Friday, October 23, 2015

भारत में अधिकांश सेक्युलर लोग हिन्दू विरोधी और मुसलमान समर्थक हैं – तस्लीमा नसरीन

TASLIMA_NASREEN
नई दिल्ली. भारत में तथाकथित रूप से बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का विरोध करते हुए कुछ लेखकों द्वारा पुरस्कार लौटाए जा रहे हैं. हालांकि साहित्य जगत में ही उनका विरोध भी हो रहा है, लेकिन संभवतया उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.
इसी मुद्दे पर निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहीं बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी राय व्यक्त की है व भारत के धर्मनिरपेक्षतावादियों पर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि भारत में अधिकतर धर्मनिरपेक्षतावादी हिंदू विरोधी और मुसलमान समर्थक हैं. वे हिंदू कट्टरपंथियों का विरोध करते हैं, परंतु जब कोई मुसलमान कट्टरपंथी ऐसा करता है तो उसका बचाव करते हैं.
क्या लेखक दोहरा रवैया अपनाते हैंइस प्रश्‍न पर तस्लीमा ने कहा कि हांमैं पूर्णतः सहमत हू्ं. जब विरोध की बात आती है तो अधिकतर लेखक दोहरा रवैया अपनाते हैं. जब बंगाल में मेरी पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया गया था तो उस समय अधिकतर लेखक चुप थे. मेरे विरुद्ध पांच फतवे जारी हुए तो भी सभी चुप थे. मुझे बंगाल से बाहर कर दिया गया. दिल्ली में मुझे कई महीनों घर में नजरबंद किया गया. मुझे भारत छोड़ने के लिए बाध्य किया गया. मेरे धारावाहिक को दूरदर्शनवाहिनी पर प्रतिबंधित कर दिया गया. जब ये सब हुआ तब अधिकतर लेखकों ने कोई आवाज नहीं उठाई.
तस्लीमा नसरीन ने कहा कि मैं अकेले जीने और बोलने के अधिकार के लिए लड़ रही थी. अधिकतर लेखक न केवल चुप थेअपितु कुछ लेखकों ने उस समय बंगाल के मुख्यमंत्री  बुद्धदेव भट्टाचार्य से मांग कर मेरी पुस्तक प्रतिबंधित कर दी थी.

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