लखनऊ (विसंकें). मुख्य अतिथि सुनील बंसल ने कहा कि वैभवशाली, शक्तिशाली व स्वाभिमानी भारत बनाने के लिए देश के युवाओं का आगे आना होगा. पूरे दुनिया का नेतृत्व करने वाला भारत बने, इसका स्वप्न भारत के युवाओं को देखना होगा. तभी भारत वैभवशाली भारत बन सकता है. युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि युवाओं को अपनी आवश्यकता के बजाय देश हित में अपना भविष्य बनाने पर विचार करना चाहिए. जियामऊ स्थित विश्व संवाद केन्द्र में अधीश स्मृति व्याख्यानमाला ‘‘राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान’’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि सुनील बंसल ने युवाओं को सम्बोधित किया.
उन्होंने कहा कि हम सांस्कृतिक आधार पर भारत का निर्माण करना चाहते हैं. जैसा पहले भारत था, वैसा ही हम भारत बनाना चाहते हैं. इसके लिए‘‘युवाओं को मेरा देश-मेरा भविष्य, ऐसा विचार कर देशहित में कार्य करना होगा. जिस देश का युवा सिर्फ अपने भविष्य के बारे में सोचता है, वह देश कभी विकसित नहीं हो सकता. भारत के भविष्य का सपना युवाओं को देखना होगा. इस देश के निर्माण में युवाओं की भूमिका अहम रही है. जब भी देश पर कोई आपदा आयी, उसके समाधान के लिए युवा समुदाय उमड़ पड़ा, देश के प्रति जज्बा भी है, कुछ करने की तमन्ना भी है, लेकिन आज आवश्यकता है कि इस देश का युवाओं सहित सभी नागरिक सिर्फ आपदा व विपत्ति में नहीं, बल्कि अपने दैनिक जीवन में भी राष्ट्र प्रेम की भावना से कार्य करें.
भारत के अतीत पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि विविधता के बावजूद हमारे अन्दर राष्ट्रीयता थी. अपनी एक सांस्कृतिक विरासत थी. आज दुनिया वैश्विकरण की तरफ बढ़ रही है. इस परिस्थिति में भारत के सामने विकास के दो मापदण्ड हैं. एक हमारी पुरातन विरासत, तो दूसरा है वैश्विकरण. इन दोनों परिस्थितियों पर विचार कर युगानुकूल विकास के मापदण्ड पर विचार करना होगा.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आशुतोष भटनागर जी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में छोटे-छोटे कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. भारत तभी विकसित होगा, जब शासन सत्ता में बैठे लोग युवाओं को सामने रखकर योजनाएं बनाएंगे. अधीश जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख राजेन्द्र सक्सेना जी ने कहा कि विश्व संवाद केन्द्रों की योजना, रचना तथा विकास की दिशा अधीश जी की कल्पना का ही परिणाम है. कार्यक्रम की अध्क्षता करते हुए डॉ. हरमेश चैहान ने कहा कि भारत के ज्ञान को दुनिया पाना चाहती है, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज हम तैयार नहीं हैं. कार्यक्रम का संचालन गंगा सिंह तथा आभार बृजनन्दन जी ने किया.
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