Monday, October 12, 2015

युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचित करवाने की आवश्यकता – डॉ. मोहन भागवत जी

गोरखपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने कहा कि परिवार का मतलब केवल खून का रिश्ता नहीं होता है. दैनिक जीवन में जितने लोगों का सहयोग मिलता है, वे सब परिवार के सदस्य हैं. उसे ही कुटुम्ब कहते हैं. इस सच्चाई को हम सभी को स्वीकार्य करना होगा. तभी देश और समाज को हम आगे ले जाने में सफल होंगे. सरसंघचालक जी गोरखपुर प्रवास के प्रथम दिन शाम चार बजे संघ कार्यालय माधव धाम में आयोजित कुटुम्ब प्रबोधन कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. शहर के 200 से अधिक परिवारों के सदस्य कार्यक्रम में उपस्थित थे.
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उन्होंने कहा कि यह प्रयास हो कि हर रोज परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें. यदि यह संभव न हो तो सप्ताह में एक से दो दिन जरूर करें. जिससे परिवार और समाज की जानकारी साझा की जा सके. परिवार के लोग उसमें अपना सुझाव दे सकेंगे. क्या बेहतर हो सकता है…बड़े, बुजुर्ग अपनी राय दे सकते हैं. परिवार की एकजुटता से समाज एकजुट होगा. इसकी आज सबसे अधिक आवश्यकता है. संघ प्रमुख ने कहा कि हर किसी का दायित्व बनता है कि वह अपने बच्चों को संवेदनशील बनाएं. आज की युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचित कराने की जरूरत है. कार्यक्रम में डॉ. बबीता शुक्ला, डॉ. अर्चना गुप्ता, डॉ. अरुण मल्ल, डॉ. महेंद्र अग्रवाल, रीना, प्रांत प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक, विभाग प्रचारक, महानगर प्रचारक आदि मौजूद थे.
सभी लोगों के उतर जाने के बाद जैसे ही सरसंघचालक जी उतरकर चलने लगे तो अभिवादन का सिलसिला शुरू हो गया. इसी बीच भाजपा के एक क्षेत्रीय नेता भीड़ को किनारे करते हुए आगे बढ़े और उनके चरण स्पर्श करने लगे. उनका हाथ पकड़ ऐसा करने से रोका और कहा कि यह संघ की संस्कृति नहीं है.
स्टेशन से बाहर निकलते ही वीआईपी गेट के पास प्रशासनिक अफसरों ने उन्हें एक लाल बत्ती लगी कार की तरफ बैठने का इशारा किया. सरसंघचालक जी ने गाड़ी में बैठने से इंकार कर दिया. उन्होंने विनम्रता के साथ कहा कि मेरी गाड़ी का प्रबंध है. इतना कह कर कार्यकर्ता की गाड़ी में बैठ गए. उनके पीछे उनके सुरक्षा कर्मियों की गाड़ी माधव धाम तक पहुंची.

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