Monday, October 12, 2015

मनुष्य को कर्म एवं दायित्वों का निरंतर निर्वहन करना चाहिए – अजीत जी

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भरतपुर (विसंकें). समिधा भवन जवाहर सिंह नगर भरतपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क विभाग द्वारा प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. 10 अक्तूबर को आयोजित सम्मेलन में अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख अजीत महापात्र जी ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की. अजीत जी ने भारतीय संस्कृति में चार आश्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि मनुष्य जो प्रकृति में सर्वाधिक विशिष्ट एवं श्रेष्ठ होता है, उसे कर्म एवं दायित्व का निरंतर निर्वहन करना चाहिए. प्रकृति के अन्य जीवों एवं पेड़ पौधों का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रकृति संवर्धन हेतु निरंतर चौबीस घण्टे कार्य करते रहते हैं, जबकि मनुष्य अपने नियत कार्यों को भूलता जा रहा है. जबकि हमारे पुरातन संस्कार ऐसे होते थे जो प्रकृति के साथ साथ सभी का संवर्धन का प्रयास करते थे. मनुष्यों से सृष्टि का संतुलन एवं रक्षा करने का आव्हान किया.
इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष रामेश्वरी देवी कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार जी बंसल ने कहा कि भारतीय संस्कृति राष्ट्र के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व को मार्गदर्शन देने में सक्षम है. कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवन से हुआ. अतिथियों का परिचय डॉ. बीके गुप्ता ने किया, संचालन हरिओम गौतम तथा आभार प्रदर्शन राकेश खण्डेलवाल द्वारा किया गया. सम्मेलन में काफी संख्या में गणमान्य प्रबुद्धजन उपस्थित थे.
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