Saturday, October 31, 2015

PROTECTION TO TEMPLES,MUTTS-SANSKRUTI SURAKSHA MANCH TO STAGE MASS DHARNA ON NOV 4

Bhubaneswar,31/10-The Sanskruti Suraksha Manch will hold a mass dharna at the Lower PMG here on November 4 demanding immediate protection to temples, mutts, saints and seers and action against the persons who have attacked religious institutions in the recent past.
The Manch also protested the State Government’s recent direction to district Collectors for restoration of Government lands encroached by Hindu religious institutions after scrutinising the lands records. Terming it as an evenhanded move meant for only Hindus, the body demanded implementation of the same direction for all religious institutions. It also demanded relaxation in the rules for religious bodies established long ago and engaged in people’s service.
Thousands of people from across the State would join the protest to press for the demand of revocation in the Government direction. Among others, MP Adityanath, Swami Sudhanand Saraswati and Swami Jiban Muktanand Puri will address at the protest spot, said Manch State Convenor Arun Panda through a Press statement on Saturday.

RSS passes Resolution on ‘Challenge of Imbalance in the Population Growth Rate’ at ABKM Baitak Ranchi

Ranchi October 31: Rashtreeya Swayamsevak Sangh (RSS) has passed a major resolution on “Challenge of Imbalance in the Population Growth Rate” on the second day of on-going Akhil Bharatiya Karyakarini Mandal (ABKM) Baitak at Ranchi on Saturday.
RSS Resolution-1 : ABKM- 2015
Challenge of Imbalance in the Population Growth Rate:
Steps taken to control the population of the country have yielded adequate results during the last decade. But in this regard, the Akhil Bharatiya Karyakari Mandal is of the opinion that the severe demographic changes brought forth by the analysis of the religion data of Census 2011 highlights the necessity of the review of population policy. Vast differences in growth rates of different religious groups, infiltration and conversion resulting in religious imbalance of the population-ratio, especially in border areas may emerge as a threat to the unity, integrity and cultural identity of the country.
Although Bharat was one of the early countries in the world to announce as early as in 1952 that it will have population planning measures, it was only in year 2000 that a comprehensive population policy was formulated and a population commission was formed. The policy aimed at achieving a stable but healthy population by the year 2045 by optimizing the fertility rate to the ideal figure of 2.1 total fertility rate [TFR]. It was expected that as this aim is in accordance with our national resources and expected future requirements, it will be uniformly applied to all the sections of society. However, the National Fertility and Health Survey [NFHS] of 2005-6 and the 0-6 age group population percentage data of religion in Census 2011, both indicate that the TFR and child ratio is uneven across the religions. This is reflected in the fact that the share of population of religions of Bharatiya origin which was 88 percent has come down to 83.8 percent while the Muslim population which was 9.8 percent has increased to 14.23 percent during the period 1951-2011.
In addition to that, the rate of growth of Muslim population has been very high than national average, in the border districts of border States of the country like Assam, West Bengal and Bihar, clearly indicating the unabated infiltration from Bangladesh. The Report of the Upamanyu Hazarika Commission appointed by Hon Supreme Court and several judicial pronouncements from time to time have also corroborated these facts. It is also a fact that the infiltrators are usurping the rights of citizens of these states and are becoming a heavy burden on the already scant resources apart from creating socio-cultural, political and economic tensions..
The religious imbalance of population in the North Eastern states has assumed serious proportions. In Arunachal Pradesh, the people of religions of Bharatiya origin were 99.21 percent in 1951. It came down to 81.3 percent in 2001 and to 67 percent in 2011. In just one decade the Christian population of Arunachal Pradesh has grown by almost 13 percentage points. Similarly, in the population of Manipur, this share of religions of Bharatiya origin which was more than 80 percent in 1951 has come down to 50 percent in 2011. These examples and pointers of unnatural growth of Christian population in many districts of the nation indicate an organized and targeted religious conversion activity by some vested interests.
The Akhil Bharatiya Karyakari Mandal expresses deep concern over all these severe demographic imbalances and urges the Government to
  1. Reformulate the National Population Policy keeping in view availability of resources in the country, future needs and the problem of demographic imbalance and apply the same uniformly to all.
  2. Totally curb the illegal infiltration from across the border. Prepare a National Register of Citizens and prevent these infiltrators from acquiring citizenship rights and purchasing lands.
The ABKM calls upon the countrymen including all the swayamsevaks to take the cognizance of the causes of these population changes and considering it their national duty to create public awareness and take all lawful steps to save the country from this demographic imbalance.
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कार्यकारी मंडल की बैठक में जनसंख्या वृद्धि दर में असंतुलन की चुनौती पर प्रस्ताव पारित

प्रस्ताव क्रमांक – एक
रांची. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने रांची  में चल रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के दूसरे दिन जनसंख्या असंतुलन को लेकर अहम प्रस्ताव पारित किया. बैठक में चर्चा के पश्चात जनसंख्या वृद्धि दर में असंतुलन की चुनौती पर प्रस्ताव पारित किया गया तथा सरकार से आग्रह किया कि जनसंख्या नीति का पुनर्निधारण कर सब पर समान रूप से लागू कया जाए.
जनसंख्या वृद्धि दर में असंतुलन की चुनौती
IMG_9845देश में जनसंख्या नियंत्रण हेतु किए विविध उपायों से पिछले दशक में जनसंख्या वृद्धि दर में पर्याप्त कमी आयी है. लेकिनइस सम्बन्ध में अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल का मानना है कि 2011 की जनगणना के पांथिक आधार पर किये गये विश्लेषण से विविध संप्रदायों की जनसंख्या के अनुपात में जो परिवर्तन सामने आया हैउसे देखते हुए जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता प्रतीत होती है. विविध सम्प्रदायों की जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अन्तर,अनवरत विदेशी घुसपैठ व मतांतरण के कारण देश की समग्र जनसंख्या विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों की जनसंख्या के अनुपात में बढ़ रहा असंतुलन देश की एकताअखंडता व सांस्कृतिक पहचान के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है.
विश्व में भारत उन अग्रणी देशों में से था, जिसने वर्ष 1952 में ही जनसंख्या नियंत्रण के उपायों की घोषणा की थीपरन्तु सन् 2000 में जाकर ही वह एक समग्र जनसंख्या नीति का निर्माण और जनसंख्या आयोग का गठन कर सका. इस नीति का उद्देश्य 2.1 की सकल प्रजनन-दर’ की आदर्श स्थिति को 2045 तक प्राप्त कर स्थिर व स्वस्थ जनसंख्या के लक्ष्य को प्राप्त करना था. ऐसी अपेक्षा थी कि अपने राष्ट्रीय संसाधनों और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रजनन-दर का यह लक्ष्य समाज के सभी वर्गों पर समान रूप से लागू होगा. परन्तु 2005-06 का राष्ट्रीय प्रजनन एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण और सन् 2011 की जनगणना के 0-6 आयु वर्ग के पांथिक आधार पर प्राप्त आंकड़ों से असमान’ सकल प्रजनन दर एवं बाल जनसंख्या अनुपात का संकेत मिलता है. यह इस तथ्य में से भी प्रकट होता है कि वर्ष 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अन्तर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मतपंथों के अनुयायिओं का अनुपात 88 प्रतिशत से घटकर 83.8प्रतिशत रह गया है, वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8 प्रतिशत से बढ़ कर 14.23 प्रतिशत हो गया है.
इसके अतिरिक्तदेश के सीमावर्ती प्रदेशों यथा असमपश्चिम बंगाल व बिहार के सीमावर्ती जिलों में तो मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक हैजो स्पष्ट रूप से बंगलादेश से अनवरत घुसपैठ का संकेत देता है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त उपमन्यु हजारिका आयोग के प्रतिवेदन एवं समय-समय पर आये न्यायिक निर्णयों में भी इन तथ्यों की पुष्टि की गयी है. यह भी एक सत्य है कि अवैध घुसपैठिये राज्य के नागरिकों के अधिकार हड़प रहे हैं तथा इन राज्यों के सीमित संसाधनों पर भारी बोझ बन सामाजिक-सांस्कृतिकराजनैतिक तथा आर्थिक तनावों का कारण बन रहे हैं.
पूर्वोत्तर के राज्यों में पांथिक आधार पर हो रहा जनसांख्यिकीय असंतुलन और भी गंभीर रूप ले चुका है. अरुणाचल प्रदेश में भारत में उत्पन्न मत-पंथों को मानने वाले जहां 1951 में 99.21 प्रतिशत थे, वे2001 में 81.3 प्रतिशत व 2011 में 67 प्रतिशत ही रह गये हैं. केवल एक दशक में ही अरूणाचल प्रदेश में ईसाई जनसंख्या में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसी प्रकार मणिपुर की जनसंख्या में इनका अनुपात 1951 में जहां 80 प्रतिशत से अधिक था, वह 2011 की जनगणना में 50 प्रतिशत ही रह गया है. उपरोक्त उदाहरण तथा देश के अनेक जिलों में ईसाईयों की अस्वाभाविक वृद्धि दर कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा एक संगठित एवं लक्षित मतांतरण की गतिविधि का ही संकेत देती है.
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल इन सभी जनसांख्यिकीय असंतुलनों पर गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से आग्रह करता है कि -
  1. देश में उपलब्ध संसाधनोंभविष्य की आवश्यकताओं एवं जनसांख्यिकीय असंतुलन की समस्या को ध्यान में रखते हुए देश की जनसंख्या नीति का पुनर्निर्धारण कर उसे सब पर समान रूप से लागू किया जाए.
  2. सीमा पार से हो रही अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाए. राष्ट्रीय नागरिक पंजिका का निर्माण कर इन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकारों से तथा भूमि खरीद के अधिकार से वंचित किया जाए.
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल सभी स्वयंसेवकों सहित देशवासियों का आवाहन करता है कि वे अपना राष्ट्रीय कर्तव्य मानकर जनसंख्या में असंतुलन उत्पन्न कर रहे सभी कारणों की पहचान करते हुए जन-जागरण द्वारा देश को जनसांख्यिकीय असंतुलन से बचाने के सभी विधि सम्मत प्रयास करें

Friday, October 30, 2015

पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब जी की बेअदबी पर समस्त देशवासी आहत – सुरेश भय्या जी जोशी


रांची (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी ने कहा कि समस्त भारतवासियों की श्रद्धा व आस्था के केन्द्र पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप की बेअदबी करने से सभी देशवासियों के हृदय पर गहरा आघात पहुंचा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करता है.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब ‘जगत जोत’ गुरु स्वरूप तो हैं ही, साथ ही भारत की चिरन्तन आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना के संवाहक हैं तथा ‘सांझीवालता‘ के नाते समस्त भारत को जाति-पाति, मत-पंथ, ऊँच-नीच व क्षेत्र- भाषा के विभेदों से ऊँचा उठाकर एक साथ जोड़ते हैं.
जिला फरीदकोट के बरगाड़ी गाँव में हुई इस दुःखद घटना के बाद, तरनतारन जिले के ग्राम बाठ एवं निज्झरपुरा में तथा लुधियाना के घवंदी गांव में क्रमवार हुई घटनाओं से स्पष्ट है कि कुछ स्वार्थी व राष्ट्रविरोधी तत्व सुनियोजित षड़यंत्र के अन्तर्गत पंजाब का सौहार्दपूर्ण वातावरण बिगाड़ना चाहते हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उपरोक्त सभी कृत्यों की निंदा करते हुए सम्पूर्ण देश व समाज का आवाहन करता है कि वह ऐसे षड़यंत्रों को विफल कर भारत की धार्मिक व सामाजिक सौहार्द की परम्परा को सुदृढ़ करे. संघ का पंजाब सरकार से यह अनुरोध है कि वह इन कुकृत्यों के दोषी तत्वों को चिह्नित कर कठोर कार्रवाई करे और केन्द्र सरकार से भी आग्रह है कि इन षड़यंत्रों के पीछे सक्रिय तत्वों की जाँच कर उन्हें उजागर करे.

संघ समाज में समरसता का भाव जगाने के लिए प्रयासरत – दत्तात्रेय होसबले जी

रांची (विसंकें). अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक का विधिवत् उद्घाटन रांची के सरला बिरला स्कूल में पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत जी और सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी ने किया.
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक रांची 2015
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक रांची 2015
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने प्रेस वार्ता में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि संघ की बैठक वर्ष में दो बार होती है, प्रतिनिधि सभा की बैठक मार्च में, जबकि कार्यकारी मंडल की बैठक विजयादशमी एवं दीपावली के बीच होती है. सामान्यतः इन बैठकों में संघ कार्य के विस्तार, गुणात्मकता की दृष्टि से प्रगति और समाज राष्ट्र जीवन में संघ कार्य के प्रभाव पर चर्चा एवं कार्यनीति की कई बातें तय करते हैं. समाज एवं राष्ट्रजीवन से संबंधित कुछ विषयों पर हिन्दू समाज के विचार एवं मन को व्यक्त करने वाले संघ की नीति और विचार से सुसम्बद्ध प्रस्ताव भी बैठक में पारित करते हैं.
सह सरकार्यवाह जी ने बताया कि 30 अक्टूबर से प्रारंभ तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में 400 के लगभग संघ के अधिकारी भाग ले रहे हैं. इस बैठक में जनसंख्या असंतुलन पर हम लोग चर्चा करने वाले हैं. संघ के विस्तार का कार्य तो प्रतिदिन चलता रहता है, परंतु समय समय पर शाखाओं की संख्या बढ़ाने के लिए विशेष कार्य करते हैं. वर्तमान में देश के सभी खण्डों (प्रखण्डों) में संघ का कार्य चल रहा है. अगले तीन वर्षों में देश के सभी मण्डलों तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. अभी देश के 32000 स्थानों पर 52000 शाखाएं चल रही हैं. रांची में 75 शाखाएं चल रही है. इसके साथ ही 13620 साप्ताहिक मिलन केन्द्र एवं 8000 स्थानों पर संघ मंडली चल रही है. शाखा में तरूणों की संख्या बढ़ी है, अभी 66 प्रतिशत शाखाएं छात्रों की है, 91 प्रतिशत शाखा 40 वर्ष से कम आयु के तरूणों की है. नए लोग संघ से जुड़ने के लिए उत्साहित हैं.
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक रांची 2015
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक रांची 2015
दत्तात्रेय जी ने कहा कि संघ के विभिन्न आयामों के माध्यम से भी लोग जुड़ रहे हैं. संघ का काम व्यक्ति निर्माण है, यह काम प्रत्येक दिन लगने वाली शाखा पर होता है. देश में 150 ग्राम विकास के केन्द्र चल रहे हैं. इसके प्रभाव से लोगों ने ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर जाना कम कर दिया है. संघ की ओर से गौ सेवा, सामाजिक समरसता व कुटुम्ब प्रबोधन के कार्य चलाए जा रहे हैं. संघ चाहता है कि समाज में समरसता का भाव बना रहे. प्रत्येक गांव एवं शहर में सभी जातियों के लिए एक श्मशान घाट हो, मंदिरों में सभी लोगों का प्रवेश हो, तालाब एवं कुआं में सभी जल ले सकें. इसका प्रभाव भी दिख रहा है. कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से परिवारों में आत्मीयता हो, बच्चों में संस्कार आए, प्रत्येक घर में सेवा के भाव रहे इसका प्रयास चल रहा है.

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक रांची 2015
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक रांची 2015

दीन-दुखियों की सेवा प्रभुभक्ति के समान है

मेरठ (विसंकें). ‘‘दीन-दुखियों की सेवा प्रभुभक्ति के समान है.’’ धर्मार्थ चिकित्सा केन्द्र के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण ने कहा. सेवा भारती द्वारा लालकुर्ती मेरठ कैन्ट में एक धर्मार्थ चिकित्सा केन्द्र का शुभारम्भ किया गया. इसके उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि हमारे तन-मन-धन की सार्थकता तभी है, जब वह समाज की सेवा में ही लगे. इसलिये जीवन में स्वार्थ चिन्तन से कुछ समय निकालकर परमार्थ में भी लगाना चाहिये.
सेवा भारती के मंत्री सतीश चन्द्रा ने कहा कि सेवा भारती आज देश ही नहीं विदेश में भी लोगों को समाज सेवा के लिये प्रेरित कर रही है. सेवा भारती आज देश की सबसे बड़ी सेवा संस्था बन गयी है. जिसके द्वारा स्वास्थशिक्षास्वावलम्बन के क्षेत्र में लगभग डेढ़ लाख से अधिक सेवा कार्य किये जा रहे हैं. कार्यक्रम का संचालन अरुण जिन्दल तथा अध्यक्षता विनोद भारतीय ने किया. उद्घाटन के साथ ही चिकित्सकों द्वारा मरीजों की जांच का कार्य भी शुरू कर दिया गया. इस अवसर पर सेवा भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री अनिल कुमारविभाग मंत्री देवेन्द्र कुमारसहित शहर के गणमान्यजन उपस्थित थे.
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RSS 3-day annual national Meet ABKM begins in Ranchi, resolution likely on recent Religious Census report

Ranchi October 30, 2015:  RSS Sarasanghachalak  Mohan Bhagwat inaugurated the 3-day top RSS national annual meet Akhil Bharatiya Karyakarini Mandal Baitak (ABKM); one of the highest body for policy formulation and decision making in RSS, at Ranchi on Friday morning.
RSS Sarakaryavah Suresh Bhaiyyaji Joshi accompanied Bhagwat during the inaugural.
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State level select office bearers of RSS, National office bearers of Sangh affiliated (Sangh Parivar) organizations are attending all the three days of the meeting.
RSS apex body paid tributes to several national leaders, great personalities who expired since March-2015. The confluence began with the obituary paid to the departed soul, who has always been the part of the nations glorious tradition.
Began today, Akhil Bharatiya Karyakarini Mandal Baitak (ABKM) or All India Executive Council Meeting will be concluding on Sunday November 1, 2015.  The meeting will deliberate on reviewing and future planning of organizational matters and activities and some resolutions on key national issues will be passed in the meeting.
Resolutions on key national issues including ‘Imbalance in Population-Demography’ based on recent census report were expected.
Addressing the media on the eve of the meet, RSS Akhil Bharatiya Prachar Pramukh Dr Manmohan Vaidya said the recent census which had just come showed an imbalance in the growth of population. “There would be extensive deliberations on the subject during the meeting and a resolution in this context may be taken up,” he said.
Prominent leaders from Bharateeya Kisan Sangh, working for the farmers; Vanavasi Kalyan Ashram, a tribal welfare organization; Akhil Bharateeya Vidyarthi Parishad, one of the biggest student organization of the contry; Bharateeya Mazdoor Sangh, a leading trade union; Vishwa Hindu Parishad, a forum of Sadhus, Sants and Pontiffs; Bharatiya Janata Party, one of the two most important political parties of India; are attending the meeting.
Office bearers of Vidhya Bharati, Vijnana Bharati, Kreeda Bharati, Seva Bharati, Samskrit Bharati, Samskar Bharati, Laghu Udyog Bharati as well as leaders from Rashtra Sevika Samithi, Swadeshi Jagaran Manch, Deendayal Samshodhan Samsthan, Bharat Vikas Parishad, Shaikshanika Mahasangh, Dharmajagaran will be participating in the conclave.
Reports of activities of all these organizations will be submitted in the meeting. State wise activities of the RSS will be reviewed. Important national issues will be discussed and necessary resolutions will be passed in the meeting.
The Sanghachalak (President), Karyavah (Secretary) and Pracharak (Organizing secretary) heading each Prant (state units) of RSS from all over India will take part in this ABKM that meets twice every year. Other than these state functionaries, the 400 participants will include prominent select activists from social organizations working in different walks of life in the society.
On all these days, updates of the meeting will be given by senior officials of Sangh to the media.
RSS Kshetreeya Sanghachalak V Nagaraj, RSS Karnataka Pranth Sanghachalaks M. Venkataram and Khageshan Pattana Shetty,  RSS Karnataka Dakshin Pranth Karyavah N.Tippeswamy, Sah-Karyavahs Prof BV Shreedhara Swamy, Pattabhirama, and Karnataka UttaraPranth Karyavah Aravinda Rao Deshpande of Belgaum, Sah Karyavah Sridhar Nadiger, Pranth Pracharaks Sudhir, Shankaranand, Sah-Pranth Pracharak Guruprasad and several other senior Sangh leaders of Karnataka are participating in ABKM meet.

Thursday, October 29, 2015

कार्यकारी मंडल की बैठक में धार्मिक आधार पर जनसंख्या के आंकड़ों पर होगा मंथन

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रांची (विसंकें). अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक से संबंधित जानकारी देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि शुक्रवार 30 अक्तूबर से प्रारंभ होने वाली बैठक में धार्मिक आधार पर जनसंख्या वृद्धि के जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे जनसंख्या वृद्धि में असमानता ध्यान में आयी है. इस मुद्दे पर बैठक में प्रस्ताव आ सकता है. हाल ही में प्रकाशित हजारिका आयोग की रिपोर्ट में बंगाल और असम में घुसपैठ द्वारा विदेशियों की जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव देखकर चिंता व्यक्त की गई है और ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले 25 वर्षों में इस देश में भारतीय ही अल्पसंख्यक हो जाएंगे. यह चिंता का विषय है. इस पर समाज को जागरूक करने के लिए बैठक में चर्चा हो सकती है. वह पूर्व संध्या पर पत्रकार वार्ता में जानकारी प्रदान कर रहे थे.
डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि बैठक में 11 क्षेत्र और 42 प्रांतों के प्रांत संघचालक, प्रांतकार्यवाह, प्रांत प्रचारक, क्षेत्र संघचालक, क्षेत्र कार्यवाह, क्षेत्र प्रचारक, विविध क्षेत्रों के संघ का काम कर रहे प्रतिनिधियों की उपस्थिति बैठक में रहेगी. शुक्रवार प्रातः 8-30 बजे बैठक प्रारंभ होगी. इसमें संघ कार्य पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में संघ के प्रति लोगों, खासकर युवाओं की रुचि बढ़ी है. बड़ी संख्या में नए लोग संघ से जुड़ रहे हैं. वर्ष 2012 में यह संख्या 1000 व्यक्ति प्रतिमाह थी जो अक्टूबर 2015 में बढ़कर 8000 व्यक्ति प्रतिमाह हो गई है. नए आ रहे इन लोगों को कैसे संघ के कामों में उपयोग किया जाए. इस विषय पर भी चर्चा बैठक में हो सकती है. संघ के कार्य को देशव्यापी करने पर भी बैठक में विचार होगा. संघ दृष्टि से देश में 265 विभाग हैं, करीब 840 जिले हैं और 6100 ग्रामीण खण्ड हैं. 90 प्रतिशत खंडों तक संघ कार्य पहुंच चुका है. अगला लक्ष्य 55000 मंडलों तक कार्य पहुंचे ऐसा विचार करना है. संघ अधिकारियों का अधिकतम समय प्रवास में बीतता है. इस साल की योजना में सरसंघचालक जी क्षेत्र सह प्रवास करेंगे. इसमें प्रांत स्तर के कार्यकर्ता शामिल होंगे. वही सर कार्यवाह एवं सह सरकार्यवाह प्रांत स्तर का प्रवास करेंगे, जिसमें जिला स्तर के कार्यकर्ता शामिल होंगे. सभी अखिल भारतीय अधिकारी विभागशः प्रवास करेंगे. और खंड स्तर के कार्यकर्ता इसमें भाग लेंगे. क्षेत्र व प्रांत स्तर के कार्यकर्ता खंड स्तर तक प्रवास करेंगे तथा वहां के स्वयंसेवक एवं संघ के समर्थकों की बैठक लेंगे. अभी देश में 6100 खंड हैं.

Vanavasi Kalyan Ashrama’s annual 2-day ‘Vanavasi Sports Meet’ held at Kalaburagi, Karnataka

Kalaburagi, Karnataka October 29, 2015: Two-day annual Vanavasi Sports Meet organised by Vanavasi Kalyan Ashrama held on October 28 and 29, 2015 at Kalaburagi (Gulbarga) of Karnataka.
National Coordinator for Vanavasi Sports Meet of Vanavasi Kalyan Shaktipad Thakur, VHP Zonal Secretary Gopal Nagarakatte, Olympian National Record holder athlete Sahana Kumari, International Cyclist Krishna Nayakodi and other Prominent social leaders were present during the inaugural ceremony on Wednesday morning. Prakash Kamat, National Coordinator of Grama Vikas in Akhil Bharatiya Vanavasi Kalyana Ashrama adddressed during the valedictory.
A total of 570  Vanavasi Athletes from different forest villages of Karnataka participated in the meet. For the first time, Archery competition was organised on this meet at Karnataka level.
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Wednesday, October 28, 2015

RSS is working to create power of the virtuous – Bhaiyya Ji Joshi

Pune (VSK). “The might of the Hindu society was never for the destruction while it is only reassuring to the virtuous ones. It gives inspiration to the evils to become virtuous. Shiv Shakti Sangam is a manifestation of the power of such virtuous people,” said Bhaiyya ji Joshi, the Sarkaryvah of the Rashtriya Swayamsevak Sangh. He was speaking at the occasion of foundation laying for the coming Shiv Shakti Sangam organized by the RSS Western Maharashtra Prant. The foundation was laid by the hands of Swami Swaroopanand Sarswati of Sagar Ashram, Phulgaon at village Marunji near Hinjewadi, Pune. RSS Prant Sanghchalak Nana Jadhav, Pune Mahanagar Sanghchalak Bapu Ghatpande, other functionaries of the RSS and other dignitaries were present at the occasion. The ceremony was officiated by the priests coming from the deprived classes of the society, especially from Mochi and Matang communities, who were trained in priesthood.
Speaking at the occasion, Bhaiyya Ji Joshi said, “The power of the virtuous ones stands only when the evil is finished. RSS is working to create power of the virtuous for the last 90 years. RSS is not limited now to any particular caste, particular region nor is it confined to urban areas and the work of RSS has reached to all strata of the society. This same youth power is the answer to all problems in the country”.
Swami Swaroopanand Sarswati said, “Organization is needed to bring together the Hindu society which is divided in castes and creeds. Hence, the programs like Shiv Shakti Sangam are the need of the hour.”
शिव शक्ति संगम (3)In his introduction, Prant Karyvah Vinayakrao Thorat said that The Sanghik of the RSS, so big as this, is taking first time in Pune after the camp was held at Taljai in 1983. Thorat told the gathering that in view of the drought situation in the state, the Swayamsevaks of the RSS are involved in collecting funds as well as starting fodder camps through the Jankalyan Samiti. 45,475 individuals have completed online registration till now for the Shiv Shakti Sangam. General Manager of the Sangam Kailash Sontakke informed about the different arrangements in the camp and departments working for these arrangements.
Shiv Shakti Sangam – an overview
Swayamsevaks to come from 7 government districts in Western Maharashtra. Programe to be held in a total of 450 acres area of which 150 acres will be for parking, one tent for the 2000 Swayamsevaks which will be spread on a total area of 12 lakh sq. ft.. Along with rest rooms and kitchen, 200 doctors and 20 ambulances will be there. 40 LED screen, 21 meters high flag mast, seating arrangement for 50,000 persons will be made. Demonstration of more than 2000 Ghosh players (Band). The appearance of the whole area will be like land fort in Western Maharashtra while entrance gates will be named after selected 13 forts. Security arrangement by CCTV cameras, watch towers, entire area will be Wi-fi enabled and guidance centers will be at Pune and Pimpri Chinchwad to avoid traffic jams.
शिव शक्ति संगम (1)

पिलीभीत में संघ के प्राथमिक शिक्षा वर्ग पर हमला, दो स्वयंसेवक घायल

ब्रज (विसंकें). ब्रज प्रांत के पिलीभीत जिला में आयोजित प्राथमिक शिक्षा वर्ग पर क्षेत्र के कुछ अराजक तत्वों ने अचानक हमला कर दिया. घटना में दो स्वयंसेवक घायल हुए हैं, लेकिन पुलिस अभी तक आरोपियों को पकड़ नहीं पाई है. संभवतया यह घटना मीडिया में सुर्खियां नहीं बटोरेगी, न ही कोई हायतौबा मचाएगा. कारण हमला संघ के स्वयंसेवकों पर जो हुआ है.
पिलीभीत जिला का प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग, शिवाजीलाल चिरोजीलाल सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज माधैव टाडा रोड पर चल रहा है. जिसमें जिले भर से आये शिक्षार्थी अनुशासन, कर्तव्य व देश भक्ति का पाठ सीख रहे हैं. 26 अक्तूबर को प्रातः 9-45 पर अचानक से 15-20 अराजक तत्वों ने दुस्साहस दिखाते हुए अचानक डण्डों के साथ हमला बोल दिया, गाली गलोज की, ईंट पत्थर फैंके और भाग गये. प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग में आये राजकुमार, सूरज बुरी तरह घायल हो गये. हमले की जानकारी पुलिस को दी गयी है. पुलिस आती तब तक हमलावर अपने धर्म के नारे लगाते हुए फरार हो गये. पुलिस ने उक्त हमलावरों की पहचान मौहल्ला गोहनिया पीलीभीत निवासी के रूप में की है, जो समुदाय विशेष से जुड़े हैं. लेकिन पुलिस प्रशासन ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है.
पीलीभित के जिला बौद्धिक प्रमुख रवि कुमार जी ने बताया कि उक्त हमले की पुलिस में रिपार्ट दर्ज करायी गयी है. लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही है. हमलावारों के बारे में पुलिस को जानकारी होने के बावजूद भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही है. जिससे समाज में दहशत है.
वही दूसरी दुस्साहस की घटना भी पीलीभीत के मौहल्ला वेनी चौधरी की है. मौहल्ला वेनी चौधरी में  वाल्मीकि समाज के बन्धु मन्दिर पर सफाई कर रहे थे, तभी समुदाय विशेष के लोगों ने आकर उनसे मारपीट की, पुलिस प्रशासन का रवैया वहां भी एक पक्षीय रहा. उत्तर प्रदेश में समुदाय विशेष के लोग अराजकता फैला रहे है. और शासन प्रशासन राजनीतिक दबाव के कारण मूक बधिर बना बैठा है. जिसके फलस्वरूप प्रदेश में अराजकता बढ़ रही है.

क्रांतिकारियों की बुलन्द आवाज थे गणेश शंकर विद्यार्थी

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मेरठ (विसंकें). राष्ट्रदेव पत्रिका के संपादक अजय मित्तल ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी क्रांतिकारियों की बुलन्द आवाज थे. वे अंग्रेजी शासन के दौरान निर्भीक और सच्चाई लिखने वाले पत्रकार थे. अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का वे खुलकर विरोध करते थे. अजय मित्तल विश्व संवाद केन्द्र द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जी ने वर्ष 1913 में प्रताप समाचार पत्र को आरम्भ किया. एक पत्रकार होने के नाते वह एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे. चोरी-चौरा काण्ड में 180 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था. इन लोगों की मदद उन्होंने समाज के दानदाताओं को इकट्ठा कर की थी. हिन्दुत्व के सम्बन्ध में उनके विचार स्वामी विवेकानन्द एवं महर्षि अरविन्द से मिलते थे. उनकी पत्रकारिता से आज मीडिया को प्रेरणा लेनी चाहिए. गोष्ठी का शुभारम्भ विद्यार्थी जी के चित्र के सामने दीप जलाकर किया गया. गोष्ठी में मुख्य अतिथि कलमपुत्र पत्रिका के सम्पादक चरण सिंह स्वामी रहे. कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार रामगोपाल एवं देवेन्द्र कुमार ने भी अपने विचार रखे. इस अवसर पर अनेक पत्रकारपत्रकारिता के अध्यापक एवं छात्रों ने भी भाग लिया.

भारत का प्राचीन गौरव और अस्मिता देश की पहचान है – प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी जी

नई दिल्ली (इंविसंके). राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी जी ने कहा कि जिस साहित्य में राष्ट्रीयता का भाव नहीं, वह किसी काम का नहीं होता. साहित्य समाज का दर्पण होता है. अगर आप किसी समाज को देखना और उसके बारे में समझना चाहते हैं तो आप उस समाज का साहित्य देखें. आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज ही के दिन स्वातंत्रता सेनानी वीर सावरकर का निधन भी हुआ था और आज महर्षि वाल्मीकि की जयन्ती भी है. वीर सावरकर को याद करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी वो भी परिवार सहित और एक जन्म में दो आजीवन कारावास की सजा. वर्ष 1966 में जब उनका निधन हुआ था, तो वे देश की हालत से संतुष्ट नहीं थे. इसलिए जब हम उनकी जीवन गाथा को पढ़ेंगे तो हमें यह मालूम होगा कि मृत्यु उनको आई नहीं थी, मृत्यु को उन्होंने खुद बुलाया था. इसका एक कारण यह था कि देश की स्वतंत्रता के 18-19 वर्ष बीत जाने के बाद भी वो नहीं हुआ, जिसके लिए लोगों ने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी.
राज्यपाल अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की स्वर्ण-जयंती के शुभारम्भ अवसर पर आयोजित नींव के पत्थर रूप कार्यकर्ताओं के सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे. समारोह सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी), सेक्टर-7 द्वारका, नई दिल्ली में संपन्न हुआ. कार्यक्रम का श्री गणेश मंत्रोच्चार और मुख्य अतिथि हरियाणा एवं पंजाब के महामहिम राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन गौरव और अस्मिता देश की पहचान है. उस गौरव और अस्मिता को समाप्त करने की एक हजार वर्षों तक कोशिशें होती रहीं. देश स्वतंत्र होने के बाद हमारे देश के कृषक, हमारे देश के मनीषि देश के प्रति भक्तिनिष्ठ थे. वे चाहते थे किSahityakar Sammanदेश की अस्मिता और गौरव को कैसे बचाया जाए? इसी उद्देश्य को लेकर 27 अक्टूबर, 1966 में साहित्य परिषद् का गठन हुआ. विचार ही व्यक्ति को ठीक करता है. ये विचार आता कहां से है? विचार साहित्य से आता है. साहित्य देश की अस्मिता को पीढ़ी बदलते वक्त एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी को हस्तांतरित करता है. उन्होंने कहा कि आदमी के शरीर के पीछे मन है, मन के पीछे बुद्धि है, बुद्धि के पीछे ईश्वर की शक्ति है. जिसे हम आत्मा कहते हैं. इसलिए आत्मा और बुद्धि को अगर कुशाग्र और प्रखर बनाना है तो साहित्य को अपनाना पड़ेगा. सम्पूर्ण व्यक्तित्व को बनाने के लिए बुद्धि की विशालता चाहिए और बुद्धि की विशालता के लिए अन्तःकरण की विशालता चाहिए जो साहित्य से ही आती है.
अ.भा.सा.प के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. त्रिभुवननाथ शुक्ल जी कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण हुए हैं. इस अवधि में परिषद् ने अपनी अलग पहचान ही नहीं बनायी, अपितु साहित्य जगत में नए मापदंड भी स्थापित किए हैं. परिषद् को बीज से सुदृढ़ विशाल वटवृक्ष का रूप देने में नींव के आधारभूत कार्यकर्ताओं का अतुलनीय योगदान रहा है. इस अवसर पर ऐसे समर्पित, तेजस्वी, निष्ठावान कार्यकर्ताओं का सम्मान करना हम सबका दायित्व है.
राष्ट्रीय महामंत्री ऋषि कुमार जी ने परिषद् के 50 वर्ष की यात्रा को सफल और सार्थक बताते हुए कहा कि साहित्य परिषद् साहित्य को सनातन तत्व मानकर चलती है. इसलिए परिषद की जिम्मेदारी बनती है कि पाखंडवाद के राहू-केतु ने साहित्य को जिस तरह से ग्रसित कर रखा है, उससे साहित्य को उबारना है. साहित्य वह है जो लोक स्वर बनने की ताकत रखता है. एक साहित्य हमें ज्ञान के पथ से अनुभव के पथ पर पहुंचता है तो एक साहित्य हमें अनुभव के पथ से ज्ञान के पथ पर पहुंचाता है. साहित्य वह है, जिसमें स्वदेश के प्रति आस्था का भाव है.
Sahitya Parishad Abhinandan Samarohराष्ट्रीय मंत्री रवींद्र शुक्ल जी ने कहा कि आज साहित्य की गंगा विषैले जीवाणुओं से पंकिल हो गई है. ‘वाद’ के ‘कफ’ से विमर्श के ‘वात’ से और वामपंथियों के ‘पित’ से साहित्य पुरुष का कंठ अवरुद्ध हो गया है. अब यह साहित्य पुरुष दोनों भुजाएं उठाकर भारतीय विद्या-परंपरा के ‘आस्था तत्व’ गर्भित साहित्य की पुनः वापिसी की गुहार लगा रहा है. ऐसा साहित्य रचा जाए, जो भारत की मूलात्मा से जुड़कर विश्व मंगल का संदेश दे सके, जो दिलों को तोड़ने वाला नहीं, अपितु जोड़ने वाला हो, जो संस्कारों को नष्ट करने वाला न होकर उन्हें प्रशस्त करने वाला हो.
सम्मान समारोह में परिषद् के तरफ से बलवीर सिंह, डॉ. देवेन्द्र दीपक, जीत सिंह जीत, डॉ. कन्हैया सिंह, डॉ. भुनेश्वर गुरूमैता, डॉ. ज्वाला प्रसाद कौशिक और डॉ. देवेन्द्रचन्द्र दास को शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया. इनके अलावा डॉ. दयाकृष्ण विजय, डॉ. मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ, डॉ. रमानाथ त्रिपाठी, डॉ. योगेन्द्र गोस्वामी और सूर्यकृष्ण जी को सम्मानित किया जाना था. परंतु, इनमें से कुछ लेखक अपनी व्यस्तता और स्वास्थ्य के कारण नहीं पहुंच सके.

Tuesday, October 27, 2015

SAHITYAK MANAK PURASKAR PHERAEBA GHATAN- SAMABEDANA NUHE RAJANITI ODIA PRABANDHA

ABVP DEMANDS BPUT TEACHERS GIVEN DUES SOON

Bhubaneswar,27/10(vsk odisha)The Technical Students’ Cell of the Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad (ABVP) on Tuesday demanded that the State Government immediately resolve examination-related problems of the Biju Patnaik University of Technology (BPUT) or else it would take to the streets.
“The reason behind delay in publication of BPUT semester tests is that examination visitors and note evaluators have not been paid their dues for the last three years. They are about to get Rs 1.5 crore from the university. The nexus between the university authorities and Government officers has led to this situation. The Government should clear dues of the lecturers immediately,” demanded ABVP Technical Students Cell State convenor Smruti Ranjan Biswal in a statement.
Biswal too threatened that the ABVP wing would take to the street if the justice is not given to the concerned lecturers at the earliest.  

Bharatiya Kisan Sangh to agitate over Farmers’ Death in Odisha

Bharatiya Kisan Sangh to agitate over Farmers’ Death in Odisha

Bharatiya Kisan Sangh 1Bhubaneswar, Oct 27: (vsk odisha)The members of Bharatiya Kisan Sangh alleged that state government has failed in addressing farmers’ problem. They also lampooned the the Chief Minister for the drawing room drought assessment as it was created without consulting farmers. The members held a meeting here on Tuesday in which the members expressed their concern over the farmers’ suicide in Odisha and tried to find ways to reach farmers to address their problems.
Addressing press conference here after the meeting, National Secretary of Bharatiya Kisan Sangh, Mohini Mohan Mishra said that the Naveen government failed in tackling drought situation in the state as many farmers committed suicide despite declaring a drought package. He criticized the government for its assessment and drought package for farmers.
Bharatiya Kisan SanghMishra said that the members of our organization had handed over memorandum to Odisha Governor, Odisha Chief Minister and Agriculture Minister over the farmers’s plight. He said that some of the members visited drought hit areas in Odisha and interacted with the debt ridden farmers.
Mishra said that the leaders need to consult with the farmers in order to know the problems and to prepare drought assessment. He urged debt ridden farmers of Odisha not to take such extreme step to end their lives. Instead they can seek help from Bharatiya Kisan Sangh, which has been working since long to protect interest of farmers and fighting for farmers’ rights, he added.
He warned the government over the farmers’ death that the members of the organization will hit roads and start agitation for farmers’ rights. The meeting was attended by State President P.K. Mishra, State General Secretary Janaki Ballav Swain, Executive Member, Narasingha Behera and other members from 25 districts.

Press meet video
https://www.facebook.com/golak.das.92

Sunday, October 25, 2015

22 writer's forum of odisha protested the Akademi awards return

Bhubaneswr,25/10(vsk Odisha)The return of Sahitya Akademi awards by a host of writers in the backdrop of the murder of Kannada writer, scholar and rationalist Dr MM Kalburgi has been condemned at a meeting of litterateurs here.
Describing it as “politicisation of literature”, the speakers of the meeting, which was held by Viswa sambad kendra,odisha Lekhaka Manch, said some writers are doing this as they are fast losing their relevance and their ideologies have few takers. They cautioned that people should not be influenced by the act of these writers who are trying to disrespect the Akademi and lower the dignity of the cultural and literary heritage of the country by returning the awards to register their protest against the infringement of right to free expression.
These writers are spreading wrong notion about the Central Government in the country and outside by saying that there is much social unease after there are reports of the inhabitants of Pakistan-occupied Kashmir seeking to get reunited with India. These writers who claim them to be votaries of civil rights and free expression did not speak a word during the attack on the Hindus in the Jammu and Kashmir and 1984 riot. Similarly, they also chose to remain mum when writers like Salman Rushdie and Taslima Nasreen had to face boycott and communal wrath for their writings.
The meeting was attended by 22 literary outfits including Odisha Lekhaka Lekhika Parishad, Aranyaka, Ekamra Sahitya Sansad, Biswa Sambad Kendra Lekhaka Manch, Madhura Bharti, Jatiyatabadi Sahitya Parishad and Bharatiya Sahitya Kendra. Niranjan Padhi presided.