फाल्गुन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११६
• धर्मद्रोही प्रा. के.एस. भगवान का आतंकवाद !
• तोगडिया पर प्रतिबंध लगानेवाली कर्नाटक की कांग्रेस सरकार क्या प्रा. भगवान को बंदी बनाएगी ?
म्हैसूर (कर्नाटक) : भगवद्गीता अत्यंत अपवित्र, अपमानकारक एवं अपायकारक ग्रंथ है। यह ग्रंथ यहीं पर जला देना ऐसा प्रतीत होता है। यदि सभाध्यक्ष ने सम्मति दी, तो यहीं पर भगवद्गीता को जला दूंगा। धर्मद्रोही विचारवंत प्रा. के.एस.भगवान ने ऐसे संतापजनक वक्तव्य दिए। १५ फरवरी को यहां के रानी बहादुर प्रेक्षागृह में विविध शासकीय कर्मचारी संगठनोंद्वारा आयोजित एक कार्यशाला में वे ऐसा बोल रहे थे।
प्रा. भगवान के वक्तव्य से सभागृह में खलबली मच गई। उपस्थित व्यक्तियों में कुछ लोगोंने भगवान के विचारों पर सहमति दर्शाई; परंतु महसूलमंत्री श्रीनिवासप्रसाद ने भगवद्गीता जलाने की अनुमति नहीं दी। इस पर प्रा. भगवान ने कहा कि अब मैंने मेरे मन में यह ग्रंथ जला दिया है। भविष्य में प्रत्यक्ष रूप से जलाऊंगा। भगवद्गीता वैदिकोंका (ब्राह्मणों का) ग्रंथ है। उस की योग्यता राष्ट्रीय ग्रंथ होने की नहीं है। हिन्दु धर्म के खरे वैरी हिन्दू ही हैं ।
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