वाराणसी (विसंकें). निवेदिता शिक्षा सदन बालिका इण्टर कालेज, तुलसीपुर, महमूरगंज में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित योग कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन मधुकर भागवत जी की उपस्थिति में स्वयंसेवकों ने सामूहिक रूप से भाग लिया. इस अवसर पर योग कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है. योग का तात्पर्य जोड़ना है, योग मात्र आसन, प्राणायाम एवं रोगोपचार तक ही सीमित नहीं है. योग मन को शरीर से, मनुष्य को प्रकृति से, विचार को कर्म से तथा परमपिता परमात्मा से आत्मा के मिलन का साधन है.
उन्होंने कहा कि योग किसी न किसी रूप में पूरे विश्व में प्रचलित है. योग जैसे ही भारत मूल के ध्यान को भी चीन एवं जापान में जेन के नाम से जाना जाता है. हजारों वर्ष पहले से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने योग को पूरे विश्व में फैलाने का प्रयास किया. योग विश्व में कई नामों से जाना जाता है – पातंजलि योग, हठ योग, लय योग, जैन योग, बौद्ध योग आदि. विश्व भी भारत की संस्कृति का गुणगान करता रहा है और इसकी महत्ता को समझ चुका है. यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुछ वर्ष पहले ऋग्वेद को विश्व धरोहर के रूप में स्वीकार किया. सह सरकार्यवाह जी ने भगवान शिव को आदि योग गुरू बताया, क्योंकि भगवान शिव ने ही सप्त ऋषियों को प्रथम बार अष्टांग योग दर्शन कराया. योग का महत्व हमारे प्रधानमंत्री जी ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान विश्व के समक्ष रखा और उनका ध्यान आकर्षित कराया. बाद में दिसम्बर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में योग को 177 देशों की मान्यता मिली और 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. रा.स्व.संघ ने भी 2015 मार्च में नागपुर में सम्पन्न अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक में एक प्रस्ताव द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णय का अभिनन्दन करते हुए सभी देशवासियों से योग दिवस में सहभागी होने के लिए आग्रह किया था. आज के दिन सैकड़ों देश योग दिवस मना रहे हैं, यह हम सब भारतवासियों के लिए गौरव का विषय है. कार्यक्रम के दौरान पू. सरसंघचालक जी, सह सरकार्यवाह जी, सहित मधुभाई कुलकर्णी जी, इन्द्रेश कुमार जी, अनिल ओक जी, क्षेत्र, प्रांत के कार्यकर्ता उपस्थित थे.
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