Monday, March 31, 2014

भारतीय दर्शन से होगी विश्व में शांति: कृष्ण गोपालजी

भारतीय दर्शन से होगी विश्व में शांति: कृष्ण गोपालजी

Source: VSK-ENG      Date: 01 Apr 2014 16:39:29
कर्णावती (अहमदाबाद), 31 मार्च.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा है कि विभिन्न संघर्षों से अशांत विश्व में शांति की स्थापना भारत के वेदांत दर्शन के अनुरूप जीवन शैली विकसित करने पर हो सकती है. कृष्ण गोपालजी ने अपना यह दृढ़ विश्वास यहां मणीनगर के उत्तम नगर मैदान में वर्ष प्रतिपदा उत्सव को संबोधित करते समय व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण सिर्फ उनका ही नहीं है, अपितु अनेक विदेशी विद्वान और समाज शास्त्री भी तेजी से भारत की सनातन जीवन शैली और परंपरा की ओर आकृष्ट हो रहे हैं.
कृष्ण गोपालजी ने अपने बौद्धिक में बताया कि कुछ समय पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री श्रीमती मार्ग्रेट थैचर ने संघ संस्थापक डा. हेडगेवार के चित्र पर माल्यर्पण करने के साथ ब्रिटेन को भारतीय संस्कृति विशेषत: संयुक्त परिवार प्रणाली की शिक्षा देने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि 1925 में स्थापित संघ आज इस स्थिति में है कि वह ब्रिटेन या दुनिया के आध्यात्मिक गुरु की भूमिका निभा सकता है, क्योंकि देश ही नहीं, विश्व के अधिकतर देशों में स्वयंसेवक और संघ कार्य विद्यमान है.
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संघ संस्थापक परम पूज्य केशव बलिराम हेडगेवार की 125 वीं जयंती पर उन्हें अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कृष्ण गोपालजी ने डाक्टर साहब के इस विश्लेषण और निष्कर्ष की याद दिलाई कि इस्लाम इस देश के उदात्त एवं सहिष्णु हिंदुत्व को समाप्त करने में कभी सफल नहीं हो पाया जबकि दुनिया का कोई भी समाज इस्लाम की वेगवती आंधी के सामने नहीं टिक पाया. “कोई बात थी जो हम लोग अंतर्मन से पराजित नहीं हुये, कोई बात थी जो हमारे टूटे हुए मंदिरों पर पुन: नये मंदिर खड़े करने की जीवंतता रखती है.
सह सरकार्यवाह ने पश्चिम की धूर्त शक्तियों के उस षडयंत्र से सावधान रहने का आह्वान किया जिसमें भारतीय मानस में हीनता की भावना का संचार करने के लिये भ्रामक अवधारणाओं का प्रचार-प्रसार और विभिन्न विभाजनकारी उपाय किए गये हैं. उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासकों का यह दावा एकदम गलत है कि भारत 16 राष्ट्रीयता वाले लोगों का निवास स्थल था और इसे राष्ट्रीयता उन्होंने प्रदान की है. उन्होंने कहा कि विविधतापूर्ण भारत में एकात्मता का सूत्र बहुत सुदृढ़ है, जिसे पहचानने के लिये यहां के वेदांत दर्शन का ज्ञान आवश्यक है.
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