राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक सोहन सिंह की स्मृति में तालकटोरा स्टेडियम में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
नई दिल्ली. राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में शनिवार सायं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. श्री सोहन सिंह की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत, भारत सरकार के गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विश्व हिंदू परिषद् के संरक्षक अशोक सिंघल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. सोहन सिंह जी का निधन गत 4 जुलाई को हुआ था.
सोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि हम सब जानते हैं कि इस जगत में कोई सदा रहने के लिए नहीं आता. भगवान भी अवतार लेते हैं तो उनको भी जाना पड़ता है. परन्तु कुछ लोग आते हैं और जीवन कैसा जीना, इसका उदाहरण बनकर अन्यों के लिए प्रकाश डालते हैं. सोहन सिंह जी का स्वयंसेवकों के साथ परिवार जैसा संबंध था. वे संघ के कार्यकर्ताओं में एक मानक थे. उनके जाने से रिक्तता पैदा हुई है, लेकिन ऐसे लोगों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि उनका स्मरण कर जीवन में और आगे चलने के लिए रखें. राह कैसी चलना यह उन्होंने हमें दिखा दिया और आगे हमें उस राह पर चलना चाहिए. सोहन सिंह जी के काम करने में कभी कोई नाटक नहीं था. उन्होंने बड़ा होने के लिए कुछ नहीं किया. सहज और स्वाभाविक रूप से रहे. उनका अभिभावक का भाव था, चिंता जरूर करते थे. उनके मन में कभी भी अहंकार का भाव नहीं आया कि मैं दूसरों को सिखाने वाला हूँ. कार्य के प्रति उनका पूर्ण समर्पण था, उनसे यह संपूर्ण समर्पण हमें सीखना चाहिए. संघ के कार्यकर्ता को कैसा होना चाहिए, व्यवहार कैसा होना चाहिए यह भी हमें सीखना चाहिए. सोहन सिंह जी का स्मरण किया जा सकता है. उनके जीवन को अपने आचरण से जीवित रखना है. अपने जीवन में उस आचरण को आगे बढ़ाना चाहिए. उस परम्परा को आगे बढ़ाना है, उन्हें ज्यादा आनंद मिलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि के तौर पर संदेश भेजा. उन्होंने अपने सन्देश में कहा कि सोहन सिंह जी ने अपने जीवन में आचार संहिता के पालन में उंच-नीच नहीं होने दी. ऐसे व्यक्तित्व का चला जाना खालीपन का अहसास कराता रहेगा. प्रधानमंत्री का संदेश आलोक कुमार ने पढ़कर सुनाया.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सोहन सिंह जी से मेरा व्यक्तिगत और नजदीक का परिचय नहीं था, लेकिन उनके बारे हर किसी ने यही कहा कि कर्मयोगी थे. उनके जीवन से लगता है कि साधारण कार्यकर्ता अपने जीवन में असाधारण कर सकता है. ऐसे व्यक्तित्व के बारे में सुनकर लगता है कि आदमी पद के कारण ही बड़ा नहीं होता, अपनी कृतियों से भी बड़ा हो सकता है. अंतिम दिनों में भी उन्होंने किसी सहयोगी को सेवा के लिए नहीं लिया. भारत की संस्कृति का उपासक बड़े मन का होता है. बड़े मन का व्यक्ति ही आध्यात्मिक होता है. वे एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थे. ऐसे व्यक्तित्व के लिए श्रद्धांजलि की जरूरत नहीं होती. ऐसे लोगों का व्यक्तित्व लोगों के लिए प्रेरणा बन जाता है.
विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा कि मेरा सोहन सिंह जी से परिचय 1953-54 में हुआ. उनके द्वारा निर्मित कार्यकर्ताओं का जीवन भी उनकी तरह ही कठोर रहा. उस काल में प्रचारक पद्धति की आवश्यकता थी और सोहन सिंह प्रचारक बने. वे स्वतंत्रता से पूर्व प्रचारक निकले. व्यतिगत संबंध ज्यादा नहीं आया, लेकिन जितना भी संबंध आया उससे यही कहा जा सकता है वे कठोर कर्म करने वाले थे. उनके जीवन जैसा जीवन आज हो तो देश फिर से अच्छी स्थिति में पहुंच सकता है.
उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि सोहन सिंह जी व्यक्ति निर्माण कला के मर्मज्ञ थे. सैकड़ों कार्यकर्ताओं को उन्होंने गढ़ा. कार्यकर्ताओं की खूब संभाल करते थे. वे कर्तव्य कठोर थे. अत्यंत परिश्रम करते थे, बहुत लोगों ने देखा होगा. स्वयं के लिए बहुत कठोर थे. अस्वस्थता के बारे में किसी से कुछ नहीं बोलते थे. अंतिम दिनों में भी खुद से ही अपने कपड़े धोए. ऐसे श्रेष्ठ कार्यकर्ता का जीवन हमें प्रेरणा देता रहेगा. समारोह में रेवासा पीठाधीष्वर संत राघवाचार्य वेदांती और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश चंद्र ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की. उनके बड़े भाई के पौत्र तथा पौत्री ने भी परिवार की और से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
समारोह में सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी, दत्तात्रेय होसबले, डॉ. कृष्णगोपाल जी, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य, सह प्रचार प्रमुख जे. नंद कुमार, अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख अरुण कुमार, उत्तर क्षेत्र प्रचारक प्रेम कुमार, दिल्ली के प्रांत संघचालक कुलभूषण आहुजा, भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल, शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के अतुल कोठारी, दीनानाथ बत्रा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के संगठन मंत्री सुनील अांबेकर समेत सैकड़ों की तादाद में संघ के स्वयंसेवक और अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद थे।
कार्यक्रम के समापन पर सभी ने मौन रखने के बाद शान्ति मंत्र किया।
नई दिल्ली. राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में शनिवार सायं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. श्री सोहन सिंह की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत, भारत सरकार के गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विश्व हिंदू परिषद् के संरक्षक अशोक सिंघल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. सोहन सिंह जी का निधन गत 4 जुलाई को हुआ था.
सोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि हम सब जानते हैं कि इस जगत में कोई सदा रहने के लिए नहीं आता. भगवान भी अवतार लेते हैं तो उनको भी जाना पड़ता है. परन्तु कुछ लोग आते हैं और जीवन कैसा जीना, इसका उदाहरण बनकर अन्यों के लिए प्रकाश डालते हैं. सोहन सिंह जी का स्वयंसेवकों के साथ परिवार जैसा संबंध था. वे संघ के कार्यकर्ताओं में एक मानक थे. उनके जाने से रिक्तता पैदा हुई है, लेकिन ऐसे लोगों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि उनका स्मरण कर जीवन में और आगे चलने के लिए रखें. राह कैसी चलना यह उन्होंने हमें दिखा दिया और आगे हमें उस राह पर चलना चाहिए. सोहन सिंह जी के काम करने में कभी कोई नाटक नहीं था. उन्होंने बड़ा होने के लिए कुछ नहीं किया. सहज और स्वाभाविक रूप से रहे. उनका अभिभावक का भाव था, चिंता जरूर करते थे. उनके मन में कभी भी अहंकार का भाव नहीं आया कि मैं दूसरों को सिखाने वाला हूँ. कार्य के प्रति उनका पूर्ण समर्पण था, उनसे यह संपूर्ण समर्पण हमें सीखना चाहिए. संघ के कार्यकर्ता को कैसा होना चाहिए, व्यवहार कैसा होना चाहिए यह भी हमें सीखना चाहिए. सोहन सिंह जी का स्मरण किया जा सकता है. उनके जीवन को अपने आचरण से जीवित रखना है. अपने जीवन में उस आचरण को आगे बढ़ाना चाहिए. उस परम्परा को आगे बढ़ाना है, उन्हें ज्यादा आनंद मिलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि के तौर पर संदेश भेजा. उन्होंने अपने सन्देश में कहा कि सोहन सिंह जी ने अपने जीवन में आचार संहिता के पालन में उंच-नीच नहीं होने दी. ऐसे व्यक्तित्व का चला जाना खालीपन का अहसास कराता रहेगा. प्रधानमंत्री का संदेश आलोक कुमार ने पढ़कर सुनाया.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सोहन सिंह जी से मेरा व्यक्तिगत और नजदीक का परिचय नहीं था, लेकिन उनके बारे हर किसी ने यही कहा कि कर्मयोगी थे. उनके जीवन से लगता है कि साधारण कार्यकर्ता अपने जीवन में असाधारण कर सकता है. ऐसे व्यक्तित्व के बारे में सुनकर लगता है कि आदमी पद के कारण ही बड़ा नहीं होता, अपनी कृतियों से भी बड़ा हो सकता है. अंतिम दिनों में भी उन्होंने किसी सहयोगी को सेवा के लिए नहीं लिया. भारत की संस्कृति का उपासक बड़े मन का होता है. बड़े मन का व्यक्ति ही आध्यात्मिक होता है. वे एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थे. ऐसे व्यक्तित्व के लिए श्रद्धांजलि की जरूरत नहीं होती. ऐसे लोगों का व्यक्तित्व लोगों के लिए प्रेरणा बन जाता है.
विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा कि मेरा सोहन सिंह जी से परिचय 1953-54 में हुआ. उनके द्वारा निर्मित कार्यकर्ताओं का जीवन भी उनकी तरह ही कठोर रहा. उस काल में प्रचारक पद्धति की आवश्यकता थी और सोहन सिंह प्रचारक बने. वे स्वतंत्रता से पूर्व प्रचारक निकले. व्यतिगत संबंध ज्यादा नहीं आया, लेकिन जितना भी संबंध आया उससे यही कहा जा सकता है वे कठोर कर्म करने वाले थे. उनके जीवन जैसा जीवन आज हो तो देश फिर से अच्छी स्थिति में पहुंच सकता है.
उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि सोहन सिंह जी व्यक्ति निर्माण कला के मर्मज्ञ थे. सैकड़ों कार्यकर्ताओं को उन्होंने गढ़ा. कार्यकर्ताओं की खूब संभाल करते थे. वे कर्तव्य कठोर थे. अत्यंत परिश्रम करते थे, बहुत लोगों ने देखा होगा. स्वयं के लिए बहुत कठोर थे. अस्वस्थता के बारे में किसी से कुछ नहीं बोलते थे. अंतिम दिनों में भी खुद से ही अपने कपड़े धोए. ऐसे श्रेष्ठ कार्यकर्ता का जीवन हमें प्रेरणा देता रहेगा. समारोह में रेवासा पीठाधीष्वर संत राघवाचार्य वेदांती और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश चंद्र ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की. उनके बड़े भाई के पौत्र तथा पौत्री ने भी परिवार की और से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
समारोह में सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी, दत्तात्रेय होसबले, डॉ. कृष्णगोपाल जी, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य, सह प्रचार प्रमुख जे. नंद कुमार, अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख अरुण कुमार, उत्तर क्षेत्र प्रचारक प्रेम कुमार, दिल्ली के प्रांत संघचालक कुलभूषण आहुजा, भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल, शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के अतुल कोठारी, दीनानाथ बत्रा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के संगठन मंत्री सुनील अांबेकर समेत सैकड़ों की तादाद में संघ के स्वयंसेवक और अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद थे।
कार्यक्रम के समापन पर सभी ने मौन रखने के बाद शान्ति मंत्र किया।
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