जोधपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जोधपुर महानगर द्वारा बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर की १२५वीं जयंती पर टाउन हॉल में समरसता समागम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में सेवा बस्तियों के सैकड़ों नवयुवकों सहित शहर के अनेक नागरिकों ने भाग लिया.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गुजरात के प्रसिद्ध साहित्यकार, पत्रकार एवं संघ विचारक डॉ किशोर भाई मकवाना ने डॉ आंबेडकर के जीवन चरित्र को विस्तारपूर्वक रखा. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब का जीवन हिन्दू समाज में फैले जातीय भेदभाव और विषमता को समाप्त करने के लिये समर्पित था. लेखन में जातिगत ऊंच नीच की पीड़ा को कई बार व्यक्त किया और बौद्ध मत स्वीकार करके भारतीय संस्कृति के प्रति अपने प्रेम को प्रकट किया. बाबा साहेब का जीवन जितना संघर्षपूर्ण था, उतना ही देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत भी था. डॉ. भीमराव अंबेडकर महापुरुष थे. उनके साथ हमने अन्याय किया है. हमारे समाज में उनके विचारों और कार्य को राष्ट्र के पहलू में ध्यान में रखकर प्रदर्शित नहीं किया गया. उन्हें केवल दलितों के नेता, संविधान निर्माता और आरक्षण देने वाला व्यक्ति समझा गया. बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मिलेगी जब समाज से छुआछूत मिट जायेगा. कार्यक्रम में स्वामी आत्माराम महाराज “उपाध्याय” का सान्निध्य रहा. कार्यक्रम में डॉ अम्बेडकर पर पाञ्चजन्य द्वारा प्रकशित विशेष अंक का लोकार्पण भी किया गया.
बीकानेर. समरसता मंच बीकानेर द्वारा वेटनरी प्रेक्षागृह में समरसता समागम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन महानायक भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर किया गया.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास थे. उन्होंने कहा कि इस युग में जिन महापुरुषों ने राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन लगाया है, उनमे डॉ आंबेडकर एक अग्रणी महापुरुष हैं. अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से समाज के सबसे पिछड़े तबके को आगे लाने के लिए जो प्रयास किया, वही एक समर्थ राष्ट्र की नींव स्थापित हुआ. अंबेडकर का जीवन ही अपने आप मे प्रेरणास्पद और स्मरणीय है. उनका संदेश समरसता के माध्यम से एकता और अखंडता रहा. भारत की प्राचीन और सनातन संस्कृति के अध्येता और उपासक भी रहे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी केशवानन्द कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने की. कहा कि बाबा साहेब सामाजिक चेतना के अग्रदूत थे. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला कलक्टर आरती डोगरा थीं. विशिष्ट
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