Sunday, February 15, 2015

'सेवाकार्य मे स्वार्थ व निस्स्वार्थ जैसे शब्द का स्थान नहीं'

भुवनेश्वर-पूरा समाज मेरा अपना समाज है और जब अपनापन आता है तो सेवा नहीं बल्कि हमें अपना कर्तव्य करना होता है। सेवा कार्य में निस्स्वार्थ व स्वार्थ जैसे शब्द का कोई स्थान नहींहोता है। हर एक का अधिकार दूसरे के कर्तव्य में सुरक्षित है। यह बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कही। वे इडकल ऑडिटोरियम में आयोजित उत्कल विपन्न सहायता समिति (यूबीएसएस) के वार्षिकोत्सव एवं उत्कलमणि सेवा सम्मान समारोह को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।

इडकल ऑडिटोरियम में खचाखच भरे लोगों को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता मनमोहन वैद्य ने समाजसेवा से जुड़े कई पहलुओं को विस्तार से समझाया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कीचड़ से सने पैर में यदि कांटा धंस जाता है तो हाथ तुरन्त उसे निकालने के लिए आगे आता है। हाथ यह नहीं सोचता है कि कीचड़ से उसका हाथ गंदा हो जाएगा। वैद्य ने कहा कि हमें इसी भाव से सेवा करनी चाहिए। जहां आवश्यकता है और हम दे सकते हैं, तो हमें देना चाहिए।
समिति के अध्यक्ष प्रकाश बेताला की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में सेवा के क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित करने वाले मालकानगिरी जिले के समाजसेवी रवीन्द्र नाथ राय को तीसरे उत्कलमणि सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सेवा समर्पण नामक स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
मुख्य अतिथि नालको के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अशोक कुमार साहू ने कहा कि सेवा ऐसा शब्द है, जिसका प्रकार व भेद है। उन्होंने इस आशय की जानकारी विस्तार से दी। सम्मानित अतिथि हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वन विहारी मिश्र ने कहा कि अहंकार को अपने दिल से हटाकर समाज के हित के बारे में सोचें तो हमें प्रसन्नता मिलेगी।
इस अवसर पर प्रकाश बेताला ने कहा कि सेवा हमारे संस्कार में है। पहले हमें अपने मां से सेवा मिलती है। उन्होंने कहा कि समाज का यदि एक भी व्यक्ति पीड़ित है तो हमारे मन में पीड़ा होनी चाहिए। सम्मान के माध्यम से समाज को हम संदेश देना चाहते हैं कि वे इससे प्रेरणा लें। बेताला ने कहा कि अपने घर-परिवार के साथ अपने देश का भी भार हम पर है। उन्होंने कहा कि बालेश्वर जिला से आए एक गणपति मिश्र नामक एक व्यक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि वह हर महीने समिति को मनीआर्डर भेजते हैं और आज जब इस कार्यक्रम के बारे में उन्हें पता चला तो वह आज हम सबके बीच भी पहुंचे। बेताला ने कहा कि यह फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी राशि भेजते हैं, सवाल यह है कि आपकी भावना कैसी है। अंत में सीमाद्री मिश्र के नेतृत्व में छात्रों ने देशभक्ति कार्यक्रम पेश किया।








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