मेरठ (विसंकें). भारत में संस्कृत भाषा की अधोगति के कारण ही आज भारत की दुर्दशा हैं. यदि अपनी उन्नति करनी है तो संस्कृत को अपनाना होगा. भारत संस्कृत भाषा के द्वारा ही विश्वगुरु बनेगा. “ संस्कृत भारती मेरठ प्रान्त के 10 दिवसीय संस्कृत प्रशिक्षण वर्ग के समापन अवसर पर मुख्य वक्ता गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानन्द सरस्वती ने शिक्षार्थियों को संबोधित किया.
इससे पूर्व कार्यक्रम में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने कहा कि आज से 35 वर्ष पूर्व 1981 में तिरुपति विद्यापीठ के 3 छात्रों ने यह संकल्प लिया कि हम सर्वदा संस्कृत में सम्भाषण करते हुए विश्व को संस्कृत सम्भाषणमय बनायेंगे. उनके द्वारा लिया वह संकल्प ही संस्कृत भारती नामक संगठन के रूप में प्रकट हुआ. संस्कृत कठिन नहीं है, सरल है, सरलता से बोला जा सकता है. इस भाव का निर्माण हुआ. यह संस्कृतभारती के कार्य का ही परिणाम है कि आज भारत में 80 लाख लोग संस्कृत में सम्भाषण करते हैं. 5 हजार संस्कृतगृहम, 39 देशों में 2950 स्थानों पर कार्य है. कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्या भारती के कोषाध्यक्ष आनन्द प्रकाश अग्रवाल ने की. मंच संचालन कृष्ण कुमार ने किया.
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