नारी के बिना दुनिया की कल्पना नहीं : श्वेता भारती
-2100 कन्याओं के पैर धोकर फूलों से किया गया वंदन
-मेले में सांस्कृति कार्यक्रमों ने दिखाई नारी शक्ति की झलक
हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के दूसरे दिन कन्या पूजन में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की साध्वी श्वेता भारती ने कहा है कि नारी के बिना दुनिया की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि नारी में अपार शक्ति है, इस शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां नारी का वर्चस्व न हो। गुडग़ांव के लेजरवैली में लग रहे चार दिवसीय इस मेले में साध्वी भारती मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी।
दुनिया में महिलाओं के सम्मान को बरकरार रखने के उद्देश्य से मेले में आयोजित कन्या वंदन कार्यक्रम में 2100 छोटी-छोटी कन्याओं का पूजन किया गया। पूजन की विधि ने मेला ग्राउंड पर भारतीय सभ्यता का खाका खींच कर रख दिया। हजारों कन्याओं को सामने बैठाकर स्कूल के 2100 छात्रों ने उनके पैर पानी से धोकर पुष्प से पूजे और आरती उतारी। सभी छात्र-छात्राओं ने इस मौके पर भारतीय संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया। पूरा कन्या पूजन कार्यक्रम साध्वी श्वेता भारती के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। इस दौरान नारी शक्ति के महत्व विषय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। छोटी-छोटी बच्चियों ने विभिन्न प्रकार के पराम्परागत व संस्कृति को दर्शाते नृत्य प्रस्तुत किए।
इस मौके पर साध्वी ने कहा कि व्यवसायिक क्षेत्र के साथ-साथ अध्यात्मिक क्षेत्र में भी नारियां अग्रणी भूमिका निभा रही है। केवल हिंदू संस्कृति में ही नारी को देवी की संज्ञा दी गई है। यह संज्ञा नारी में छुपी अपार शक्ति के कारण दी गई है। भारतीय नारी को पाश्चत्य संस्कृति के आवरण को छोडक़र भारत की इस आदर्श शक्ति को आत्मसात करना होगा तभी समाज में फैली कुरीतियों का निराकरण होगा। कार्यक्रम में मुरथल के स्वामी दयानंद सरस्वती, संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख गुणवंत कोठारी, मेला समिति के संरक्षक पवन जिंदल, संघ के प्रांत प्रचारक सुधीर कुमार, एक्वालाइट के चेयरमैन अनिल गुप्ता, पिरामिड गु्रप के दिनेश शर्मा, उद्योगपति प्रमोद राधव उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम मेला समिति उपाध्यक्ष रितु गोयल की देखरेख में हुआ। जबकि विशेष आमंत्रित रेणु पाठक, लता, सरीता व रश्मि आदि भी मौजूद रही।
-पेंटिंग प्रतियोगिता ने जिंदा कर दिए कई मुद्दे, अनेक प्रदेशों के पेंटर्स ने लिया हिस्सा
दोपहर 12 बजे हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले में आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता में पेंटिंग करने वाले कलाकारों ने अपनी कलम से कई मुद्दों को जिंदा कर दिया। पानीपत के गांव फरीदपुर के कलाकार अनिल की पेंटिंग ने प्राकृतिक और महिला को बराबर का दर्जा दिया। प्राकृतिक को मां के रूप में दर्शाया गया तो महिलाओं को भी बेटी और मां के रूप में प्रस्तुत किया। यह पेंटिंग प्राकृतिक और बेटी बचाओ का संदेश भी देते हुए दिखाई दी। अनिल ने कहा कि प्रकृति हमारी मां है और मां तो मां होती ही है। बेटी ही मां बनती है। इसलिए बेटी को बचाओंगे तो मां बचेगी। आसाम के नारोत्तम ने प्रकृति को हिंदू धर्म की संस्कृति से जोड़ा। पेंटिंग में चित्रों से उकेरा गया कि केवल हिंदू संस्कृति ही ऐसी है, जो प्राकृति को बचा सकती है, क्योंकि यह संस्कृति ही सब जीवों की रक्षा करने वाली है। दिल्ली की यासमीन ने भी प्राकृतिक की रक्षा का संदेश अपनी पेंटिंग से दिया। इस प्रतियोगिता में 15 राज्यों के 140 चित्रकारों ने हिस्सा लिया। जिसमें अधिकांश हरियाणा के थे और अधिकांश पेंटिंग प्राकृतिक और बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओं का संदेश दे रही थी।
अध्यात्म और सेवा से भारत दुनिया को जीतेगा: गुरुमां आनंदमूर्ति
हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले में दोपहर बाद आयोजित संभाषण प्रतियोगिता मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची श्रीचेतन्य आश्रम की अधिष्ठाता गुरुमां आनंद मूर्ति ने कहा है कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता व परम्पराओं से अभिभूत होकर विदेशी संस्कृति के लोग भारत की परम्पराओं को अपना रहे हैं, लेकिन दुरभाज्य यह है कि भारत के लोग ही अपनी सनात्तन संस्कृति संस्कृति से विमुख हो रहे हैं। भोगवाद को देखने के लिए अब विदेश जाने की आवश्यकता नहीं, बल्कि अपने देश में ही इस संस्कृति की झलक दिखाई दे रही है। ऐसे वातावरण में आध्यात्मिक एवं सेवा कार्यों की आवश्यकता है।
गुरुमां के सानिध्य में आयोजित संभाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए विश्वविद्यालयों और महाविद्यालियों के विद्यार्थियों ने भी देश भक्ति का रंग जमा दिया। मेले को लेकर मेले से पहले सभी कालेजों में हुई संभाषण प्रतियोगिता के 15 विजेता विद्यार्थी यहां पहुंचे थे। इन सभी विद्यार्थियों ने मेले में हुई संभाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और प्राकृतिक और देश भक्ति पर भाषण दिया। अधिकांश विद्यार्थियों ने कहा कि भारत देश ऐसा है, जिसने दुनिया को बताया कि प्राकृतिक क्या है और इसी पर कैसे मानव जीवन आधारित है।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए गुरुमां ने कहा कि हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला आयोजन समिति ने यह आयोजन कर निश्चित तौर पर भटकती हुई भरतीय संस्कृति के पून: जागरण का सार्थक पर्यास किया है। उन्होंने कहा कि अश£ीलता व मादक पदार्थों का सेवन ही आधुनिकता नहीं है बल्कि विचारों में आधुनिकता आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राकृति का पूजन और कनया वंदन ही हमें सही रास्ते पर ला सकता है। मंदिर में हम जाएं या ना जाएं लेकिन किसी गरीब, असहाय व जरूरतमंदों की सेवा करना ही परमात्मा की सबसे बड़ी पूजा है। अध्यात्म और सेवा ही भारत की अमूल्य धरोहर है हमें इसे आत्मसात करना चाहिए। इस कार्यक्रम में मूरथल के स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी दिगंबर महाराज आदि भी मौजूद रहे।
हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले के दूसरे दिन की झलकियां
1. कटपुतली को देखने के लिए विद्यार्थियों की भीड़ लगी रही।
2. स्कूल के विद्यार्थियों के अलावा मेले में पहुंचने वाले अधिकांश लोग विभिन्न कार्यक्रमों में उपस्थित कलाकारों के साथ सेल्फी लेते दिखाई दिए।
3. मेले में दर्शाई जा रही भारतीय संस्कृति की झलकियों को देखने के लिए दूसरे दिन भी विदेशी मेहमानों का तांता लगा रहा।
4. रूस की बलेरिया कोडोतोसा ने यहां आयोजित संभाषण प्रतियोगिता में अपना भाषण रखा और भारतीय संस्कृति को अनुपम बताया।
5. रूस के ही सेंट पीटरवर्ग के निवासी मिखाइला ने भी मेले में घूमते हुए यहां लगाई गई सेवा कार्यों की स्टालों की प्रशंसा की।
6. दोनों स्टेजों पर आयोजित कार्यक्रमों में नृत्य कार्यक्रम तो रखे ही गए, साथ ही मेला ग्राउंड में भी विभिन्न राज्यों से आए कलाकार अपने अपने लोक गीतों के साथ नृत्य की प्रस्तुति देते रहे।
7. गुरु मां और साध्वी श्वेता भारती ने जब मेला प्रंगण में प्रवेश किया तो अधिकांश लोग उनके पैर छूते दिखाई दिए।
8. स्टाल लगाने वाली स्टालों पर भी दूसरे दिन अधिक भीड़ रही।
9. युवक ही नहीं बल्कि कुछ बुजुर्ग लोग भी अपने लोकगीतों पर नाचते गाते दिखाई दिए।
10. मेले में सभ्य ग्रामीण प्रवेश को दर्शाने के लिए बनाई गई झोपड़ी को देखने के लिए भी भीड़ जुटी रही।
11. तनाव भगाने के लिए भी मेले में पहुंच रहे हैं लोग। कुछ लोगों का कहना था कि रोजाना की दौड़भाग में ऐसे मेले राहत का काम करते हैं। मानसिक राहत देते हैं।
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