नई दिल्ली. 19वां सिन्धु दर्शन उत्सव बेटी बचाओ, कल बचाओ के संदेश के साथ संपन्न हुआ. चार दिवसीय सिंधु दर्शन उत्सव 23 जून से 26 जून तक लेह में सिन्धु के तट पर मनाया गया. जिसमें देश भर से एक हजार से अधिक यात्रियों ने भाग लिया, यूएसए व सउदी अरब से भी यात्री शामिल थे.
23 जून को सरस्वती विद्या निकेतन व सिन्धु भवन लेह के प्रांगण में यात्रियों के स्वागत के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें यात्रियों के साथ ही काफी संख्या में स्थानीय लोग भी उपस्थित थे. कार्यक्रम के दौरान उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला के कलाकारों, स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए. सिंधु दर्शन यात्रा के संरक्षक व मार्गदर्शक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार जी ने बेटी बचाओ, कल बचाओ का नारा देते आह्वान करते हुए भ्रूण हत्या नहीं होने देंगे, बेटी का सम्मान करेंगे, बेटी पर अत्याचार नहीं होने देंगे, दहेज नहीं लेंगे, अंतिम संस्कार बेटी के हाथों करवाने का संकल्प लेने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सिन्धु दर्शन यात्रा केवल पर्यटन नहीं, बल्कि देशवासियों को एकता के सूत्र में बांधने का उत्सव है.
24 जून को सुबह सिन्धु पूजन के साथ ही सिन्धु दर्शन उत्सव का विधिवत शुभारंभ हुआ. पहले बहराणा पूजन, हवन तथा बौद्ध परंपरा के अनुसार विधिवत पूजा की गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने की, ऑल लद्दाख गोम्पा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष महामहिम तोकदन रिनपोछे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. इनके अलावा जम्मू कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष कविन्द्र गुप्ता, जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह, हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे. उत्सव के स्वागताध्यक्ष व लेह के सांसद थुम्पस्न छेवांग ने उत्सव के दौरान उपस्थित समस्त गणमान्यजनों, यात्रा में भाग लेने वाले यात्रियों सहित उपस्थित स्थानीय निवासियों का स्वागत किया. पूजन के पश्चात राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया तथा राष्ट्रगान हुआ.
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि यह सिन्धु दर्शन उत्सव राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है. भारत सरकार उत्सव के आयोजन में हर संभव सहयोग प्रदान करेगी. इस अवसर पर इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि अगले वर्ष सिन्धु दर्शन का यह उत्सव अंतर्राष्ट्रीय स्तर का होगा. 25 जून शाम को लेह के पोलो मैदान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया. यात्रा में भाग लेने पहुंचे समस्त यात्रियों का आभार व्यक्त कर विधाई दी गई.
सिन्धु दर्शन तीर्थ यात्रा के नाम से विश्व विख्यात सिन्धु दर्शन तीर्थ और कोई नहीं, वही प्राचीन और पवित्र सिन्धु नदी है, जिसके तट पर वैदिक संस्कृति पल्लवित हुई थी. जिस नदी ने हमारे देश को नाम दिया, हमें हमारी सांस्कृतिक पहचान दी. सिन्धु नदी की पूजा व सिन्धु नदी में एक डुबकी हमें हमारे मूल सिन्धु घाटी की सभ्यता की याद दिलाती है. भगवान झूलेलाल की कर्मस्थली सिन्धु नदी व भगवान बौद्ध के मंत्रोच्चार की भूमि लेह जहां सिंधु नदी का घाट है, इसे एक तीर्थस्थल का रूप दिया है. सिंधु दर्शन यात्रा समिति के लगातार प्रयासों के साथ, लेह लद्दाख प्रकृति प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है.
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