रांची (विसंके). विश्व हिन्दू परिषद ने स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में रांची में विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया. रांची के विधानसभा मैदान में आयोजित हिन्दू सम्मेलन में रांची सहित, रामगढ़, खूंटी जिले से दस हजार से अधिक लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, तथा विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीण भाई तोगड़िया का कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मा. दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि “ अपने ५० वर्ष के स्वर्णिम कालखंड में विश्व हिन्दू परिषद ने हिन्दू समाज और हिन्दू राष्ट्र के लिये व्यापक कार्य किया है. न हिन्दू पतितो भवेत् के मूल मन्त्र को लेकर मम दीक्षा, हिन्दू रक्षा के सपने को साकार करने में यह संगठन सतत् कार्य कर रहा है और इसी के फलस्वरूप आज इस मैदान में हिन्दुओं की विराट उपस्थिति प्रदर्शित हो रही है. उन्होंने हिन्दुओं के स्वर्णिम मान बिन्दुओं को स्मरण करवाते हुए कहा कि अब हिन्दू समाज जाग उठा है, जो हमें टेढ़ी नज़र से देखेगा, जो हमारे संस्कार और संस्कृति पर कुठाराघात करेगा, उसे हिन्दू समाज सही और सटीक जवाब देने की क्षमता भी रखता है. हम सेवा के लिये सिद्ध हैं तो संघर्ष के लिये भी उतना ही सिद्ध हैं. हिन्दू तो कणकण में भगवान का वास मानता है, हमें संघर्ष के लिये मजबूर मत करो. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि नदियों की स्वच्छ्ता अपने मान बिन्दुओं की सुरक्षा, अपनी संस्कृति का स्वाभिमान और अपने घरों, बच्चो में हिन्दू संस्कार शिक्षा सुसंस्कृत हो ताकि अपना हिन्दू समाज एक सशक्त समाज बन सके. आने वाले दिनों में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता प्रत्येक हिन्दू घर तक पहुंचें और सबल समाज का निर्माण करेंगे, ऐसा संकल्प आज लें.
विश्व हिन्दू परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया ने उपस्थित हिन्दुओं में जोश भरते हुए भावपूर्ण अंदाज में हिन्दुओं के स्वाभिमान की चर्चा की. उन्होंने कहा कि ‘जहां जहां भारत की पवित्र भूमि से हिन्दू घटा है, वह भाग अपनी पुण्यभूमि से कटा है. दो हज़ार वर्ष में मतान्तरण का सहारा लेकर कुछ लोगों ने भारत भूमि को क्षत विक्षत किया है. कश्मीर घाटी हो या केरल, असम हो या बंगाल आज भी वहां हिन्दुओं की स्थिति दयनीय है. उन्होंने लोगों से पूछा कि क्या भारत हिन्दू भूमि नहीं है, यह हिन्दू राष्ट्र नही है? भारत ईसाइयत और इस्लाम के आने से पूर्व धन धान्य से परिपूर्ण था, इसे सोने की चिड़िया कहा गया था. किन्तु आक्रमणकर्ताओं ने देश को लूटा खसोटा और हमारी सहनशीलता को कमजोरी मान हमारे ही भाई बन्धुओं को मतांतरित किया, यह क्रम आज भी बदस्तूर ज़ारी है. उन्होंने स्वर्णिम वर्ष के अवसर पर लोगों से आह्वान किया कि हम संकल्प लें कि अब कहीं हिन्दू घटे नहीं, कहीं हिन्दू बंटे नहीं, कहीं हिन्दू सिमटे नहीं, घर वापसी हो, बांग्लादेशी मुसलमानों को कहीं इस भूमि पर पनाह नहीं मिले, ऐसा अपना समाज मज़बूत हो.
दोनों अतिथियो ने गौ पूजन कर सभा का विधिवत उद्घाटन किया. अतिथियों को तलवार और धनुष सहित झारखंड का प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया. स्वर्ण जयंती समारोह के अध्यक्ष सूर्यभान सिंह, कार्यक्रम संयोजक राजकिशोर सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे.
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