दीनदयाल जी का विचार अपनी भारतीय परंपरा का काल सुसंगत प्रकटीकरण है – डॉ. मोहन भाभोपाल (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी ने 11 फरवरी को भारत भवन में सुबह वरिष्ठ पत्रकार विजय मनोहर तिवारी की पुस्तक ‘भारत की खोज में मेरे पांच साल’ का विमोचन किया. सरसंघचालक जी ने इस किताब को देशभक्ति के साहित्य संभार में एक और महत्वपूर्ण संस्करण बताते हुए इसकी प्रसंशा की.
विजय मनोहर तिवारी ने बताया कि उन्होंने 8 बार भारत के अलग अलग शहरों की यात्राएँ की और भारत को करीब से जानने की कोशिश की. कहा कि जिस देश से हम इतनी मोहब्बत करते हैं, उससे हमारा परिचय बहुत ही मामूली है.
पुस्तक में समाहित हैं यात्राओं के अनुभव –
पुस्तक विजय मनोहर तिवारी द्वारा पांच साल तक की गई आठ यात्राओं पर केंद्रित वृत्तांत है. इन यात्राओं में गांव, शहर, राजधानी, तीर्थ, नदी, पहाड़, खंडहर, धार्मिक उत्सव सहित विधानसभा और लोकसभा से जुड़े कई पहलुओं और अनुभव का वर्णन किया गया है. पुस्तक में 25 कहानियां और लगभग 500 पृष्ठ हैं. इसमें कई ऐसे किरदारों की कहानियां है, जो भारत के विकास में अपने मूल काम के अलावा कुछ नया कर रहे हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि के कुलपति बृजकिशोर कुठियालाजी और प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव ने भी पुस्तक के अलग-अलग अध्यायों से जुड़े अपने विचार रखे. मनोज श्रीवास्तव जी ने कहा कि विजय मनोहर तिवारी ने भारत को एक अलग दृष्टि से देखने की कोशिश की है, जो आमतौर पर कहीं और देखने को नहीं मिलती.
सरसंघचालक जी ने किया माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कैलेंडर का विमोचन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कैलेंडर का विमोचन किया. कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला भी उपस्थित थे. सरसंघचालक जी ने कैलेंडर के विषय और उसके आकल्पन की सराहना की. विश्वविद्यालय का वर्ष 2017 का कैलेंडर भारत की ज्ञान परंपरा पर केन्द्रित है. 12 पृष्ठीय कैलेंडर में पृथक-पृथक पृष्ठों पर चार वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्वेद एवं सामवेद की व्याख्या के साथ उपनिषद्, रामायण, महाभारत और गीता को रेखांकित किया गया है.
व्याख्यान माला (पं. दीनदयाल उपाध्याय : एक विचार)
चरैवेति के तत्वावधान में पं. दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत दोपहर 3 बजे संत हिरदाराम गर्ल्स कॉलेज, संत हिरदाराम नगर, बैरागढ़ में ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय-एक विचार’ पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में सरसंघचालक जी उपस्थित रहे. उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि दीनदयाल जी मात्र एक व्यक्ति नहीं थे, वे विचारों का समूह थे. दीनदयाल जी का विचार अपनी भारतीय परंपरा का काल सुसंगत प्रकटीकरण है. विचार को जीने वाले व्यक्ति को उसके साथ एकात्म होना चाहिए. दीनदयाल जी के एकात्म मानवदर्शन के सिद्धांत का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि सिद्धांत को व्यवहारिक जीवन में जीने वाले व्यक्ति थे दीनदयाल जी. पूर्ण समर्पण दीनदयाल जी के जीवन में था, इस बात को उन्होंने संस्कृत के एक श्लोक के साथ बताया
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