नई दिल्ली। अमेरिका में एक पुलिसकर्मी के बल प्रयोग के कारण आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हुए भारतीय पर भारत ने क़डा विरोध जताया है और मामले की जांच में तेजी की मांग की है। वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरद्दीन ने बताया कि अटलांटा में महावाणिज्य दूतावास मैडिसन पुलिस प्रमुख के साथ संपर्क में है और दूतावास संबंधी सभी प्रकार की आवश्यक सहायता मुहैया करा रहा है।
उन्होंने बताया कि पुलिस प्रमुख ने मामले की जांच के आदेश भी दे दिए हैं। अलबामा में अपने बेटे से मिलने गए 57 वर्षीय सुरेशभाई पटेल वहां वॉकिंग कर रहे थे। इस दौरान किसी ने पुलिस को यह रिपोर्ट दे दी कि एक संदिग्ध व्यक्ति घरों के गैरेज में देखा रहा है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पटेल को रोका और पूछताछ की। चूंकि वे अंग्रेजी नहीं जानते थे इसलिए पुलिस के सवाल के जवाब नहीं दे सके। ऐसे में पुलिस ने उन्हें जमीन पर पटककर पीट दिया, जिससे वह आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गए। फिलहाल उनका इलाज जारी है।
नस्ल के कारण निशाना बनाया पटेल के परिवार का प्रतिनिधित्व कर रहे हांक शेरोड ने बताया कि अधिकारी को उकसाया नहीं गया। इसके बावजूद उसने हिंसा की और पटेल को जमीन पर धक्का मारा, जिससे वे खून में लथपथ और आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गए। उन्होंने बताया कि पटेल का परिवार मैडिसन पुलिस के खिलाफ मुकदमा दायर करने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि पीड़ित को मुख्य रूप से उसकी नस्ल के कारण निशाना बनाया गया।
साउथ एशियन अमेरिकंस लीडिंग टूगेदर [एसएएएलटी] की सुमन रघुनाथन ने कहा, 'यह घटना दक्षिण एशियाई लोगों को नस्लीय आधार पर बांटने, उनकी निगरानी और उनके खिलाफ होने वाली हिंसा को दर्शाती है, जिसका उन्हें अक्सर सामना करना प़डता है।' वहीं, कई भारतीय अमेरिकी संगठनों और मानवाधिकार संगठनों ने पटेल के खिलाफ की गई बर्बरता की निंदा ही नहीं की है अपितु उस पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है, जिसके गुस्से ने उन्हें लकवाग्रस्त बना दिया है। हालांकि पुलिस ने आरोपी अधिकारी को जबरन छुट्टी पर भेज दिया है।
स्त्रोत : जागरण
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