किशनगंज (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन जी भागवत ने कहा कि भारत की युवा पीढ़ी को ज्ञानवान व विवेकवान बनाना है. इसके लिए प्रत्येक माता-पिता को अपने घर में अपनी परंपरागत संस्कृति का अनुपालन करना होगा, अन्यथा अपने ही बच्चे हमें भूल जाएंगे. वह मंगलवार 31 मार्च को सरस्वती विद्या मंदिर मोतीबाग में नवनिर्मित भवन का लोकार्पण के बाद संबोधित कर रहे थे. कहा कि किशनगंज से संबंध बहुत पुराना है, आना-जान बीच में कम हो गया था. संबंध जब बन जाता है तो बना रहता है.
उन्होंने कहा कि जो सुविधा राजधानी दिल्ली में है, ऐसी ही सुविधा देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में या अंतिम पायदान पर स्थित गांव गांव में पहुंच जाए तो देश आर्थिक दृष्टि से व विकास की दृष्टि से स्वस्थ हो जाएगा. जिसके लिए सरकार प्रयासरत है. हमने सरस्वती विद्या मंदिर को किला बनाया है, जहां से बच्चे तैयार होकर अच्छे नागरिक बनेंगे. सबको अपने साथ लेकर चलेंगे. ना कि खूब पढ़ लिख कर धन कमा कर केवल स्वयं की चिंता करने वाला बनेंगे. सीमांचल के क्षेत्रों में और भी सरस्वती विद्या मंदिर खोलने की आवश्यकता है. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज संस्कारों की शिक्षा घरों से दूर जा रही है, जिसे बरकरार रखने की आवश्यकता है.
उन्होने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा ही हाल रहा तो अपनी ही संतान उसके पिता के बुढ़ापे का सहारा नहीं बनेगी. जो आदमी अपना दायरा नहीं बढ़ाता है, वह आदमी नहीं कहलाता है. जो आदमी अपने को अलग मानता है, वह अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाता है. तब वह पशु समान बन जाता है. लेकिन पशु भी पर्यावरण का ख्याल रखते है. उन्होंने कहा कि ज्ञान की गंगा आपके क्षेत्र में आ गई है, आप इससे लाभान्वित हों.
संस्कार व ज्ञान विद्या भारती शैक्षणिक संगठन का मूल उद्देश्य है. इसलिए सीमांचल में ऐसे शैक्षणिक संस्थानों की अधिकाधिक आवश्यकता है. लगभग 45 मिनट के संबोधन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन जी भागवत ने गुरु द्रोणाचार्य, ऋषि वशिष्ठ सहित अन्य का उदाहरण दिया. विद्यालय के छात्र-छात्राओं के भव्य स्वागत नृत्य से कार्यक्रम की शुरुआत हुई.
सरस्वती विद्या मंदिर में तराशे जाते हैं अनगढ़: अहलूवालिया
सरस्वती विद्या मंदिर अनगढ़ को तराशते हुए राष्ट्रभक्त व कर्मठ बनाता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदार बलवंत सिंह ने मोतीबाग स्थित सरस्वती विद्या मंदिर परिसर में लोकार्पण समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सरस्वती विद्या मंदिर ज्ञान का वह सागर है, जो पुरानी किवंदती को चरितार्थ कर रहा है. कहा जाता है कि भारत देश में एक सरोवर था, जिसमें कौआ डूबकी लगाता तो उसका रंग सफेद हो जाता था. अर्थात काली बुद्धि को शुद्धि मिलती थी.
माता सरस्वती को साथ लेकर आए डॉ भागवत : डॉ दिलीप
विद्या की देवी मां सरस्वती समस्त संसार को सुख सुविधा से संपन्न करती हैं. माता सरस्वती के साथ सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी किशनगंज आये हैं. विधान पार्षद डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने मोतीबाग स्थित सरस्वती विद्या मंदिर परिसर में आयोजित लोकार्पण समारोह में बतौर अध्यक्ष सरसंघचालक जी का स्वागत करते कहा. उन्होंने कहा कि विद्या भारती के अंतर्गत चल रहे संस्थान हिंदुत्व एवं राष्ट्रभक्ति से अनुप्राणित शिक्षा दे रहे हैं. युवा राष्ट्र के निर्माण में अग्रसर रहें. सरसंघचालक जी से हाथों से भवन का लोकार्पण हम लोगों के लिए गर्व की बात है.
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