जालंधर (विसंकें). देश में एक ऐसी शिक्षा नीति की जरूरत है, जिसकी जड़ें भारत और शिखर वैश्विक परिपेक्ष में हो. सर्वहितकारी शिक्षा समिति पंजाब तथा पंचनद शोध संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से कैसी हो हमारी शिक्षा नीति विषय पर आयोजित संगोष्ठी में यह निष्कर्ष निकला.
संगोष्ठी में सर्वहितकारी शिक्षा समिति पंजाब के प्रदेश मंत्री अशोक बब्बर ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की. जिला शिक्षा अधिकारी जालंधर हरिंदर पाल सिंह ने अध्यक्षता की. संगोष्ठी में समिति के संगठन मंत्री विजय नड्डा ने प्रस्तावना रखी. तथा संगोष्ठी का संचालन प्रो विनीत मेहता ने किया.
विचार गोष्ठी में शिक्षा, व्यवसाय, शासन और उद्योग आदि क्षेत्रों से आये प्रबुद्धजनों ने अपने विचार एवं सुझाव नई शिक्षा के संबंध में व्यक्त किये. स्थानीय गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू स्थित समिति के सभागार में आयोजित गोष्ठी सम्बोधित करते मुख्य वक्ता अशोक बब्बर ने कहा कि देश को ऐसी शिक्षा नीति की आवश्यकता है, जिसकी जड़ें राष्ट्रवाद और शिखर वैश्विक परिपेक्ष के हों. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि आजादी के लगभग सात दशक बीत जाने के बाद भी हम लार्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली को ढोने पर मजबूर हैं. यह विदेशी शिक्षा पद्धति का ही परिणाम है कि इसके चलते न तो हमारी पीढ़ी अपनी देश की जड़ों से जुड़ पा रही है और न ही आज हमारी शिक्षण संस्थाएं विश्व स्तर पर अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवा पा रही हैं. आज दुनिया के सर्वोच्च विश्वविद्यालयों में भी हमारे किसी विश्वविद्यालय का नाम नहीं है. उन्होंने कहा कि शिक्षा को लेकर हमारा अतीत गौरवशाली रहा है, नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों में केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते रहे हैं. शिक्षा और ज्ञान हमारे देश की पहचान है और हमें इसी के बल पर पुन: भारत को विश्वगुरु के सिंहासन पर विराजमान करना है.
समारोह को संबोधित करते जिला शिक्षा अधिकारी हरिंदर पाल सिंह ने कहा कि शिक्षा की गलत अवधारणा के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ी है. शिक्षा का अर्थ केवल और केवल नौकरी से लिया जाने लगा है जो पूरी तरह से गलत है. शिक्षा का उद्देश्य जीवन का सर्वांगीण विकास होना चाहिए. शिक्षा अपनी इच्छा का रोजगार अपनाने में सहायक हो सकती है, परंतु इसका उद्देश्य केवल और केवल रोजगार नहीं होना चाहिए.
सर्वहितकारी शिक्षा समिति के संगठन मंत्री विजय नड्डा ने कहा कि मैकाले की शिक्षाप्रणाली ने युवाओं को केवल कैरियरवादी बना दिया है और युवा अपने राष्ट्रीय, सामाजिक, पारिवारिक दायित्वों की उपेक्षा कर केवल और केवल अपने करियर को अधिमान दे रहा है. जिस देश का युवा इस तरह आत्मकेंद्रित होगा, वह देश कभी भी किसी भी संकट में फंस सकता है. सेमीनार में पंचनद शोध संस्थान के पदाधिकारी भी उपस्थित थे
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