महाराज, पूज्य स्वामी विशम्भर दास जी महाराज, पूज्य स्वामी गोविन्द दास जी महाराज, कथाव्यास साध्वी विश्‍वेश्‍वरी देवी जी, साध्वी कमलेश भारती जी, महंत साध्वी गंगादास जी सहित अधिकांश आमंत्रित सन्तजन उपस्थित रहे।
बैठक का संचालन विश्‍व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री श्री जीवेश्‍वर मिश्र ने किया। परिषद की ओर से प्रमुख रूप से श्री पुरुषोत्तम नारायण सिंह, श्री राजेन्द्र सिंह जी पंकज, श्री उमाशंकर जी शर्मा, श्री कोटेश्‍वर शर्मा, श्री व्यंकटेश आबदेव जी, श्री अशोक तिवारी जी, श्री सुनील शर्मा, श्री शुम्भनाथ जी आदि उपस्थित रहे।

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