Saturday, May 23, 2015

महाराणा प्रताप भारत के लिये आज भी प्रेरणा स्रोत – प्रो बजरंग लाल गुप्त

हिसार (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक प्रो बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि महाराणा प्रताप ने देश की एकता और अखंडता के लिए सदा काम करते रहे. उन्होंने मेवाड़ की रक्षा के लिए मुगलों से 13 वर्ष तक संघर्ष किया. सादा जीवन और दयालु स्वभाव वाले महाराणा प्रताप की वीरता, स्वाभिमान तथा देशभक्ति से अकबर भी बहुत प्रभावित था.
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वह चौधरी चरण सिंह कृषि विवि हरियाणा में महाराणा प्रताप की 475वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राणा प्रताप ने जब मेवाड़ की सत्ता संभाली, तब आधा मेवाड़ मुगलों के अधीन था और शेष मेवाड़ पर अपना अधिपत्य स्थापित करने के लिए अकबर प्रयासरत था. उन्होंने अकबर के अनेक प्रलोभनों के सामने अपनी भूमि की रक्षा को सर्वोपरि माना. उन्होंने अपनी पर्वतीय युद्धनीति द्वारा कई बार अकबर को मात दी.
प्रो गुप्त ने कहा कि आज भी महाराणा प्रताप का नाम असंख्य भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत है, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि महान देशभक्त को स्वतंत्रता के बाद इतिहास तथा पाठ्यक्रमों में पूर्ण स्थान नहीं मिला. समय आ गया है कि आज की युवा पीढ़ी के गिरते जीवन मूल्यों को उभारने के लिए महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों के जीवन चरित्र को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाए. उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों एवं अर्थशास्त्रियों से उनके शासनकाल की कृषि व्यवस्था एवं अर्थव्यवस्था का अध्ययन करने की अपील की.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के कुलपति डॉ बलदेव सिंह ढिल्लों ने महाराणा प्रताप को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि किसी भी समाज,???????????????????????????????प्रांत व देश की उन्नति के लिए इतिहास को याद रखना बहुत आवश्यक है. इतिहास से हमें अपने पूर्वजों, शासकों तथा शूरवीरों की गाथाओं एवं उनके संघर्ष व बलिदानों का बोध होता है तथा उनके पदचिह्नों पर चलने की प्रेरणा मिलती है. भारत के इतिहास पर नजर डालें तो मुख्यत महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, महाराणा रंजीत सिंह आदि के नाम सामने आते हैं. परन्तु महाराणा प्रताप जैसा शूरवीर, दृढ़ संकल्पवान, धैर्यवान, स्वाभिमानी और महान शासक अन्यत्र कहीं भी नहीं. उनके जीवन का एक ही लक्ष्य था अपनी धरती माता को मुगलों की गुलामी से आजाद करवाना, जिसके लिए वे मरते दम तक लड़ते रहे. उन्होंने  कहा कि वर्तमान परिस्थितियों के मध्य नजर कृषि अनुसंधान को नई दिशा देने की जरूरत है.
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ केएस खोखर ने महाराणा प्रताप को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कृषि विश्वविद्यालय होने के बावजूद यहां खेलों तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बहुत महत्व दिया जाता है. हमारे राष्ट्रनायकों को उनकी जयंती व पुण्यतिथि के अवसरों पर याद किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों को उनके जीवन से प्रेरणा मिल सके. मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ राम सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया, जबकि स्नातकोत्तर शिक्षा अधिष्ठाता डॉ राजबाला ग्रेवाल ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया. डॉ नैपाल सिंह वर्मा ने मंच का संचालन किया.

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