इंदौर (विसंकें). राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के कार्य में समाज के सभी वर्गों, समूहों की अपनी-अपनी विशिष्ट भूमिका होती है. सभी अपने लिए निर्धारित भूमिका निभाते हुए परस्पर सहयोग के साथ अग्रसर होते हैं. अपने कार्य को अधिक कुशलता से कर सकें, संघ कार्य की आवश्यकता,स्वरूप एवं पद्धति को भलिभांति समझ सकें, इस उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रांत द्वारा मध्यप्रदेश के इन्दौर महानगर में प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों के बीच आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में प्रांत के महाविद्यालयों के प्राध्यापकों का तीन दिवसीय विशिष्ट ‘‘प्रांतीय नैपुण्य वर्ग’’ आयोजित किया गया. दिनांक 7 से 9अगस्त तक आयोजित वर्ग में प्रांत के 39महाविद्यालयों से कुल 81 प्राध्यापकों की सहभागिता रही. इनमें प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों (मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट एवं विधि) के 42,कला एवं वाणिज्य महाविद्यालयों के 26 तथा विज्ञान महाविद्यालयों के 13 प्राध्यापक सम्मिलित रहे.
बौद्धिक सत्रों में संघ, कार्यपद्धति, विविध गतिविधियों के साथ-साथ शिक्षा परिसरों का संस्कारयुक्त वातावरण बनाकर, विद्यार्थियों में राष्ट्रभाव विकसित करने में प्राध्यापक क्या भूमिका निभा सकते हैं सहित अन्य विषयों पर चर्चा हुई. वर्तमान शिक्षा से जो संस्कार नहीं प्राप्त होते हैं, जिन महत्वपूर्ण गुणों से विद्यार्थी वंचित है वे छोटे-छोटे प्रयत्नों से प्राध्यापक उन्हें दे सकता है. प्राध्यापकों का सर्वसम्मत मत था कि राष्ट्र के समक्ष आसन्न चुनौतियों का समाधान ‘‘व्यक्ति-निर्माण‘‘ में ही निहित है.
सहभागी प्राध्यापकों के अतिरिक्त एक विशेष सत्र के लिए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय एवं विभिन्न महाविद्यालयों के वरिष्ठ कुलपति, पूर्व कुलपति,कुलसचिव एवं विभागाध्यक्षों को भी आमंत्रित किया गया. ऐसे 32 वरिष्ठ शिक्षाविद् दो सत्रों में उपस्थित रहे. चर्चा में उनका भी मत था कि शिक्षण संस्थानों को ‘‘जैविक इकाई’’ मानते हुए इसका विचार होना चाहिए कि भारतीय संस्कृति एवं आधुनिक भारत की वास्तविकता तथा भविष्य में विकास की संभावनाओं का समन्वय कैसे हो. विकास एवं संस्कृति में कोई अन्तर्विरोध नहीं है, वे तो एक दूसरे के पूरक हैं. यही नहीं समाज का सर्वांगीण विकास भारतीय संस्कृति की नींव पर ही संभव है.
‘‘प्रांतीय नैपुण्य वर्ग’’ के विभिन्न बौद्धिक एवं चर्चा सत्रों में क्षेत्र संघचालक अशोक जी सोहनी, प्रांत संघचालक डॉ. प्रकाश जी शास्त्री, प्रांत प्रचारक परागजी अभ्यंकर, सह प्रांत प्रचारक डॉ. श्रीकांतजी उपस्थित रहे.
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