गुरुग्राम (विसंकें). हरियाणा के गुरुग्राम (गुड़गांव) के लेजरवैली पार्क में गुरुवार को हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले की भव्य शुरुआत हुई. भारतीय संस्कृति, सभ्यता, हिन्दू संस्कारों के साथ-साथ हिन्दुओं के सेवा कार्य को दुनिया के सामने रखने के उद्देश्य से शुरू हुए इस मेले में ज्ञानानंद जी महाराज ने गंगा पूजन, गोधन पूजन, तुलसी पूजन करके प्रकृति वंदन किया. मेले में पहुंचे लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था. विदेशी लोग भी मेले में भारतीय संस्कृति की झलक देखने पहुंचे. वे यहां भारतीय कलाकारों के साथ जमकर झूमे. मेले में 250 सामाजिक संस्थाएं अपने-अपने स्टॉल लगाकर समाज में किए जा रहे सेवा कार्यों की झलक प्रस्तुत कर रही हैं. शाम चार बजे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की.
ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि ‘प्रकृति वंदन से ही पर्यावरण को संतुलित रखा जा सकता है. हिन्दू परंपरा व संस्कृति केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं देखी जा सकती, बल्कि यह दुनिया के लिए जीने का मार्ग भी है. हिन्दू संस्कृति दुनिया को दिशा देने वाली है और यही कारण है कि हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले जैसे आयोजनों की जरूरत पड़ी. दुनिया को एक परिवार के रूप में केवल हिन्दू संस्कृति बांध सकती है. हिन्दू संस्कृति में प्रकृति वंदन का अत्यंत महत्व है, क्योंकि प्रकृति बेहतर है तो सब बेहतर है और इसे बेहतर रखने के लिए हिन्दू संस्कार ही सर्वोत्तम हैं.’
सैकड़ों महिलाओं ने कलश लेकर हिन्दू रीति-रिवाजों से प्रकृति वंदन किया. इस मौके पर अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत कोठारी जी, हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला संस्थान के संरक्षक पवन जिंदल जी सहित अनेक गणमान्य लोगों ने भी पूजा में हिस्सा लिया.
राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने कहा कि भारत देवताओं की भूमि है. भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है. शांति का पाठ पढ़ाया है. लेकिन हमें भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करनी होगी. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला संस्कृति की रक्षा के लिए उत्तम माध्यम है. इस अवसर पर हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला के अंतरराष्ट्रीय पालक गुणवंत सिंह कोठारी जी ने कहा कि वर्तमान समय में इस तरह के मेलों के आयोजन की अति आवश्यकता है, क्योंकि भारतीय दर्शन और चिंतन ही दुनिया को शांति भाईचारा, सदभाव की प्रेरणा दे सकता है. केवल भारत ही नहीं, बल्कि पाश्चात्य संस्कृति के लोग भी समझने लगे हैं कि भारत की पारिवारिक परम्पराएं हैं, वही परंपरा वर्तमान में सामाजिक कुरितियों को दूर कर सकती है. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह, स्वामी परमात्मानंद जी महाराज, जीवीएम ग्रुप के चेयरमैन एसके आर्य, मेला समिति के सदस्य आर. राज लक्ष्मी, मिंडा ग्रुप के निर्मल मिंडा, जसपाल सिंह, गुरुनानक सेवा ग्राम के सरबजीत सिंह, उद्योगपति नरेन्द्र गुप्ता, ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी, मेला समिति के अध्यक्ष राकेश अग्रवाल, सचिव विकास कपूर, प्रांत कार्यवाह देव प्रसाद भारद्वाज आदि प्रमुख लोग उपस्थित थे.
खेल प्रतियोगिताओं के विजेता खिलाड़ियों को किया पुरस्कृत
मेले में दो मुख्य स्टेज बनाए गए. मुख्य स्टेज पर प्रकृति वंदन किया गया तो दूसरे स्टेज पर उन विद्यार्थियों व खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया गया, जिन्होंने मेले से संबंधित पिछले दिनों हुई खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था. मुख्यमंत्री के सलाहकार योगेन्द्र मलिक, शीतला माता मंदिर के सीईओ वत्सल वशिष्ठ एवं गौ सेवा आयोग के चेयरमैन भानीराम मंगला ने विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया.
भारतीय संस्कृति की झलक देखकर विदेशी बोले ‘इंक्रेडिबल इंडिया’
विदेशी सैलानियों ने भी हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में पहुंचकर भारतीय संस्कृति को समझने की कोशिश की. सांस्कृतिक कार्यक्रम तो उन्हें इतने भाए कि वे झूमे बिना नहीं रह सके. जर्मनी से आईं क्रिस्टोफर केलेन ने कहा कि वे दिल्ली घूमने आई थीं, लेकिन जब उन्हें पता चला कि गुरुग्राम में हिन्दू संस्कृति को प्रस्तुत करता मेला लगने वाला है तो वे अपने आपको यहां आने से रोक नहीं पाईं. उन्होंने कहा कि वास्तव में यहां उन्हें ऐसी सांस्कृतिक विविधता दिखाई दी, जो दुनिया में शायद ही कहीं हो. अपने परिवार के साथ भारत घूमने आए जैक और उनकी पत्नी भी मेले में नृत्य कर रहे कलाकारों के साथ जमकर झूमे. बड़ी संख्या में पहुंचे विदेशी सैलानी जैसे-जैसे भारतीय संस्कूति की झलक देख रहे थे तो उनके मुंह से निकल रहा था- ‘दिस इज इंक्रेडिबल इंडिया.’
मेले में मेवात की भी झलक
वैसे तो मेले में अनेक प्रदेशों से 250 सामाजिक संस्थाओं ने स्टॉल लगाकर समाज को अपनी-अपनी दृष्टि से प्रस्तुत किया, लेकिन हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में एक सामाजिक संस्था ने मेवात की वास्तविक कहानी भी प्रस्तुत की. मेवात अध्ययन केन्द्र द्वारा लगाए स्टॉल पर मेवात का इतिहास, मेवात की सांस्कूतिक विरासतें, यहां स्थित प्रमुख मंदिरों की झलक प्रस्तुत की गई है. स्टॉल पर बैठे संस्था के कार्यकर्ताओं ने मेले में पहुंच रहे लोगों को मेवात की वास्तविक स्थिति से अवगत कराया और बताया कि मेवात में एतिहासिक परंपराओं व संस्कृति को कैसे बचाया जा सकता है.
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