Sunday, August 30, 2015

शिक्षक और विद्यार्थी एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव रखें – राज्यपाल आचार्य देवव्रत

हिमाचल शिक्षा समिति
शिमला (विसंकें). विद्या भारती द्वारा संचालित हिमाचल शिक्षा समिति की नवीनीकृत वेबसाइट का शुभारंभ एवं चयनित विद्या मंदिरों के प्रधानाचार्यों की शिमला में हिमरश्मि सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन प्रदेश के नवनियुक्त राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किया. इस अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा तिलक लगाकर राज्यपाल का स्वागत किया गया. विद्या भारती के राष्ट्रीय मंत्री शिवकुमार जी ने राज्यपाल महोदय को पुष्प गुच्छ भेंट किया, वहीं समिति के प्रान्त अध्यक्ष ठाकुर अच्छर सिंह द्वारा राज्यपाल का टोपी और शाल ओढ़ाकर स्वागत किया गया. कार्यक्रम में विद्या भारती के उत्तर क्षेत्र संगठन मंत्री हेमचन्द्र जी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे. विद्या मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा देशभक्ति गीत एवं भजन प्रस्तुत किये गये.
राज्यपाल महोदय आचार्य देवव्रत ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘आज शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच उपस्थित होकर गर्व का भाव अनुभव कर रहा हूं, एक ओर मेरे सामने देश के भावी कर्णधर विद्यार्थी तो दूसरी ओर उनके उज्ज्वल भविष्य को गढ़ने वाले कुशल कुम्भकार शिक्षक. शिक्षा मनुष्य के अन्दर अभूतपूर्व परिवर्तन कर देती है, यदि शिक्षक और विद्यार्थी परस्पर एक दूसरे के लिए समर्पण का भाव रखें. प्राचीन काल में अपने देश में शिक्षा का स्तर बहुत उच्च था. शिक्षा गुरूकुलों में दी जाती थी, जहां विद्यार्थियों का चतुर्मुखी विकास होता था. मूल्यपरक शिक्षा दी जाती थी, जिसको जो व्यवसाय करना होता था उसी के अनुरूप शिक्षा देने का मापदण्ड तय था. वर्तमान शिक्षा पद्वति ‘मैकाले’ द्वारा दी गयी है, जिससे केवल क्लर्क
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अथवा काले अंग्रेज उत्पन्न हो सकते हैं जो दिखने में तो भारतीय लगते हैं, लेकिन आचार-विचार एवं व्यवहार में विदेशी मानसिकता वाले. युवा उच्च अध्ययन के पश्चात् भी रोजगार के लिए मारा-मारा फिर रहा है. उसको एक सर्टिफिकेट देकर बाजार में ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया जाता है और कहा जाता है, जाओ इसके बल पर अपनी रोजी-रोटी कमाओ. ऐसी शिक्षा किस काम की, जब वह व्यक्ति को रोजगार ही नहीं मुहैया करा सकती है. शिक्षा तो वह है जो मनुष्य बंधनों से मुक्त करती है ‘सा विद्या या विमुक्तये.’ शिक्षा मनुष्य को देश का एक जागरूक नागरिक बनाती है. शिक्षक एवं विद्यार्थी का परस्पर एक दूसरे के प्रति यदि पूर्ण समर्पण नहीं है तो एक मनुष्य के निर्माण में कुछ कमी रह सकती है. हमें देश में ऐसे शिक्षकों की आवश्यकता है, जिनसे भविष्य में चरित्रवान एवं संस्कारित पीढ़ी का निर्माण हो सके.’ कार्यक्रम के अंत में हिमाचल शिक्षा समिति के प्रान्त महामंत्री राजेन्द्र जी ने राज्यपाल एवं अन्य महानुभावों के प्रति धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया.
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