Tuesday, June 02, 2015

संस्कृत तृतीय भाषा नहीं, अनिवार्य भाषा बने – प्रो. चान्दकिरण सलूजा

DSC08511जोधपुर.  संस्कृत भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रो. चान्दकिरण सलूजा ने कहा कि संस्कृत जन जन की भाषा बने, संस्कृत में सभी तरह का ज्ञान निहित है. संगच्छध्वम् साथ चले अतिथि देवो भव की बात संस्कृत में ही है. जितनी भी समस्याएं समाज में है, वह संस्कृत से दूर हो सकती है. अतः संस्कृत तृतीय भाषा नहीं अनिवार्य भाषा बने विश्व के लोग संस्कृत को उत्साह के साथ सीख रहे है, एक दिन संस्कृत विश्व भाषा बनेगी. संस्कृत भारती जोधपुर प्रान्त के आवासीय शिविर सञ्चालक  प्रशिक्षण वर्ग के समारोप कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
मुख्य अतिथि सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा ने कहा कि संस्कृत वेदों की भाषा है, हमारा प्राचीन  साहित्य संस्कृत में लिखा है. अत:  हमें संस्कृत सीखनी चाहिए. विशिष्ट अतिथि उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा विभाग जोधपुर नूतन बाला कपिला ने बताया कि संस्कृत संस्कारों की भाषा है, इसमें हमारा आध्यात्मिक ज्ञान निहित है. संस्कृत का प्रचार प्रसार का काम बहुत अच्छा चल रहा है, सरकारी विद्यालयों में भी शिक्षक संस्कृत को संस्कृत के माध्यम से पढाएं.
IMG-20150601-WA0068कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आरपी सिंह ने संस्कृत को भविष्य की भाषा बताया , साथ ही कहा कि संस्कृत कम्प्यूटर के लिए बहुत ही उपयोगी भाषा है. संस्कृत भारती जोधपुर प्रान्त का आवासीय शिविर सञ्चालक प्रशिक्षण वर्ग आदर्श विद्यामन्दिर लालसागर जोधपुर में  दिनांक 22 मई 2015 से 2 जून 2015 तक आयोजित किया गया.  समापन समारोह 1 जून 2015 शाम को हुआ. अतिथियों का परिचय संस्कृत भारती जोधपुर प्रान्त के प्रान्त मन्त्री डॉ. तगसिंह राजपुरोहित ने करवाया तथा वृतनिवेदन वर्गाधिकारी लीलाधर शर्मा ने किया. धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत भारती जोधपुर प्रान्त के अध्यक्ष प्रो. सत्यप्रकाश दुबे ने किया. वर्ग में 9 जिलों के 73 शिक्षार्थी थे, जिन्हें 17 शिक्षकों ने प्रशिक्षण दिया. शिक्षार्थियों ने संस्कृत में नाटक सम्भाषण और गीत प्रस्तुत किये.

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