Wednesday, April 15, 2015

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे बाबा साहेब आंबेडकर – डॉ कृष्ण गोपाल जी

काशी (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि जिस प्रकार किसी मंदिर में जाने से मन व आत्मा प्रफुल्लित होती है, वैसी ही अनुभूति काशी हिन्दू विवि में प्रवेश करने से होती है. बीएचयू के शताब्दी वर्ष का शुभारंभ होते ही महामना को भारत रत्न मिलना, यह सुखद संयोग है, हालांकि भारत रत्न देरी से मिला पर उचित समय पर मिला. बीएचयू महामना का शाश्वत मानसपुत्र व विग्रह है. उनकी कल्पनाएं बीएचयू में सन्निहित हैं. सर सरकार्यवाह जी बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. बीएचयू के स्वतंत्रता सभागार में डॉ भीमराव आंबेडकर – व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया था.
उन्होंने कहा कि जन्म के 125 वर्ष बाद भी डॉ आंबेडकर का व्यक्तित्व विश्वविख्यात है, उनके जीवन पर समग्रता से चिंतन, विश्लेषण करने की अधिक जरूरत है. एक पक्ष को लेकर भ्रम फैलाना ठीक नहीं है. देश जब पराधीनता की त्रासदी झेल रहा था, ऐसे समय में बाबा साहेब का जन्म हुआ था. उस समय देश की जनसंख्या का बड़ा वर्ग तिरस्कृत व वंचित था. वर्ग को समानता का हक दिलवाने के लिये डॉ आंबेडकर ने संघर्ष किया, समाज में जिन लोगों के पास वाणी नहीं थी, उन्हें वाणी दी. जिन्हें सम्मान नहीं मिलता था, उन्हें सम्मान दिया. लोगों को सम्मान के साथ जीने का हक दिया. डॉ आंबेडकर ने कभी ब्राह्मणों का विरोध नहीं किया, उनके अनेक सहयोगी ब्राह्मण थे.
BHU Kashi (5)उन्होंने कहा कि डॉ आंबेडकर ने श्रममंत्री रहते श्रमनीति तैयार की, साथ ही अनके विषयों पर शोध प्रबंध भी लिखे. वे विधि मंत्री, संपादक, वक्ता, लेखक के साथ बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. बड़ौदा में जब उन्हें वंचित वर्ग का होने के कारण धर्मशाला से बाहर निकाल दिया गया तो उन्होंने समाज सुधारने का संकल्प लिया तथा अपनी पूरी शक्ति सामाजिक व्यवस्था को सुधारने में लगा दी. उन्होंने भगवान बुद्ध. संत कबीर, महात्मा फूले के दर्शन को आत्मसात किया.
डॉ कृष्ण गोपाल जी ने बताया कि महामना मदन मोहन मालवीय अनुसूचित जाति के लोगों के साथ बीएचयू के लंका गेट से दशाश्वमेध घाट तक छह घंटे पैदल चलकर गए, व उन्हें दीक्षा दी. इस दौरान महामना को को स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. लेकिन महामना ने उन्हें गंगा स्नान करवाकर रामनामी ओढ़ाई. डॉ आंबेडकर भी कहते थे कि धर्म ही है जो सद्गुणों की वृद्धि करता है, धर्म जीवन का संबल है, मैं धर्म विहिन समाज की कल्पना भी नहीं करता हूं. पर, धर्म का अर्थ कर्मकांड नहीं. सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि भारत के अंदर वह क्षमता है, हर विपरीत परिस्थिति में भी एकरूपता बनाई जाती है. डॉ आंबेडकर ने मराठी भाषी होने के बावजूद कहा था कि हिंदी ही एकमात्र भाषा है जो सबको जोड़कर रखती है. उन्होंने बौद्ध मत स्वीकार किया, बौद्ध मत और हिंदुत्व दर्शन एक दूसरे से मिलते जुलते हैं. उन्होंने बीएचयू से डॉ आंबेडकर पर शोध प्रबंध शुरू करने का आग्रह किया, जिससे लोग उनके जीवन दर्शन की समग्रता को समझें.
BHU kashiअध्यक्षीय भाषण में विवि के कुलपति प्रो त्रिपाठी ने कहा कि आने वाले समय में उच्च शिक्षा के क्षेत्र की चुनौतियां शिक्षाविदों के समक्ष हैं, शताब्दी वर्ष के व्याख्यानों की श्रृंखला में यह प्रथम व्याख्यान है. आज समूचे विश्व के समक्ष भारतीय दर्शन की प्रसांगिकता बढ़ गयी है, डॉ आंबेडकर राष्ट्रीय महापुरुष व युगदृष्टा थे. कुलपति ने कहा कि मैं बिना किसी जाति, वर्ग के भेदभाव के बीचयू को हमामना के आदर्शों के अनुरूप ले जाने का प्रयास करुंगा. व्याख्यान के दौरान पाञ्चजन्य, आर्गेनाइजर साप्ताहिक पत्रिकाओं द्वारा प्रकाशित डॉ आंबेडकर पर संग्रहणीय अंक का विमोचन भी किया गया.

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