शिमला (विसंकें). हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के अन्तर्राष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षा एवं अध्ययन केन्द्र में ‘अभ्युदय अध्ययन मण्डल’ द्वारा अखण्ड भारत संकल्प दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा, नारकोटिक्स ब्यूरो चण्डीगढ़ रहे. विशिष्ट अतिथि डॉ. वीर सिंह रांगड़ा प्राध्यापक भौतिकी विभाग तथा मुख्य वक्ता संजीवन कुमार प्रांत प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिमाचल प्रदेश रहे.
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. उसके पश्चात् ‘अभ्युदय अध्ययन मण्डल’ शिमला के संयोजक राजेन्द्र शर्मा ने अतिथियों तथा उपस्थित प्राचार्यों, गणमान्यों व अन्य का स्वागत किया. उन्होंने ‘अभ्युदय’ के विश्वविद्यालय में वर्षभर के कार्यकलापों के विषय में जानकारी दी. कार्यक्रम के अध्यक्ष ने वर्तमान समय में देश के समक्ष बढ़ते हुए नशे की चुनौती के सम्बन्ध में सबका ध्यान आकर्षित किया तथा किस प्रकार युवा वर्ग को इस दल-दल में फंसने से रोका जा सकता है, उसका एक खाका प्रस्तुत किया. साथ ही साथ सामाजिक संस्थाओं तथा जागरूक नागरिकों से नशा उन्मूलन के सम्बन्ध में संकल्प लेने का आग्रह भी किया. स्वतन्त्रता की अखण्डता के विषय में उन्होंने पंजाबी में एक भावात्मक कविता सुनाई जो उपस्थित श्रोतावृन्द के मानस को झकझोरने वाली थी. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सन्जीवन कुमार ने स्वतन्त्रता आंदोलन के घटनाक्रम का एक सजीव चित्र प्रस्तुत कर विभाजन की विभीषिका और त्रासदी की तस्वीर सबके सामने प्रस्तुत की. एक क्षण के लिए तो सम्पूर्ण वातावरण पूर्णतः गमगीन सा लगा मानो अपनी मातृभूमि की खण्डित स्वतन्त्रता प्राप्ति की एक-एक घटना को प्रत्यक्ष अपने सम्मुख घटित होते हुए हम देख रहे हों. लक्ष-लक्ष देशवासियों तथा शहीदों की कुर्बानी के फलस्वरूप मिली यह आजादी हमें खण्डित मातृभूमि के रूप में प्राप्त हुई. संगठित प्रयासों के बल पर जिस प्रकार सन् 1947 में बनी बर्लिन की दीवार को गिराकर सन् 1990 में पूर्वी, पश्चिमी जर्मनी एक हो सकते हैं तो दृढ़ संकल्प से हम भी अपनी खोई हुई मातृभूमि को पुनः प्राप्त कर सकते हैं. अन्त में उन्होंने ऐसा ही संकल्प कार्यक्रम के माध्यम से लेने का उपस्थित गणमान्य जनों से आह्वान किया.
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