Monday, June 01, 2015

आज समाज में सामाजिक समरसता की क्रान्ति की आवश्यकता – महेशभाई जीवणी

गुजरात (विसंकें). गुजरात सह प्रांत प्रचारक महेश भाई जीवणी ने कहा कि भारत माता सिर्फ जमीन का टुकड़ा मात्र नहीं है, यह चेतना का स्थान है. इसी चेतना के स्थान पर मुगल आक्रमण के सामने जिसने वीरतापूर्वक भगवा फहराया, उन शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की तिथि यानि ज्येष्ट शुक्ल त्रयोदशी (31 मई) कल है. उन्होंने मुगल साम्राज्य के सूरज को डुबोकर ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी 1675 में हिन्दू पदशाही की स्थापना की, जिसके पश्चात हिन्दू समाज में आत्मविश्वास का भाव पैदा हुआ. महेश भाई जीवणी गुजरात प्रांत के प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समारोप कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
313उन्होंने कहा कि हिन्दू साम्राज्य कोई अत्याचारियों का साम्राज्य नहीं, अपितु एक जीवन प्रणाली है. समाज में समरसता खड़ी करने का साम्राज्य है. शिवाजी महाराज की सेना सामाजिक समरसता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, जिसमें विभिन्न ज्ञाति, जाति के सैनिक थे और सभी साथ मिलकर भगवा ध्वज का साम्राज्य बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील थे. उसी प्रकार डॉ. हेडगेवार के समय में भी कोई हिन्दू कहने की हिम्मत नहीं करता था. ऐसे समय में डॉ. साहब ने समाज जीवन के उत्थान के लिए एक शस्त्र दिया, जिसका नाम  है शाखा. उन्होंने पूरे विश्व के कल्याण की कामना करने वाली हिन्दू विचारधारा समाज में पुनर्जीवित की. आज जब पपू. सरसंघचालक जी कहते है कि यह हिन्दू राष्ट्र है तो कुछ लोगों को शंका होती है. लेकिन विश्व के पास हिन्दुत्व की विचारधारा की राह पर चलने के अलावा कोई मार्ग शेष नहीं है, क्योंकि हिन्दुत्व की विचारधारा मानवता की विचारधारा है.
उन्होंने कहा कि आज विश्व को पर्यावरण दिवस मनाना पड़ता है, परन्तु हिन्दू जीवन पद्धति में हमें यह समाज को सिखाना नहीं पड़ता क्योकि हिन्दू जीवन पद्धति में यह सब पहले से ही निहित है. हमारी परिवार व्यवस्था एक आदर्श व्यवस्था है. आज विश्व इसे स्वीकार कर रहा है. हमारे परिवार के अन्दर पुरे समाज का भाव निहित है, विवाह आदि के समय हमारी इस व्यवस्था का जीवंत दर्शन देखने को मिलता है.
11116-1038x576आज हमें प्रतिनिधि सभा में मातृभाषा में शिक्षण के लिए प्रस्ताव पारित करना पड़ता है, अनेक लोग इसके विरुद्ध टिपण्णी करते है. परंतु यह ध्यान रखना होगा कि मातृभाषा में शिक्षण से जीवन परंपरा का संस्कार प्राप्त होता है. शिक्षण व्यवस्था में बदलाव के साथ परिवार की विचारधारा, रहन-सहन सबकुछ बदल जाता है. आज हमारी परिवार व्यवस्था को तोड़ने के लिए विभिन्न माध्यमों से आक्रमण हो रहे हैं, इसे बचाने के लिए हमें स्वयं ही प्रयत्न करने होंगे. हमारी परिवार व्यवस्था में पहले परिवार, फिर गांव, फिर समाज जीवन का विचार किया गया है. समाज जीवन में सेवा के अनेक उदाहरण हमारे यहां है. विश्व में अनेक संगठन सेवा कार्य करते है, लेकिन उनमें से अनेक का हेतु सेवा के माध्यम से धर्मपरिवर्तन रहा है.  सेवा में स्वार्थ नहीं हो सकता, क्योंकि सेवा निस्वार्थ होती है.
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में एक और सामाजिक क्रांति की आवश्यकता है, वह है सामाजिक समरसता की क्रांति. आज विश्व की कोई भी ताकत भारत को तोड़ नहीं सकती.  यदि कोई तोड़ सकता है तो वह है हमारी आंतरिक असमानता. भगवान राम ने जिस शबरी के झूठे बेर खाए थे, क्या हम उस शबरी के वंशजों के यहां जाते हैं ? नरसी मेहता के भजन हम गाते है, परंतु क्या हम नरसी मेहता जैसी सामाजिक क्रांति 134का विचार करते हैं? आज आवश्यकता है भगवान राम, नरसी मेहता, वीर सावरकर की तरह सामाजिक समरसता के लिए समाज को खड़ा होना पड़ेगा. डॉ. आम्बेडकर जी की 125वीं जयंती वर्ष पर हमें यह याद रखना चाहिए कि डॉ. आम्बेडकर जी ने अनेक अत्याचार सहे, धर्मपरिवर्तन के समय अनेक प्रलोभनों को ठुकराते हुए हिन्दू धर्म से ही निकले बौद्ध संप्रदाय को उन्होंने अपनाकर एक आदर्श प्रस्तुत किया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देशभक्ति, समरसता, सेवा का स्वभाव बनाने का कार्य करता है. यह सब कार्य संघ की शाखा के माध्यम से किया जाता है. आज जब विश्व भारतीय योग, पर्यावरण का जतन, हिन्दू परिवार पद्धति, आयुर्वेद आदि को स्वीकार कर रहा है. वर्तमान समाज जीवन में फिर से इन सब को लाने का कार्य संघ कर रहा है.
कार्यक्रम के प्रारंभ में अपने वक्तव्य में मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. केएम आचार्य ने कहा कि डॉ. हेडगेवारजी ने विपरीत परिस्थिति में 1925 मे संघ की स्थापना की, जो आज एक वटवृक्ष बन गया है. राष्ट्र उपासना का मार्ग डॉ. साहब ने हमें बताया. आप सभी का अनुशासन, शारीरिक कार्यक्रम आदि देखकर में प्रभावित हुआ हूँ. गीता में जो ज्ञान, कर्म एवं भक्ति के तीन मार्ग बताये है, उन्हें इस राष्ट्र को समर्पित करना है. संघ का कार्य ही हमारा जीवन कार्य हो, ऐसा मंत्र लेकर हम यहां से जाएं. कार्यक्रम में प्रांत संघचालक मुकेश भाई मलकान, वर्ग कार्यवाह तुषार भाई जादवभाई मिस्त्री, वर्गाधिकारी प्रफुल्लगिरी गौतमगिरी गोस्वामी सहित अन्य उपस्थित थे.
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