Tuesday, June 19, 2012

गंगा के लिए दिल्ली में संतों का भगीरथ प्रयास

गंगा के लिए दिल्ली में संतों का भगीरथ प्रयास
तारीख: 6/20/2012 2:21:32 PM
(विश्व संवाद केंद्र, इन्द्रप्रस्थ)

नई दिल्ली, 20 जून 2012 : दिल्ली का राजघाट और जंतर मंतर सोमवार १८ जून को गंगा की धारा को अविरल बनाने के लिए संघर्ष कर रहे संतों की एकजुटता का साक्षी बना। संत समाज अब भगीरथ प्रयास के लिए पूरी तरह से तैयार है। यहां पहली बार गंगा को 'गंगा मइया' बनाने के लिए देशभर से आए संत व आम लोगों ने एक साथ हुंकार भरा।

गंगा की दुर्दशा की बात को सभी राजनेता व दल मौखिक रूप से तो स्वीकारते हैं, लेकिन निर्मल बनाने की बात आते ही मौन साध लेते हैं। संतों ने उन्हें भी इस आंदोलन से जुड़ने का न्योता भेजा है। संतों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता को जगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे व बाबा रामदेव से भी साथ आने का आह्वान किया है।

एक दिवसीय गंगा मुक्ति संग्राम के बारे में संगठन के राष्ट्रीय संयोजक आचार्य प्रमोद कृष्णम ने बताया कि गंगा किसी धर्म विशेष से जुड़ा मसला नहीं है। इसलिए दलगत राजनीति से उपर उठकर सभी पार्टी के नेताओं को गंगा की रक्षा के लिए साथ आने की अपील की गई है।

राजघाट पर बापू की समाधि पर सरकार की बुद्धि शुद्धि के लिए सोमवार सुबह 10 बजे सैकड़ों संतों ने जलाभिषेक किया। फिर वहां से पैदल मार्च करते हुए संत, पर्यावरणविद्, युवा तथा समाज के हर वर्ग के हजारों लोग जंतर-मंतर पर आयोजित जनसभा के रवाना हुए।

प्रदूषण की मार से बीमार गंगा की व्यथा लेकर पहुंचे साधु-संतों ने रविवार को कहा कि यमुना नदी में प्रदूषण की समस्या को भी उठाया जाएगा। साधु-संतों ने रविवार को यहां विश्रामघाट पर यमुना पूजन, दुग्धाभिषेक और आरती की।

बांधों को हटाने और गंगा नदी को राष्ट्रीय ध्वज के समान सम्मान दिलाने की मांग को लेकर काशी से दिल्ली तक निकाली जा रही गंगा शुद्धिकरण अभियान यात्रा में शामिल संत-महात्मा रविवार को यहां यमुना प्रदूषण की समस्या से भी रूबरू हुए। माथुर- चतुर्वेद परिषद के पदाधिकारियों ने यात्रा में शामिल संत-महात्माओं को यमुना जल से भरा कलश भी दिया।

गंगा-यमुना के जल का कलश लेकर सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया गया। तीन दिन पहले जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के सानिध्य में गंगा जल कलश लेकर काशी से शुरू हुई यात्रा शुक्रवार रात करीब सवा नौ बजे मथुरा की सीमा में पहुंची। संत ज्योतिर्मय आनंद और डॉ. लक्ष्मी मणि शास्त्री की अगुवाई में आई यात्रा में शामिल करीब साढ़े छह सौ लोगों ने रविवार प्रात: विश्राम घाट पहुंचकर यमुना पूजन किया।

यात्रा में सांप्रदायिक सद्भावना की मिसाल बनकर सौ से अधिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी शामिल हैं। इनकी अगुवाई अतहर जमाल लारी कर रहे हैं।

http://www.jagran.com/news/national-9380474.html

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