Thursday, February 19, 2015

भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री पुस्तक का लोकार्पण

Varanasi Feb 19: RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat released a book entitled ‘Bharat Ratna Lal Bahaddur Shasstri’ at Radhakrishna Vatika Ramnagar in Varanasi on Thursday. The book was authored by popular writer Dr Neeraja Madhav.
RSS Kshetreeya Pracharak Shivanarayan, Pranth Pracharak Abhay, Prof Shraddhananda, Prof  Kumud Ranjan, Mahendra Narayan Verma, Spurabh Srivastav, Rajiv Shankar and many others were present.
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वाराणसी, 19 फरवरी ।  ‘भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री’ पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत के कर कमलो द्वारा राधाकृष्ण वाटिका रामनगर में सम्पन्न हुआ।  पुस्तक डॉ. नीरजा माधव ने लिखी हैं .
Udabodhan Pujay sirsanghchalak ji
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज संयोग है कि अंग्रेजी तिथि के अनुसार संघ के द्वितीय सरसंघचालक प.पू. श्रीगुरूजी की जयंती है। भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री का जीवन उच्च कोटि का था। वे आध्यात्मिक कर्मयोगी थे। उन्होंने अपने स्वत्व के आधार पर देश की परिस्थिति को बदल दिया। उनके आह्वान पर बहुत से लोग आज भी सोमवार व्रत रहते हैं। यह शास्त्री जी के प्रति लोगों की श्रद्धा है। शास्त्री जी के वचनों के पीछे उनकी तपस्या है। महात्माओं का लक्षण उनके जीवन में दिखता है। मुझे कैसा होना चाहिए? इस होने की परम्परा ने देश को बनाया।
उन्होंने कहा कि शास्त्री जी जैसे दिखते थे वैसे ही उनका जीवन था। उदाहरण स्वरूप जैसे सूर्य उगते समय लाल दिखता है और अस्ताचल होते समय भी लाल दिखता है। शास्त्री का जीवन भी ऐसा ही था। उनका कार्यकाल केवल 18 महिनों का था। इस कम समय में भी उन्होंने पूरे देश में नव चेतना का संचार किया। शास्त्री जी को जब-जब याद करते हैं तो बाते ध्यान में आती है कि यदि शास्त्री जी तासकन्द से सही सलामत आ गये होते तो देश का इतिहास दूसरा होता। उन्होंने पाकिस्तान जैसे आक्रान्ता को सबक सिखाया।
शास्त्री जी का जीवन बहुत ही साधारण था। एक प्रधानमंत्री का परिवार कैसे रहता है? यह भी अनुकरण करने की जरूरत है। आज शास्त्री का पार्थिव शरीर नहीं है लेकिन गुण और विचार विद्यमान है। उनकी कीर्ति बढ़ायी जा सकती है। शास्त्री जी का जीवन अनुकरण योग्य है।
Deep Prajwalan Momento
लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री ने कहा कि प.पू. सरसंघचालक जी ने पिता जी के पैतृक आवास को देखा।  घर में पाकर मैं गौरवान्वित अनुभव कर रहा हँू। पूज्यनीय पिता जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को इस घर में दिखाया जायेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि पूज्यनीय सरसंघचालक जी के आने से अन्तर्राष्ट्रीय स्मारक बनेगा। उन्होंने कहा कि पिता जी (लाल बहादुर शास्त्री) सदैव संघ के प्रति आदर भाव रखते थे।
मुख्य अतिथि एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों का स्वागत पुस्तक लेखिका डॉ. नीरजा माधव ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया। इसके बाद वैदिक मंगलाचरण पाणिनी संस्कृत कन्या महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। बाबुल श्रीवास्तव एवं उनके साथियों ने शास्त्री गान प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से क्षेत्र प्रचारक सर्वश्री शिवनाराण जी, प्रान्त प्रचारक अभय जी, प्रो. श्रद्धानन्द, प्रो. कुमुद रंजन, सुमन श्रीवास्तव, महेन्द्रनारायण लाल, सौरभ श्रीवास्तव, राजीव शंकर, प्रो. पी.एन. सिंह, विनय सिन्हा, दुर्गा सिंह, संजय प्रधान, सत्यम सिंह, राम विजय सिंह, वी.के. शुक्ला, डॉ. ओ.पी. सिंह, नवीन चन्द्र शर्मा आदि हजारों गणमान्य जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बेनी माधव एवं धन्यवाद ज्ञापन भारतीय जन जागरण समिति के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव ने किया।

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