Monday, March 24, 2014

सांस्कृतिक धरोहर हैं धार्मिक यात्रायें-डॉकृष्ण गोपाल


सांस्कृतिक धरोहर हैं धार्मिक यात्रायें-डॉकृष्ण गोपाल

Source: VSK-ENG      Date: 24 Mar 2014 15:21:47
देहरादून,23 मार्च. धार्मिक यात्रायें हमारी सांस्कृतिक धरोहर की धारा है. इनके माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और उनको लंबी उम्र देने का कार्य आसानी से करते है. इन यात्राओं के द्वारा देश के नागरिक अपने उन दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचते है, जहां आमतौर पर पहुंचना संभव नहीं है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल ने यह उद्गार व्यक्त किये. डॉ. कृष्ण गोपाल नन्दादेवी राजजात पूर्व पीठिका समिति के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद तरुण विजय द्वारा आयोजित एक दिवसीय नन्दादेवी राजजात युवा सम्मेलन को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.
“हमारे देश में धार्मिक यात्रायें पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करती है. इसका अनुपम उदाहरण है आदि शंकराचार्यजिन्होंने सुदूर दक्षिण के केरल राज्य में जन्म लिया, लेकिन पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने के लिये नंगे पैर दौड़ते हुए उत्तराखंड के केदारखंड पहुंचे और यहां बद्रीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया और देश के चारों कोनों को एक सूत्र में पिरोने के लिये चार पीठों का निर्माण कराया. उन्होंने कहा कि नन्दादेवी राजजात जैसी यात्रायें देश की सीमाओं पर बसे उन ग्रामीणों के दुःखदर्द को समझने का भी अवसर देती है, जो कठिन परिस्थितियों में रहकर बिना किसी सुविधाओं का उपभोग किए हमारी सीमाओं की रक्षा चौकीदार की तरह कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हिमालय और कैलाश शिवत्व यानी त्याग का प्रतीक है. दुनिया अमृत के पीछे भागती है, लेकिन शिव जहर पीकर खुश रहते हैदुनिया अच्छे वस्त्रों के पीछे भागती है, लेकिन शिव बाघांबरी पहन कर ही खुश रहते है. दुनिया अच्छे लोगों को दोस्त बनाती है, लेकिन शिव की मित्र मंडली में भूत-प्रेत सभी है. शिव का पूरा जीवन ही एक संदेश है, जिसमें उच्च मानवीय गुण त्यागतपस्यास्नेह और प्रेम समाहित है. उन्होंने कहा कि जैसे हमारे देश के पुरुषों के लिये शिव एक संदेश है, वैसे ही महिलाओं के लिए मां नन्दादेवी या पार्वती भी कई प्रतिमानों की प्रतीक हैं.
उन्होंने कहा कि नन्दादेवी जैसी धार्मिक यात्रायें हमारी आध्यात्मिक साधना की पूर्ति की गई साधना है. जब हम मातृभूमि को मां कहते है तो मां की हर चीज पवित्र हो जाती है उसमें नदीजलजंगल, जमीन सभी का समावेश होता है. उन्होंने कहा कि हमारी आध्यात्मिक मान्याताओं के साथ महान परंपरायें भी जुड़ी हुई हैं, जिनकी ये यात्रायें याद दिलाती हैं.
उन्होंने कहा कि भारत रूस और अमेरिका की तरह व्यावसायिक लाभ के लिये निर्मित कोई संघ नहीं बल्कि यहां के ऋषि मुनियों के त्याग तपस्या से निर्मित देश है. उन्होंने नन्दाराजजात पूर्व पीठिका समिति के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की यात्राओं का आयोजन होना चाहिये, जिससे देश के लोग दुर्गम क्षेत्र में रह रहे अपने अनौपचारिक रक्षकों का दर्शन कर सके.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मार्तोलिया गांव के दुर्गा सिंह मार्तोलिया ने कहा कि 1960 तक भारत और तिब्बत के बीच व्यापार का एक मात्र रास्ता नौटी गांव से होकर जाता था, जिससे वहां के लोग बहुत समृद्ध थे, उस समय वहां लगभग ढाई सौ की जनसंख्या निवास करती थी, लेकिन 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद ये रास्ता व्यवसाय के लिये बंद होने के साथ ही बेकार हो गया और वहां के लोग पलायन कर गये. उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा की दृष्टि से वहां से हो रहे पलायन को रोकना बहुत ही आवश्यक है.
कार्यक्रम में उपस्थित नौटी गांव के अरुण मैठाणी ने नन्दाराजजात के इतिहास पर प्रकाश डाला. भाजपा नेत्री सुशीला बलूनी ने नन्दा मां को भारतीय नारी की पहचान से जोड़ते हुए मातृ शक्ति को मजबूत करने और कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाने की अपील की. राष्ट्र सेविका समिति की प्रान्तकार्यवाहिका डॉ. अंजली वर्मा ने अपने संगठन द्वारा महिला सशक्तीकरण के लिये किये जा रहे कार्यो के बारे में जानकारी दी.
कार्यक्रम का संचालन सांसद तरूण विजय ने किया. इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष और पीठिका की गढ़वाल संयोजिका मधु चौहानराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकरसह क्षेत्र प्रचारक प्रमुख जगदीश,क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख शशिकान्त दीक्षितप्रान्तकार्यवाह लक्ष्मी प्रसाद जायसवालप्रान्त व्यवस्था प्रमुख सुरेन्द्र मित्तल,सह प्रान्त व्यवस्था प्रमुख नीरज मित्तलविश्व संवाद केन्द्र सचिव घनश्याम कुमारवंदन बिष्टहिन्दुस्थान समाचार के धीरेन्द्र प्रताप सिंहहिमांशु अग्रवालनरेश बंसल समेत बड़ी संख्या में अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

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