काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में बसंत पंचमी पर पथसंचलन का आयोजन
वाराणसी (विसंकें). भारतरत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय जी की तपोस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के 101 वर्ष पूर्ण होने पर परम्परागत रूप से इस वर्ष भी बसंत पंचमी के अवसर पर विश्वविद्यालय के स्वयंसेवकों ने सधे कदमों के साथ अनुशासनबद्ध होकर नवीन गणवेश में शताब्दी पथसंचलन किया. संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरूजी तथा भारतरत्न पं. मदन मोहन मालवीय जी के विशाल चित्रों के पीछे-पीछे पूर्ण गणवेश में पंक्तिबद्ध होकर स्वयंसेवकों ने घोष की थाप पर पथसंचलन किया. सिंहद्वार सहित अनेक स्थानों पर लोगों ने पथसंचलन का स्वागत किया.
इस पावन अवसर पर कृषि मैदान में स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं संघ के क्षेत्र संघचालक प्रो. देवेन्द्र प्रताप सिंह जी ने कहा कि महामना के रोम-रोम में हिन्दुत्व समाया था. महामना ने 20 अप्रैल 1929 में नागपुर जाकर संघ संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार से मिलकर संघ कार्य को आशीर्वाद दिया था. डॉ. हेडगेवार ने महामना से जन की अपेक्षा की थी. महाराष्ट्र से बाहर संघ की पहली शाखा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लगी. संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ही स्वयंसेवक बने. संघ संस्थापक पू. डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार सन् 1937 में काशी आये थे और घोष के साथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पथसंचलन निकला था.
प्रो. सिंह ने कहा कि मालवीय जी स्वयं में राजनेता, अधिवक्ता, देशभक्त व कुशल संगठक थे. महामना की इच्छा थी कि हिन्दू समाज संगठित हो, इस दृष्टि से देश में चलने वाले बहुविधि प्रयत्नों को उन्होंने सदैव प्रेरणा, सहयोग और अपना आशीर्वाद प्रदान किया.
कार्यक्रम के शुभारम्भ में कुश पाण्डेय एवं उनके सहयोगियों ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलगीत गाया. प्रत्येक वर्ष की भांति पूर्वान्ह 02.00 बजे स्वयंसेवक कृषि मैदान में पथसंचलन हेतु एकत्रित हुए. बौद्धिक कार्यक्रम के बाद कृषि मैदान से ही स्वयंसेवकों ने पथसंचलन किया. पथसंचलन भारत कला भवन, मधुवन मार्ग से होते हुए सिंहद्वार, संत रविदास द्वार, ट्रामा सेण्टर होते हुए विश्वविद्यालय स्थापना स्थल पर पहुंचा और वंदेमातरम् के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथियों का परिचय डॉ. सुनील मिश्र ने कराया. मंचासीन अतिथियों में प्रमुख रूप से संस्कार भारती के सह संगठन मंत्री अमीरचन्द्र जी, जिला संघचालक डॉ. शुकदेव जी सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे.
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