अजमेर (विसंकें). सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक विकास एवं समारोह समिति अजमेर, अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम एवं पर्यटन विभाग के सहयोग से 1303वां बलिदान दिवस समारोह हरिभाऊ उपाध्याय नगर स्थित दाहरसेन स्मारक पर आयोजित किया गया. अतिथियों के स्मारक में प्रवेश के बाद हिंगलाज माता की पूजा-अर्चना की गई और महापुरुषों के चित्रों के साथ महाराजा दाहरसेन की मूर्ति पर श्रद्धा-सुमन अर्पित किए.
समारोह की शुरुआत कुमारी ममता तुलस्यिाणी की ओर से प्रस्तुत राष्ट्रगीत वन्देमातरम् के साथ हुआ. इसके बाद संतों का माला व शॉल पहनाकर स्वागत किया गया. स्वागत भाषण के बाद अनिता जी भदेल राज्य मंत्री महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, ओंकार सिंह जी लखावत अध्यक्ष राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रौन्नति प्राधिकरण ने संबोधित किया. चम्पालाल जी महाराज मुख्य उपासक भैरवधाम, राजगढ़ और स्वामी श्यामदास जी, बालकधाम किशनगढ़, स्वामी आत्मदास निर्मलधाम ने आशीर्वचन देते हुये स्मारक को सनातन धर्म प्रचार का केन्द्र बताया.
तृतीय राष्ट्रीय सम्मान सीमाजन कल्याण समिति जोधपुर को मिला
सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन समिति तृतीय राष्ट्रीय सम्मान सीमाजन कल्याण समिति, जोधपुर को दिया गया. समिति के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया गया. संतों ने रुपये 51000 का ड्राफ्ट, शॉल, श्रीफल, माला पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं का अभिनंदन किया. महामंत्री बंशीलाल जी भाटी ने कहा कि यह सम्मान समिति के कार्यकर्ताओं के त्याग के कारण प्राप्त हुआ है. राशि का उपयोग सेवा कार्यों के साथ महाराजा दाहरसेन के बलिदान से प्रेरणा लेकर शिक्षा क्षेत्र में किया जाएगा. सीमाजन कल्याण समिति, जोधपुर राजस्थान की सीमा क्षेत्र में रहने वाले विस्थापितों हेतु शिक्षा, राष्ट्रीय प्रेम भावना, गौसेवा, चिकित्सा सहित अन्य सेवाओं में समर्पित संस्था है.
कार्यक्रम में रंगभरो प्रतियोगिता के विजेताओं का सम्मान स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र देकर किया गया. राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली द्वारा सिन्ध की प्रदर्शनी के साथ पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई. समारोह में नई दिल्ली से आए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. घनश्याम दास जी, भारतीय सिन्धु सभा के प्रदेश संगठन महामंत्री मोहनलाल वाधवाणी सहित अन्य ने भी अपने विचार प्रकट किये. समारोह का सफल संचालन आभा भारद्वाज ने किया.
कवि सम्मेलन में जमा देशभक्ति का रंग
समारोह के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन हुआ. सम्मेलन में हरिओम पंवार ने कहा कि हम केवल हिन्दुस्तान के अन्दर क्रोध को जिन्दा करके रखे देखना जरूर सिन्ध को लेकर रहेंगे………, संस्कार व संस्कृति के केन्द्र को सदैव याद रखना है……
अशोक चारण ने अजमेर की पवित्र धरती को देश भर में राष्ट्रभक्ति का केन्द्र बताकर कहा कि अब सीमा पर कोई ललकार के तो देखे ईंट का जवाब पत्थर से दिया जायेगा…… उनकी प्रस्तुति का तालियों से अभिनंदन हुआ. कवि जगदीश सोलंकी ने महारजा दाहरसेन के पूरे परिवार की बलिदान की गाथा को वीर रस में प्रस्तुत कर जनता की प्रशंसा बटोरी. कार्यक्रम के दौरान विभिन्न गणमान्यजन उपस्थित थे.
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