Sunday, March 09, 2014

श्रद्धेय साध्वी माता अमृतानंदमयी को बदनाम करने का षडयंत्र

श्रद्धेय साध्वी माता अमृतानंदमयी को बदनाम करने का षडयंत्र

Source: VSK-ENG      Date: 9 Mar 2014 02:33:15
बंगलूर,9 मार्च. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हाल ही में प्रकाशित होली हेल पुस्तक में माता अमृतानंदमयी पर लगाए गए आरोपों को नितांत गलत और अप्रमाणित बताते हुए कहा है कि इन विद्वेषपूर्ण व अपमानजनक आरोपों को हिन्दू विरोधी मीडिया व बुद्धिजीवियों द्वारा दिया त्वरित समर्थन एवं पुस्तक प्रकाशन का समय किसी कुटिल अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र को इंगित करता है.
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तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के समापन पर संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश(भय्याजी) जोशी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि सन्देहास्पद चरित्र के कुछ पश्चिमी कुटिल गुटों द्वारा ऐसे पवित्र व्यक्ति को दुर्भाव तथा विद्वेष का शिकार बनाना क्षोभित करने वाली बात है. श्री जोशी ने कहा कि यह पुस्तकसनातन धर्म के बढ़ते प्रभाव को खतरे के रूप में देखने वाले मानवताविरोधीपश्चिमी कट्टरपंथी तथा रूढ़िवादी पंथिक उन्मादी तत्वों द्वारा सनातन धर्म तथा धार्मिक आंदोलन को बदनाम करने का घृणित प्रयास है. इसके पूर्व में भी कई हिन्दू संतों को इसी प्रकार विद्वेष का शिकार बनाया गया था.
सरकार्यवाह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से वे पूज्य अम्मा तथा उनके कार्यों के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा को दोहराते हुए अम्मा तथा अन्य हिन्दू संतों एवं संस्थाओं के विरोध में रचे जा रहे सभी दुष्ट षड्यंत्रों को चुनौती देनेवाले सभी प्रयासों को सहयोग का आश्वासन देते हैं. उन्होंने अम्मा जैसी श्रद्धेय संत को बदनाम करने के प्रयासों की कड़ी भर्त्सना करते हुए समस्त हिन्दू समाज व विश्व के सुविचारी लोगों से ऐसे तत्वों को मानवता के शत्रु मानकर उनकी भर्त्सना करने का आह्वान किया.
भय्या जी जोशी ने कहा कि माता अमृतानंदमयी एक विश्व विख्यात हिन्दू संत हैं, जिनके अनुयायी सभी भौगोलिक क्षेत्रोंवर्गों एवं पंथों व सम्प्रदायों में लक्षावधि संख्या में हैं और वे उन्हें अम्मा नाम से सम्बोधित करते हैं. उन्होंने लाखों की संख्या में पीड़ित मानवता के जीवन को अपने प्रेम तथा ममता से भरे दुखनिवारक स्पर्श से अनुगृहीत किया है. दुखनिवारण के अपने अविरत प्रयासों के लिये प्रेम से गले लगाने वाली ये संत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र तथा अन्यान्य देशों द्वारा सम्मानित की जा चुकी हैं. दिव्य प्रेम की प्रतिमूर्ति अम्मा’ दुनिया के सुदूर कोने-कोने में अविरत भ्रमणअहर्निश प्रवचनभक्तों की हजारों शंकाओं का शांति से समाधान तथा हजारों पत्र व इ-मेल का उत्तर देने जैसे कार्यों में निरंतर व्यस्त रहती हैं. वे गरीब तथा जरूरतमन्द लोगों के लिये असंख्य सामाजिक सेवा के प्रकल्पों के संचालन व प्रबंधन का काम करती हैं. अपने अविरत परिश्रम के कारण उन्होंने एक विश्वव्यापी, परोपकारी अभियान को प्रेरित किया है.



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