Monday, October 19, 2015

इतिहास समाज की सच्चाई है, जिसे गंभीरता से लिखा जाना चाहिए – डॉ. बालमुकुंद जी

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गाजियाबाद (विसंकें). इतिहास संकलन समिति के अखिल भारतीय महासचिव डॉ. बालमुकुंद पाण्डे जी ने कहा कि इतिहास मनोरंजन की चीज नहीं है. वह किसी भी समाज की सच्चाई हैजिसे गम्भीरता से लिखा जाना चाहिये. इसलिये इतिहास का अर्थ ही है हास की इति. वह गाजियाबाद के शम्भुदयाल पीजी कॉलेज में भारतीय इतिहास संकलन योजना गाजियाबाद द्वारा आयोजित सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि इतिहास लेखन अंग्रेजों की देन नहीं हैहमारे देश में तो हजारों वर्ष पूर्व रचित वेदों और  महाभारत में भी इतिहास शब्द का उल्लेख किया गया है. हमारे वेदपुराणरामायण और महाभारत ग्रंथ अकाट्य और प्रामाणिक इतिहास ग्रंथ है.
कार्यक्रम में मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. अशोक गोदियाइग्नू दिल्ली की प्रोवाईस चांसलर सुषमा यादवडॉ. मंजू गोयल प्राचार्या एस.डी. कॉलेज गाजियाबादचौचरण सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोआरवीएल गोस्वामी, इतिहास संकलन योजना के प्रान्त मंत्री डॉ. विघ्नेश त्यागी ने भी अपने विचार रखे. सम्मेलन में विद्वानों द्वारा गाजियाबाद के ऐतिहासिक स्थल,देवस्थानजातियाँलोक परम्पराएं एवं सामाजिकआर्थिक एवं राजनीतिक इतिहास से सम्बन्धित शोध पत्र भी पढ़े. इन जनपदीय सम्मेलनों एवं कार्यशालाओं का उद्देश्य ही जनपदों के बिखरे हुए एवं विलुप्त हो रहे इतिहास का संकलन करना है.

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