Monday, October 19, 2015

तीन माह में गोवध पर प्रतिबंध के लिए कानून बनाए केंद्र सरकार – हिप्र उच्च न्यायालय

शिमला. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को गौहत्या पर राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने के आदेश जारी किए हैं. न्यायालय ने कहा है कि गोवध, गोवंशियों के आयात-निर्यात और गोमांस व गोमांस से बने उत्पादों को प्रतिबंधित करने वाले कानून को देश भर में प्रभावी रूप से लागू करने पर विचार किया जाए. उच्च न्यायालय ने इसके लिए केंद्र सरकार को तीन महीने का समय दिया है.
न्यायाधीश राजीव शर्मा और सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि भारतीय संविधान सभी धर्मों को एक समान आदर करने की गारंटी देता है. धर्म निरपेक्षता भारतीय संविधान का मूल आधार है. हमारे देश का संविधान इस बात की अनुमति नहीं देता है कि किसी भी व्यक्ति की धर्म से जुड़ी भावनाओं को आघात पहुंचाया जाए. न्यायालय ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 25 का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि गाय, बैलों और बछड़ों के बीफ के लिए उनके मांस का आयात और निर्यात की कानून अनुमति नहीं दे सकता. इसके अलावा न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह आदेश दिए कि वह राज्य सरकार को लावारिस पशुओं के रख-रखाव और उनके चारे के लिए उपयुक्त धन के हस्तांतरण के निर्देश दे. उनके संरक्षण के लिए तीन महीनों के भीतर प्रभावी नीति बनाने के भी आदेश जारी किए. न्यायालय ने आदेशों की पालन के लिए केंद्र सरकार के संबंधित सचिव को अनुपालना शपथ पत्र दायर करने के भी आदेश दिए हैं.
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देश के अलग-अलग राज्यों में गोहत्या को रोकने और गोमांस बेचने पर प्रतिबंध के अलग-अलग कानून हैं. कई राज्यों में इस पर पूर्ण प्रतिबंध है तो कहीं आंशिक रोक है. हाईकोर्ट ने अपने पिछले आदेशों की अनुपालना नहीं होने पर हिमाचल प्रदेश के जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है.
साथ ही उच्च न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंताओं को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि कोई भी लावारिस पशु उनके अधिकार क्षेत्र में सड़कों पर नजर नहीं आना चाहिए. न्यायालय ने पाया कि इन आदेशों की पालना नहीं हो रही है. न्यायालय ने हिमाचल के मुख्य सचिव को भी आदेश दिए हैं कि वे जिम्मेवार अधीक्षण अभियंताओं पर कार्रवाई करे. इसके अलावा नगर निगम शिमला के आयुक्त, नगर परिषदों के कार्यकारी अधिकारियों, नगर पंचायतों, ग्राम पंचायतों के प्रधानों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाने के निर्देश जारी किए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी 2016 को निश्चित की गई है.

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