कोंकण. कोंकण प्रांत में आयोजित प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का समापन हो गया. समारोप कार्यक्रम में क्रीड़ा भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री राज चौधरी ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की तथा सिने जगत से कलादिग्दर्शक नितिन चंद्रकांत देसाई ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. वर्ग के समारोप कार्यक्रम में शिक्षार्थियों ने शारीरिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया.
क्रीड़ा भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री राज चौधरी जी ने कहा कि आज ज्येष्ठ शुद्ध द्वादशी …और एक दिन के पश्चात भारतीयों के जीवन का सर्वश्रेष्ठ दिवस है. छत्रपति शिवाजी सिंहासनाधिष्ठित हुए थे. सभी दिशाओं में सुलतानी कहर था. पर मातोश्री जीजाबाई ने उनके बालमन पर विजय की आकांक्षा बिंबित की. और उन्हीं से प्रेरणा लिये संघ का कार्य आरंभ हुआ, आज भी चल रहा है. संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार जी के कुछ पत्र उपलब्ध है, मेरे मन से उनका प्रभाव हटता ही नहीं. डॉक्टर जी प्रवास पर जा रहे थे, मुंबई से लाहौर की दिशा में… पर कर्णावती के बाद उन्होंने प्रवासियों का व्यवहार बदलता हुआ देखा.
एक घटना का वर्णन करते हुए कहा कि राष्ट्र सेविका समिति की मुख्य संचालिका वंदनीया मौसी केलकर जी को विभाजित भारतीय भूभाग से पत्र मिला, जिसमें लिखा था कि यहीं से अंतिम प्रणाम स्वीकार करें, अब शायद आप से प्रत्यक्ष भेंट का अवसर प्राप्त न होगा, पत्र प्राप्त होने का दिन था…14 अगस्त 1947 और उस समय में प्रभावित क्षेत्र (पाकिस्तान) में जाना दुस्साहस ही था. पर, वंदनीया मौसी जी तथा सेविका समिति की एक कार्यकर्ता भगिनी अंतिम हवाई जहाज से वहां पहुंचे. क्षेत्र में भयप्रद माहौल था, दरवाजे पर दस्तक देने के बावजूद भी दरवाजा नहीं खुलता था. पर, मौसी जी के आगमन से बंधु-भगिनियों को विश्वास का आधार प्राप्त हुआ, और मौसी जी भयावह माहौल से 210 हिन्दू बंधु-भगिनियों को सकुशल साथ लेकर लौटीं. हाल ही में मध्य पूर्व के देश यमन से भी समाज बांधवों को सकुशल स्वदेश लाया गया. कारण, संघ के संस्कारों से हमें यही सीख मिली है.
राज जी ने बताया कि महाराष्ट्र के बड़े उद्योगपति अतुलजी किर्लोस्कर ने संघ के कुछ कार्यकर्ताओं को बुलाकर कुछ धन देने की बात कही. कारण यह बताया की गुजरात में कुछ उद्योग हेतु शासकीय कार्यालय में काम था. काम होने के लिये पैसे लिये जाते है, यह अनुभव था. पर बिना कुछ धन दे कर काम पूर्ण हुआ, तभी निर्णय किया था कि यह धन संघ के कार्य में देना. यही संस्कारों का परिणाम है. यही संस्कार ले कर एक व्यक्ति आज प्रधानमंत्री बने है तो यही अनुभव आयेगा. इसे प्रसिद्धी नहीं मिलती, आवश्यकता भी नहीं. हम प्रसिद्धी पराङमुख रहकर निष्ठा, निर्भयता से काम करेंगे. डॉक्टर जी ने यही मंत्र हमें दिया है. व्यक्ति तक पहुंचन, डोर टू डोर से आरंभ कर दिल तक पहुंचना, यही हमारी संघ की कार्यपद्धति है. इसी से सब होगा. कुछ वर्ष पूर्व हमारा आळंदी में सम्मेलन हुआ, जिसकी व्यवस्था में मै था. सजावट गट के हमारे सहयोगी ने प्रवेशद्वार की सज्जा संकल्पना बतायी और वहां अणु का चित्र बनाना तय किया. लोगों को आश्चर्य लगा. पर हमारा विज्ञान से भी नाता है. विज्ञान भारती नाम से हमारा संगठन भी है. कल छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मरण करने, प्रेरणा लेने का दिन है. आप सभी नागरिक बंधु भगिनी अवश्य अपने अपने क्षेत्र के कार्यक्रमों में सहभाग लें, यही आप सभी से प्रार्थना है.”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ज्येष्ठ सिने कलादिग्दर्शक नितिन चंद्रकांत देसाई ने कहा कि “मैं संघ का ऋणी हूँ. मैंने राजा छत्रपति शिवाजी मालिका बनायी थी. तब शिवबा से शिवाजी कैसे बने, यह मुझे इस शिक्षार्थियों के प्रात्यक्षिक देखते हुए समझ में आ रहा है. मैं इसी मुलुंड नगरी में बड़ा हुआ हूँ. तब मैं दूर से शाखा देखता था. पर दंड के भय से सहभागी न हुआ. और तब कुछ विशेष घरों से ही बाल शाखा में जाते दिखायी देते थे. पर, आज यह दृश्य देखकर मैं अभी ही यह ईच्छा प्रदर्शित करता हूँ कि मुझ जैसे अब थोडे ज्येष्ठ आयु के व्यक्तिओं के लिये जब अगला वर्ग आयोजित होगा तो मैं भी इन स्वयंसेवकों की तरह शारीरिक प्रात्यक्षिक करता दिखुंगा. उस वर्ग के लिये मैं आज ही मेरा नामांकन कर रहा हूँ.
व्यक्ति विकास के इस वर्ग समापन में मुझे उपस्थित रहने का अवसर मिला, यह मेरा भाग्य है.
मैं कोंकण का पुत्र हूँ और कोंकण में ढाई सौ से अधिक शाखाएं लगती है, यह आनंददायी वृत्त मैंने यहीं आकर सुना. आगे संघ अधिकारी का मार्गदर्शन मुझे भी सुनना है, अतः मैं सभी को शुभकामनाएं देकर भाषण समाप्त करता हूँ.”
मैं कोंकण का पुत्र हूँ और कोंकण में ढाई सौ से अधिक शाखाएं लगती है, यह आनंददायी वृत्त मैंने यहीं आकर सुना. आगे संघ अधिकारी का मार्गदर्शन मुझे भी सुनना है, अतः मैं सभी को शुभकामनाएं देकर भाषण समाप्त करता हूँ.”