नई दिल्ली. जनगणना केवल आंकडे़ नहीं, समूह की पहचान होती है. भारत की जनसंख्या का तेजी से बढ़ता असंतुलन न केवल उसकी पहचान समाप्त कर रहा है, अपितु भारत के अस्तित्व के लिए भी खतरा बन जाएगा. नई दिल्ली में आयोजित पत्रकार वार्ता में विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने कहा कि भारत की पहचान सर्वपंथ, समभाव व वसुधैव कुटुम्बकम् आदि सद्गुणों से है जो यहां के बहुसंख्यक हिन्दू समाज के कारण निर्माण हुई है. हिन्दुओं की घटती जनसंख्या इस पहचान के लिए खतरा बनेगी. वर्ष 2011 के जनसंख्या आंकड़ों का विश्लेषण करने पर एक खतरनाक संकेत मिल रहा है. देश में हिन्दुओं की जनसंख्या पहली बार 80 प्रतिशत से कम हुई है. जिन जिलों या राज्यों में हिन्दुओं की संख्या कम हुई है, उनकी स्थिति को देखकर भविष्य के संकेत आसानी से समझे जा सकते हैं. पूरी कश्मीर घाटी, बिहार व बंगाल के तीन तथा असम के नौ मुस्लिम बाहुल्य जिलों में साम्प्रदायिक सद्भाव समाप्त हो चुका है. गैरमुस्लिम वहां अपने अस्तित्व को नहीं बचा पा रहे हैं. राज्य तथा केन्द्र सरकार भी इन स्थानों पर पंगु दिखाई देती है. शायद इसी कारण कुछ मुस्लिम नेता भविष्य की ओर संकेत करते हुए चेतावनी देते हैं कि जब हम 20 प्रतिशत हो जाएंगे तो हिन्दुओं को उनकी शर्तों पर रहना होगा.
विश्व हिन्दू परिषद जनसंख्या के बढ़ते असंतुलन के लिए विदेशी घुसपैठ, धर्मान्तरण तथा एक वर्ग की आक्रामक नीति को जनसंख्या वृद्धि करने का प्रमुख कारण मानती है. मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग जनसंख्या वृद्धि को एक मिशन मानता है. कुछ कट्टरपंथी दारूल इस्लाम का सपना दिखाकर इस मार्ग पर चलने के लिए उन्हें विवश करते हैं. विहिप का मानना है कि इस खतरे के दुष्परिणाम हिन्दू समाज व भारत को तो झेलने ही पड़ेंगे, किन्तु मुस्लिम समाज भी इससे अछूता नहीं रहेगा. आबादी बढ़ाने के इस अभियान के कारण उन्हें पिछड़ा रहने के लिए अभिशप्त रहना ही पडे़गा. इसलिए मुस्लिम समाज से हमारी अपील है कि इस अभियान के अपने ऊपर होने वाले दुष्परिणामों से बचने हेतु आंतरिक सुधार की प्रक्रिया चालू करें. दुनिया के सभी सभ्य समाज परिवार नियोजन को स्वीकार करते हैं तो वे क्यों नहीं? उनके आदर्श बाबर और गौरी नहीं, चाचा अब्दुल कलाम ही हो सकते हैं.
विश्व हिन्दू परिषद की भारत की सभी सरकारों से अपील है कि वे सम्पूर्ण देश में सभी समाजों के लिए समान जनसंख्या नीति का निर्माण करें. जिसके लिए न्यायपालिका भी कई बार कह चुकी है. बांग्लादेश व बर्मा से हुई घुसपैठ न केवल जनसंख्या असंतुलन बल्कि देश पर खतरे का भी कारण बन चुकी है. उनको रोकना, पहचानना व वापस भेजना सभी सरकारों का संवैधानिक व नैतिक दायित्व है. धर्मान्तरण के विषय में भी भारत का संविधान व न्यायपालिका बहुत स्पष्ट हैं. विहिप हिन्दू समाज का आह्वान करती है कि वह अपने तथा देश पर मंडराते खतरे की भयावहता को समझे तथा संगठित होकर सरकारों पर इस संबंध में सार्थक कदम उठाने हेतु दबाव बनाए. पत्रकारवार्ता में जनसांख्यिकी विशेषज्ञ प्रो राकेश सिन्हा (निदेशक, भारत नीति प्रतिष्ठान) भी विशेष रूप से उपस्थित थे, उन्होंने पत्रकारों को विषय की गंभीरता के बारे में बताया.
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